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Showing posts from August, 2017

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

शहादत : हज़रत इमाम बाकिर और इस्लाम मे सिक्के की ईजाद

 हज़रत इमाम मौहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम पहली रजब 57 हिजरी को जुमा के दिन मदीनाऐ मुनव्वरा मे पैदा हुऐ। अल्लामा मजलिसी लिखते है कि जब आप बत्ने मादर मे तशरीफ लाऐ तो आबाओ अजदाद की तरह घर मे गैब की आवाज़े आने लगी और जब नो महीने पूरे हुऐ तो फरीश्तो की बेइंतेहा आवाज़े आने लगी और शबे विलादत एक नूर जाहिर हुआ और आपने विलादत के बाद आसमान का रूख किया और (हजरत आदम की तरह) तीन बार छींके और खुदा की हम्द बजा लाऐ, पूरे एक दिन और रात आपके हाथ से नूर निकलता रहा। आप खतना शुदा, नाफ बुरीदा और तमाम गंदगीयो से पाक पैदा हुऐ। (जिलाउल उयून पेज न. 259-260) नाम, लक़ब और कुन्नीयत सरवरे कायनात रसूले खुदा (स.अ.व.व) और लोहे महफूज़ के मुताबिक आपका नाम मौहम्मद था और आपकी कुन्नीयत अबुजाफर थी और आपके बहुत सारे लक़ब थे कि जिन मे बाक़िर, शाकिर, हादी ज़्यादा मशहूर है। (शवाहेदुन नबुवत पेज न. 181) लक़बे बाक़िर की वजह बाक़िर बकरः से निकला है और इसका मतलब फैलाने वाला या शक़ करने देने वाला है। (अलमुनजिद पेज न. 41) इमाम बाक़िर को बाक़िर इस लिऐ कहा जाता है कि आपने उलूम को लोगो के सामने पेश किया और अहक

एक बार फिर: मुस्लिम समाज बना फरिश्ता - मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा

यूपी के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास शनिवार को कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना की शिकार हो गई। हादसे में 23 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि 40 लोग घायल हुए हैं। भले ही कुछ मिट्ठी भर लोग मुस्लिम समाज को बुरी नज़र से देखते हो पर सत्य यह है के हमेशा देश को बनाने मानवता के लिए हमेशा से सब से आगे खड़ा मिलता है ऐसा ही कुछ  मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा में हुआ ।  नवभारतटाइम्स.कॉम के अनुसार हादसे का शिकार हुई उत्कल एक्सप्रेस के यात्रियों को स्थानीय लोगों की भरपूर मदद मिली। हादसे के बाद रेलवे की टीम के मौके पर पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोग यात्रियों की मदद के लिए पहुंच गए थे और रेस्क्यू टीम के पहुंचने के बाद भी स्थानीय लोगों ने राहत और बचाव के काम में अपना सहयोग जारी रखा। लोगों ने यात्रियों को न सिर्फ बाहर निकालने में मदद की बल्कि उन्होंने खाना और जरूरत की अन्य चीजें भी यात्रियों को मुहैया कराईं। इमरान अली ने नाम के युवक ने कहा, 'स्थानीय लोगों ने हादसे के पीड़ित यात्रियों की मदद करने की पहल की और रात से ही हम उनकी मदद में जुटे हैं। हमने उन्हें खाना भी खिलाया। किसी ने हमें ऐसा क

UP- एक मदरसा जहां हिन्दू भी पड़ते हैं आप भी देखे। सांप्रदायिक नेता ज़ारूर देखे

सिखों का अलग देश खालिस्तान के लिए ‘पंजाब मुक्ति जनमत संग्रह’ की संयुक्त राष्ट्र से अपील

खालिस्तान समर्थक समूहों ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह आत्म-निर्धारण के लिए जनमत संग्रह को समर्थन दें। इसके लिए समूहों ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया। सिख कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को ‘ए केस फॉर पंजाब रेफरेंडम 2020- सिख्स राइट टू सेल्फ डिटरमिनेशन-वाय एंड हाउ’ शीर्षक नामक रिपोर्ट सौंपी। सिखों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ की यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस को संबोधित है। इसमें संयुक्त राष्ट्र से अपील की गई है कि वह सिखों के आत्मनिर्धारण के अधिकार को यथार्थ रूप देने के लिए पंजाब में जनमत संग्रह कराने की सिखों की मांग का समर्थन करे। सिख अधिकार समूहों और उत्तर अमेरिकी गुरुद्वारा समितियों ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह सिखों के अलग देश खालिस्तान के लिए ‘पंजाब मुक्ति जनमत संग्रह’ को समर्थन दे।

मेरा बहुत दिल चाहता है कि एक बार इमामे ज़माना (अ) के ज़ुहूर से पहले शहीद हो जाऊँ और एक बार ज़ुहूर के बाद शहीद हो जाऊँ,

शहीद मोहसिन हुजजी की अपने 2 वर्षीय बेटे अली के नाम वसीयत। "सलाम अली आग़ा ! बाबा की जान सलाम, सलाम मेरे बेटे, मै तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ: अली जान ! मेरा बहुत दिल चाहता है कि इस राह में सुर्ख़रू (कामयाब) हो जाऊँ, इस राह मे शहीद हो जाऊँ। मेरा बहुत दिल चाहता है कि एक बार इमामे ज़माना (अ) के ज़ुहूर से पहले शहीद हो जाऊँ और एक बार ज़ुहूर के बाद शहीद हो जाऊँ, मेरे ख़्याल से यह अक़्ल मन्दी है कि दो बार इस्लाम की राह में शहादत नसीब हो जाये। इंशा अल्लाह कि मेरी यह आरज़ू पूरी हो जाये, लेकिन फिर भी मै ख़ुदा की रज़ा पर राज़ी हूँ, अगर मेरी आरज़ू पूरी हो गयी तो अलहम्दु लिल्लाह और अगर मेरी आरज़ू पूरी न हुई तो शायद मैं इसके लाएक़ ही नही था। अली जान ! समाज में हर दिन  मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, गुनाह दिन प्रतिदिन ज़्यादा होते जा रहे है, इस ज़माने में अच्छा बाक़ी रहना हर दौर से ज़्यादा मुश्किल है, जैसे जैसे इमामे ज़माना (अ) के ज़ुहूर से हम नज़दीक हो रहे हैं वैसे वैसे फ़ित्ने बढ़ रहे हैं, गुनाह ज़्यादा होंगे, ख़ताएँ ज़्यादा होंगी, शैतान और ताक़तवर होगा, तुम भी अपना बहुत ख़्याल रखना, न सिर्फ़ यह कि अपना ख़्याल रखना बल्कि अपन

अमेरिका ने गोरक्षा समूहों को आतंकी बताया और मोदी सरकार को नाकारा बताया

वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2016 में आतंकी गोरक्षा समूहों द्वारा हिंसा किए जाने की घटनाएं बढ़ गईं। रिपोर्ट मं यह कहा गया है कि ज्यादातर घटनाएं मुसलमानों के खिलाफ ही हुईं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकी गोरक्षकों के खिलाफ भारत में प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने में विफल रहा है। ट्रंप प्रशासन की पहली बार यह रिपोर्ट आई है। इसे विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक संगठनों के लोगों ने यह चिंता जताई है कि भाजपा सरकार के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक बहुत ही कमजोर महसूस करते हैं क्योंकि कट्टरपंथी हिंदूवादी समूह गैर हिंदुओं और उनके धर्म स्थलों के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं।  अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ऐसी रिपोर्ट हैं कि धार्मिक रूप से प्रेरित हत्याएं की गईं, हमले किए गए, दंगे किए गए, भेदभाव और तोड़फोड़ की गई तथा लोगों को धार्मिक आस्था पर अमल करने से रोकने की कार्रवाई की गई। रिपोर्ट में कहा गया है  कि आतंकी  गोरक्षा समूहों द्वारा हत्याएं किए जाने, पीट-पी

