युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
कैबिनेट की बैठक को संबोधित करते हुए ईरान के राष्ट्रपति डा रहसन रूहानी ने कहा कि बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप वो लगा रहे हैं जिन लोगों ने खुद इस क्षेत्र में आतंकवाद का बीज बोया है। राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवादियों को हथियार कौन प्रदान कर रहा है और वो कौन है जो आतंकवादियो से तेल खरीद कर विश्व बाजार में बेच रहा है ? डॉक्टर हसन रूहानी ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि कुछ देश आतंकवादियों के हाथ मजबूत कर रहे हैं ईरान के राष्ट्रपति डा रहसन रूहानी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन और उसको मजबूत करने वालों को जवाबदेह होना ही होगा । Via - अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी।