युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
यूपी के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास शनिवार को कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना की शिकार हो गई। हादसे में 23 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि 40 लोग घायल हुए हैं।
भले ही कुछ मिट्ठी भर लोग मुस्लिम समाज को बुरी नज़र से देखते हो पर सत्य यह है के हमेशा देश को बनाने मानवता के लिए हमेशा से सब से आगे खड़ा मिलता है ऐसा ही कुछ मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा में हुआ ।
नवभारतटाइम्स.कॉम के अनुसार हादसे का शिकार हुई उत्कल एक्सप्रेस के यात्रियों को स्थानीय लोगों की भरपूर मदद मिली। हादसे के बाद रेलवे की टीम के मौके पर पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोग यात्रियों की मदद के लिए पहुंच गए थे और रेस्क्यू टीम के पहुंचने के बाद भी स्थानीय लोगों ने राहत और बचाव के काम में अपना सहयोग जारी रखा। लोगों ने यात्रियों को न सिर्फ बाहर निकालने में मदद की बल्कि उन्होंने खाना और जरूरत की अन्य चीजें भी यात्रियों को मुहैया कराईं।
इमरान अली ने नाम के युवक ने कहा, 'स्थानीय लोगों ने हादसे के पीड़ित यात्रियों की मदद करने की पहल की और रात से ही हम उनकी मदद में जुटे हैं। हमने उन्हें खाना भी खिलाया। किसी ने हमें ऐसा करने का आदेश नही दिया। हमने अपने स्तर पर जो भी हो सका, पीड़ितों के लिए करने की कोशिश की।' स्थानीय लोगों ने सुबह के वक्त भी मौके पर मौजूद राहत एवं बचाव दल के लोगों को चाय-नाश्ता कराया।
एक अन्य स्थानीय नागरिक ने बताया कि हादसा होने के कुछ मिनटों के अंदर ही नजदीक के गांवों के कई लोग मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने कई लोगों को बाहर निकालकर अपने वाहनों से उन्हें अस्पताल पहुंचाया। सतिंदर नाम के एक स्थानीय रहवासी ने कहा कि यहां मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के लोग रहते हैं और सभी ने मिलकर लोगों की जान बचाई। उन्होंने बताया कि कुछ लोग ट्रैक पर आई तकनीकी समस्या को दूर करने की कोशिशों में जुटे थे। उन्होंने कहा, 'ट्रैक पर काम चल रहा था और कुछ लोग ट्रैक के गैप को ठीक करने के काम कर रहे थे, लेकिन दुर्भाग्य से इस ट्रैक पर ट्रेन को आने से वे नहीं रोक पाए और इतना बड़ा हादसा हो गया।'
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