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Showing posts from 2016

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

नौगावां सादत :2 मुहर्रम का जालूस

नौगावां सादत : पहली मुहर्रम का जालूस

पाकिस्तान, अल्लामा जाफ़री के समर्थन में शिया सुन्नी एक मंच पर

Source : अबना

इराक : वहाबी आतंकवादियों के हमले में 14 लोग मारे गए

जुलाई 26, 2016-  अहलेबैत समाचार एजेंसी अबनाः इराकी सूत्रों के अनुसार इराक के दयाली प्रांत के बअकूबा शहर में वहाबी आतंकवादियों के हमले में 14 लोग मारे गए और 20 अन्य घायल हो गए हैं। मेह्र समाचार एजेंसी ने इराक की सरकारी समाचार एजेंसी के माध्यम से लिखा है कि इराक के दयाली प्रांत के बअकूबा शहर में वहाबी आतंकवादियों के हमले में 14 लोग मारे गए और 20 घायल हो गए हैं। रिपोर्टों के अनुसार वहाबी आतंकवादी इराकी सेना के हाथों अपनी असफलताओं का बदला इराकी जनता से ले रहे हैं और निर्दोष लोगों और सार्वजनिक समारोहों को अपनी आपराधिक और क्रूर कार्रवाईयों का निशाना बना रहे हैं।

सीरियाई : अमरीकी हवाई हमले 15 बेगुनाह हताहत।

जुलाई 24, 2016 -  Source : तेहरान रेडियो  उत्तरी सीरिया के आवासीय क्षेत्रों एक बार फिर अमरीका ने हवाई हमला किया है, इस ताज़ा हमले में कम से कम 15 आम नागरिक हताहत हो गए हैं।  सीरियाई समाचार सूत्रों के अनुसार अमरीका के लड़ाकू विमानों ने सीरिया पर अपने हमले जारी रखते हुए हलब प्रांत में स्थित मिन्बिज शहर के तवाजा नामक गांव पर भीषण बमबारी की है। लंदन स्थित सीरियाई मानवाधिकार संगठन ने भी अमरीकी हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि अमरीका के ताज़ा हमलों में 15 आम नागरिकों की मौत हूई है जबकि घायलों में से कुछ की हालत बेहद चिंताजनक है।  तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश विरोधी तथाकथित अमरीकी गठबंधन के प्रवक्ता क्रिस्टोफ़र ग्रेवर ने एक बयान जारी किया है लेकिन गठबंधन के प्रवक्ता ने अपने बयान में नागरिकों के मरने पर खेद प्रकट किए बिना बड़ी बेशर्मी से कहा है कि नागरिकों की मौत के बावजूद अमरीकी गठबंधन सीरिया में हमले जारी रखेगा।  क्रिस्टोफ़र ग्रेवर ने इराक़ की राजधानी बग़दाद में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी बमबारी में आम नागरिकों के मरने से ऐसा लगता है कि

इस्राईली सैनिकों का फिलिस्तीनियों पर अत्याचार जारी है

जुलाई 25, 2016  - अहलेबैत समाचार एजेंसी अबनाः जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट के शहर रामल्लाह पर जायोनियों के हमले में एक फ़िलिस्तीनी युवा घायल हो गया है। प्राप्त सूचना के अनुसार इस्राईली सैनिकों ने फिलिस्तीनियों पर हमले में गोलियों, हथगोले और आंसू गैस का इस्तेमाल किया और फिलीस्तीनी युवकों ने भी इस हमले के जवाब में उन पर पथराव किया। ज़ायोनी सरकार ने इसी तरह रामल्लाह पर हमला करने के बाद तीन फिलिस्तीनियों को पूछताछ के लिए तलब कर लिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनियों ने मस्जिदुल अक़सा यार्ड में प्रवेश किया जिस पर फिलिस्तीनी नमाज़ियों ने कड़ा विरोध जताया।

बहरैन में भी शिया मुसलमानों पर अत्याचार जारी

जुलाई 26, 2016 अहलेबैत समाचार एजेंसी अबनाः बहरैन की अमेरिका समर्थित ज़ालिम व अत्याचारी आले खलीफा सरकार की ओर से शिया मुसलमानों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाहियों का सिलसिला जारी है, बहरैनी सरकार ने ताज़ा कार्रवाई में तीन शिया उलमा को गिरफ्तार कर लिया है। बहरैनी सरकार ने तीन शिया उलमा को बहरैन के शिया मौलाना आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम का समर्थन करने के कारण गिरफ्तार किया है। बहरैन की ज़ालिम व अत्याचारी सरकार ने तीन मौलानाओं जासिमुल ख़य्यात, शेख अज़ीज़ुल खज़रान और सैयद यासीन अलमूसवी को प्रदर्शनों में भाग लेने और आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम का समर्थन करने के कारण गिरफ्तार किया है। सूत्रों के अनुसार बहरैनी सरकार द्वारा आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम की नागरिकता छीनने के बाद से बहरैनी जनता उनके घर के सामने उनके समर्थन में धरना दिए हुए है।

सऊदी अरब का यमन पर अत्याचार जारी

अहलेबैत समाचार एजेंसी अबनाः यमनी जनता के खिलाफ सऊदी अरब की आपराधिक कार्यवाही जारी है और सऊदी अरब के युद्धक विमानों ने यमन के मआरब प्रांत के भरे बाजार पर बम बरसाए हैं कि जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। अल-अहेद की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के लड़ाकू विमानों ने जिस समय मआरब में बाजार पर बमबारी की उस समय बाजार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे इस क्रूर और आपराधिक हवाई हमले के परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर यमनी जनता के नरसंहार की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब यमन में अपने घिनौने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका जिसकी वजह से वह यमन के बाजारों, अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों और पार्कों को अपनी क्रूरता व बर्बरता का निशाना बना रहा है। सऊदी अरब के भयानक अपराधों में अमेरिका और इस्राईल भी बराबर के भागीदार हैं।