आजादी के आंदोलन में दारुल उलूम देवबंद का योगदान - तहरीक रेशमी रुमाल आंदोलन

देवबंद (सहारनपुर)। देश की आजादी की लड़ाई में विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भी अहम भूमिका निभाई। दारुल उलूम के छात्र मौलाना महमूदुल हसन ने रेशमी रुमाल तहरीक चलाकर आजादी की लड़ाई को नई धार दी। इस आंदोलन में आजादी के मतवाले फिरंगियों की नजर से बचाकर गुप्ता योजनाओं का संदेश रेशमी रुमाल पर लिखकर आदान-प्रदान करते थे। देश को स्वतंत्र कराने में दारुल उलूम के उलेमा ने जो कुर्बानियां दीं उसको शायद ही कभी भुलाया जा सके। शेखुल हिंद की इन्हीं खिदमात को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उनकी तहरीक पर डाक टिकट भी जारी किया गया। आजादी की लड़ाई को नई दिशा व दशा देने वाले मौलाना महमूदुल हसन का जन्म देवबंद के एक इल्मी खानदान में हुआ था। वर्ष 1905 में दारुल उलूम की बागडोर संभालने वाले हसन उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्हें उनकी कलम, ज्ञान, आचार व व्यवहार आदि विशेषताओं के बूते शेखुल हिद (भारतीय विद्वान) की उपाधि से विभूषित किया गया। मौलाना शेखुल हिद ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए रेशमी रुमाल आदोलन चलाया जो कि भारत को आजाद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलाया गया पहला आद

यमन में सऊदी के कारण 11250 से अधिक लोग मारे गए

प्राप्त जानकारी के अनुसार यमन स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट दी है कि सऊदी अरब की नाकाबंदी तथा सनआ एयरपोर्ट को बंद करने के कारण देश में ११००० से अधिक रोगी इलाज के आभाव में जान की बाज़ी हार गए है । स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश से बाहर निकलने पर प्रतिबंध तथा इलाज के अभाव के कारण देश में ११२५० से अधिक लोग मारे गए है । स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार हर साल १०० से अधिक लोगों को इलाज के लिए विदेश जाने की आवश्यकता है लेकिन देश की नाकाबंदी तथा सऊदी अतिक्रमण के कारण यह संभव नहीं हो पाता । सनआ एयरपोर्ट को जल्द ही खोलना होगा हर गुज़रता दिन यमन में ३२० से अधिक मौतों का कारण बन रहा है । सऊदी अरब, यमन पर अतिक्रमण तथा सनआ एयरपोर्ट को बंद कर यमन में गंभीर मानव अपराध को बढ़ावा दे रहा है । स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल हकीम ने विश्व जगत से अपील की है कि वह शीघ्र ही सनआ एयरपोर्ट को खुलवाए , मानव इतिहास में किसी देश की ३० मिलियन जनता को यात्रा से वंचित करने वाले अपराध की कोई मिसाल नहीं मिलती ।

जबरन हिजाब उतरवाने पर 85 हजार डॉलर का मुआवजा मिला

कैलिफॉर्निया अमेरिका में एक मुस्लिम महिला ने पुलिस द्वारा जबरन हिजाब उतरवाने पर 85 हजार डॉलर (लगभग 54 लाख रुपये) का मुआवजा हासिल किया है। पुलिस ने कस्टडी के दौरान महिला का जबरन हिजाब उतरवाया था। मुकदमे के अनुसार यह घटना पिछले साल की है जब किर्स्टी पॉवेल और उनके पति को पुलिस ने कस्टमाइज्ड 'लो राइडर' कार चलाने के जुर्म में पकड़ा था। सीएनएन के मुताबिक पुलिस को पॉवेल के खिलाफ एक वॉरंट मिला, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया था। पॉवेल के पति ने एक महिला अधिकारी से गिरफ्तारी देखने का अनुरोध किया, लेकिन गिरफ्तार करने वाले अधिकारी ने यह अनुरोध ठुकराते हुए पॉवेल को हिजाब हटाने को कहा। पॉवेल को बिना हिजाब के जेल में पूरी रात काटनी पड़ी। पॉवेल के पति के बॉन्ड भरने के बाद महिला को हिजाब वापस किया गया। पॉवेल ने अप्रैल, 2016 में मुकदमा दाखिल किया था। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ। पॉवेल को बिना हिजाब के फोटो खिंचवाने के लिए बाध्य किया गया था। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें असुविधा हुई और उन्हें अपमान भी सहना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी व्यक्तिगत

