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Showing posts from December 10, 2015

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप लगाने वाले खुद आतंकवाद के परम पिता हैं - डा रहसन रूहानी

कैबिनेट की बैठक को संबोधित करते हुए ईरान के राष्ट्रपति डा   रहसन  रूहानी ने  कहा कि बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप वो लगा रहे हैं जिन लोगों ने  खुद इस क्षेत्र में आतंकवाद का बीज बोया है। राष्ट्रपति ने कहा  कि आतंकवादियों को हथियार कौन प्रदान कर रहा है और वो कौन है जो आतंकवादियो से  तेल खरीद कर विश्व बाजार में बेच रहा है ?  डॉक्टर हसन  रूहानी ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि कुछ देश आतंकवादियों के हाथ मजबूत कर रहे हैं ईरान के राष्ट्रपति डा   रहसन  रूहानी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन और उसको  मजबूत करने वालों को जवाबदेह होना ही होगा । Via -  अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी।

लो खुल गई पोल - ISIS अतंकवादियो का इलाज इस्राईल में हो रहा है

ब्रिटिश समाचार चैनेलों ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें दिखाया गया है कि इस्राईली सैनिक, सीरिया में सक्रिय एक घायल आतंकी का उपचार कर रहे हैं। डेली मेल द्वारा जारी वीडियो में दिखाया गया है कि सीरिया के सीमावर्ती गोलान हाइट्स स्थित क्षेत्र में कुछ आतंकवादी घायल हो जाते हैं, घायल आतंकियों की सहायाता के लिए ज़ायोनी शासन के कमांडो सीरिया की सीमा में घुसकर घायल आतंकवादियों को अतिग्रहित फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में लाते हैं और उनका प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें एम्बुलेंस द्वारा दूसरे स्थान पर भेज दिया जाता है। ब्रिटिश मीडिया के अनुसार ज़ायोनी शासन ने पिछले तीन वर्षों के दौरान लगभग 2 हज़ार तकफ़ीरी आतंकवादियों का उपचार करके उनकी जान बचाई है, आतंकियों के उपचार में इस्राईल ने 1 करोड़ 30 लाख डॉलर ख़र्च किए हैं। दूसरी ओर दमिश्क़ सरकार का कहना है कि पश्चिम और मध्यपूर्व में उसके सहयोगी, सीरिया में लगातार तकफ़ीरी आतंकवादियों की सहायाता कर रहे हैं और यह ऐसी स्थिति में है कि जब कई बार सीरियाई सेना ने आतंकवादियों के पास से इस्राईल द्वारा निर्मित हथियारों को ज़ब्त किया है। ज्ञात रहे कि 1967 में हु...