इस्लाम आतंक नहीं आदर्श है - स्वामी लक्ष्मी शंकाराचार्य

स्वामी लक्ष्मी शंकाराचार्यः   कई साल पहले दैनिक जागरण में श्री बलराज बोधक का लेख ' दंगे क्यों होते हैं?' पढ़ा, इस लेख में हिन्दू-मुस्लिम दंगा होने का कारण क़ुरआन मजीद में काफिरों से लड़ने के लिए अल्लाह के फ़रमान बताये गए थे.लेख में क़ुरआन मजीद की वह आयतें भी दी गयी थीं. इसके बाद दिल्ली से प्रकाशित एक पैम्फलेट ( पर्चा ) ' क़ुरआन की चौबीस आयतें, जो अन्य धर्मावलम्बियों से झगड़ा करने का आदेश देती हैं.' किसी व्यक्ति ने मुझे दिया. इसे पढने के बाद मेरे मन में जिज्ञासा हुई कि में क़ुरआन पढूं. इस्लामी पुस्तकों कि दुकान में क़ुरआन का हिंदी अनुवाद मुझे मिला. क़ुरआन मजीद के इस हिंदी अनुवाद में वे सभी आयतें मिलीं, जो पैम्फलेट में लिखी थीं. इससे मेरे मन में यह गलत धारणा बनी कि इतिहास में हिन्दू राजाओं व मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मार-काट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है. दिमाग भ्रमित हो चुका था.इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझे इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी. इस्लाम, इतिहास और आज कि घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली ' इस्लामिक आतंकवा

वाजिब नमाज़े आयात पढने का तरीका पढ़े !

1516। नमाज़े आयात की दो रकअतें हैं और हर रकअत में पाँच रुकूअ हैं। इस के पढ़ने का तरीक़ा यह है कि नियत करने के बाद इंसान तकबीर कहे और एक दफ़ा अलहम्द और एक पूरा सूरह पढ़े और रुकूअ में जाए और फिर रुकूअ से सर उठाए फिर दोबारा एक दफ़ा अलहम्द और एक सूरह पढ़े और फिर रुकूअ में जाए। इस अमल को पांच दफ़ा अंजाम दे और पांचवें रुकूअ से क़्याम की हालत में आने के बाद दो सज्दे बजा लाए और फिर उठ खड़ा हो और पहली रकअत की तरह दूसरी रकअत बजा लाए और तशह्हुद और सलाम पढ़ कर नमाज़ तमाम करे। 1517। नमाज़े आयात में यह भी मुम्किन है कि इंसान नियत करने और तकबीर और अलहम्द पढ़ने के बाद एक सूरह की आयतों के पांच हिस्से करे और एक आयत या उस से कुछ ज़्यादा पढ़े और बल्कि एक आयत से कम भी पढ़ सकता है लेकिन एहतियात की बिना पर ज़रुरी है कि मुकम्मल जुमला हो और उस के बाद रुकूअ में जाए और फिर खड़ा हो जाए और अलहम्द पढ़े बग़ैर उसी सूरह का दूसरा हिस्सा पढ़े और रुकूअ में जाए और इसी तरह इस अमल को दोहराता रहे यहां तक कि पांचवें रुकूअ से पहले सूरे को ख़त्म कर दे मसलन सूरए फ़लक़ में पहले बिसमिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम। क़ुल अऊज़ू बिरब्बिलफ़लक़। पढ़े और रुकूअ में जाए

26 शिया शहीद,आले सऊद के कारिंदे सड़कों पर पड़े शहीदों के जनाज़े भी उठाने नहीं दे रहे हैं।

अल-अवामिया निवासियों ने खबर दी है कि इस शहर की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है चूंकि सऊदी सैनिकों के हमलों में बढ़ोत्तरी हुई है। सऊदी शिया बहुल क्षेत्र अल-अवामिया में सऊदी सेना के हमले लगातार तीन महीने से जारी हैं।  जिसमें अब तक 26 लोग सऊदी अधिकारियों के हाथों शहीद हो चुके हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि इस शहर की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि आले सऊद के कारिंदे सड़कों पर पड़े शहीदों के जनाज़े भी उठाने नहीं दे रहे हैं।  आले सऊद ने घरों की छतों पर स्नाइपर शूटर तैनात कर रखे हैं तथा मज़लूमों तक कोई सहायता नहीं पहुँचने दे रहे हैं। अल-अवामिया में बड़ी मुश्किलों के बाद अपने घर से निकलने में सफल होने वाली एक महिला का कहना है कि इन क्षेत्रों में पिछले तीन दिन से खाने के लिए कुछ नहीं है। सोशल मीडिया पर अलअवामिया की हालि और सऊदी हमलों से पहले की तस्वीरें भी शेयर हो रही हैं जिनमें स्पष्ट अंतर को महसूस किया जा सकता है। इस्लाम आतंक नहीं आदर्श है - स्वामी लक्ष्मी शंकाराचार्य   आले सऊद के अत्याचार से परेशान अब तक सैकड़ों लोग आसपास के गांवों में शरण ले चुके है

मोटापा बन सकता है उम्र भर के डिप्रेशन का कारण

मोटापे से संबंधित मेडिकल रिसर्च की यूरोपीय यूनियन ने चेतावनी दी है कि जो बच्चे 8 से 13 साल की उम्र में मोटापे का शिकार होते हैं वह अपने आनी वाली जिंदगी में बड़े स्तर पर डिप्रेशन में ग्रस्त रह सकते हैं। इस बात का खुलासा हाइलैंड में किए गए एक सर्वे से हुआ है जिसमें 889 लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक मोटापे की लंबे समय तक समीक्षा की और अनंनततः यह परिणाम सामने आया।  जिसमें 1950 से लेकर 1970 तक के दहाईयों में पैदा होने वाले लोगों से संबंधित जानकारियां जमा की गई थी रिसर्च के बाद मालूम हुआ कि जो लोग 8 से 13 साल की उम्र में मोटे थे वह बड़े होने पर न केवल डिप्रेशन में ज्यादा ग्रस्त देखे गए बल्कि उनमें डिप्रेशन की शिद्दत भी साफ तौर पर दूसरों के मुक़ाबले में अधिक दिखाई दी। इससे भी बढ़कर संकोच की बात यह देखने में आई कि ऐसे लोग अपनी पूरी जिंदगी में बार-बार डिप्रेशन के शिकार होते रहे जो लोग बड़े होने तक मोटापे से छुटकारा पाने में कामयाब हो गए थे उनमें भी बड़े होने पर डिप्रेशन मैं ग्रस्त होने का ख़तरा उन लोगों के मुकाबले में तीन गुना ज्यादा देखा गया जो बचपन से लेकर जवानी तक मोटे नहीं

सऊदी अरब के शिया आले सऊद के अत्याचारों को सहन कर रहा है।

सऊदी अरब का शिया बहुल अलवामिया लगातार कई महीनों से आले सऊद के अत्याचारों को सहन कर रहा है। ताज़ा जानकारी के अनुसार सऊदी सैनिकों ने इस शिया बहुल क्षेत्र की घेराबन्दी तंग करते हुए लोगों के घरों से निकलने पर प्रतिबंध लगाते हुए कर्फ्यू लगा रखा है । सूत्रों के अनुसार अत्याचारी आले सऊद ने आम नागरिकों को बिजली पानी जैसी प्राथमिक सुविधाओं से भी वंचित कर रखा है । सऊदी हत्यारों ने हय्युल हुसैन, नासेराह और सफ़वी जैसे आस पास के सभी क्षेत्रों में बख्तर बंद वहां तैनात कर रखे हैं । स्थानीय सूत्रों के अनुसार सऊदी सैनिकों की नाकाबंदी इतनी सख्त है कि लोग अपने घरों से निकल भी नहीं सकते । ज्ञात रहे कि हाल ही में सऊदी सैनिकों ने अपने घर के बाहर खड़े एक शिया युवक को गोलियों से छलनी कर दिया था ।