आतंकियों ने अमरीका और सऊदी अरब से समर्थन मिलने की बात स्वीकारी

जून २४, २०१६ . इस्लामी क्रान्ति संरक्षक बल आईआरजीसी ने कहा है कि पिछले हफ़्ते देश के पश्चिमोत्तरी भाग में गिरफ़्तार हुए एक आतंकवादी गुट के तत्वों ने अमरीका और सऊदी अरब की ओर से समर्थन मिलने की बात स्वीकार की है।  आईआरजीसी की थल सेना के कमान्डर ब्रिगेडयर जनरल मोहम्मद पाकपूर ने गुरुवार को इन आतंकियों की स्वीकारोक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, “इन लोगों ने अपने अपराधों के व्यापक आयाम और अपने गुट के लक्ष्यों की प्राप्ति में सऊदी अरब और अमरीका की ओर से मिले समर्थन को स्वीकार किया है।” उन्होंने कहा कि इस बारे में विस्तृत ब्योरा सार्वजनिक किया जाएगा।  इस आतंकवादी गुट को ईरान के सिस्तानो बलोचिस्तान प्रांत के ख़ाश शहर में पिछले हफ़्ते ध्वस्त किया गया।  जनरल मोहम्मद पाकपूर ने बताया कि एक आतंकी की, गिरफ़्तारी के समय लगे घाव को सहन न कर पाने से मौत हो गयी जबकि दूसरा आतंकी हिरासत में है।  आईआरजीसी की थल सेना के कमान्डर ब्रिगेडयर जनरल मोहम्मद पाकपूर ने कहा कि अमरीका और सऊदी अरब ईरान की भौगोलिक सीमाओं में क्रान्ति विरोधी तत्वों और आतंकवादी गुटों को फिर से संगठित करने की कोशिश कर रहे हैं। ये

आतंकवाद के सबसे बड़े समर्थक अमरीका, और सऊदी अरब

जुलाई १५, २०१६। तेहरान के जुमे के इमाम ने अमरीका, सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन को दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा समर्थक बताया है। तेहरान में जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी ने, क्षेत्र के कुछ देशों के संकटमय हालात और इन देशों में बेगुनाह लोगों के जनसंहार की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इराक़, सीरिया और यमन जैसे देशों में जनता को ख़त्म करने और इन देशों की मूल संरचनाओं को ध्वस्त करने के लि,ए आतंकवादी गुटों को जन्म दिया गया है जो मानवता के ख़िलाफ़ खुला अपराध है। उन्होंने कहा कि अमरीका ऐसी हालत में दुनिया में मानवाधिकार के समर्थन का दावा करता है कि इराक़, सीरिया और यमन के पीड़ित राष्ट्र के दुश्मनों का यथावत समर्थन कर रहा है और इन देशों में तकफ़ीरियों व वहाबियों के अपराध पर चुप बैठा है। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन के अतिग्रहण व अपराध की ओर इशारा करते हए कहा कि अमरीका और उसके कुछ पश्चिमी घटक, ऐसी स्थिति में फ़िलिस्तीनियों पर आतंकी होने का आरोप लगा रहे हैं जब वे अपनी भूमि की रक्षा व प्रतिरोध के सिवा कुछ नहीं कर रहे हैं। तेह

इराक़ में बम धमाके, 4 की मौत 17 घायल

जुलाई २०, २०१६ -  इराक़ की राजधानी बग़दाद के उत्तर और दक्षिण में स्थित इलाक़ों में 2 आतंकवादी बम धमाके हुए जिनमें 4 व्यक्ति हताहत और 17 अन्य घायल हुए।  इराक़ी न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, बुधवार को बग़दाद के उत्तर में सबउल बौर इलाक़े में एक बम धमाका हुआ जिसमें 2 व्यक्ति हताहत और 9 अन्य घायल हुए।  दूसरा धमाका बग़दाद के दक्षिण में स्थित मदाएन इलाक़े में हुआ। इस धमाके में भी 2 व्यक्ति हताहत हुए जबकि 8 अन्य घायल हुए।  मंगलवार को बग़दाद के दक्षिण में स्थित दौरा इलाक़े में भी एक धमाका हुआ जिसमें में कम से कम 2 व्यक्ति हताहत और 4 अन्य घायल हुए।  हालिया हफ़्तों के दौरान बग़दाद में अनेक भीषण धमाके हुए जिनमें दर्जनों लोग हताहत व घायल हुए।  इराक़ में सक्रिय तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश, जंग के मैदान में इराक़ी सेना और स्वयंसेवी बलों से मिल रही पराजय से बौखला कर, बदला लेने के लिए इराक़ के आम नागरिकों को निशाना बना रहा है।

मीडिया कहाँ है ?काबुल में 2 बम विस्फ़ोट, 80 से अधिक मुसलमानों की मौत जबकि 207 अन्य घायल।

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शीया हज़ारा समुदाय के प्रदर्शन स्थल पर 2 बम धमाके हुए जिनमें कम से कम 80 लोग हताहत और 207 अन्य घायल हुए।  तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश ने इन धमाकों की ज़िम्मेदारी ली है। ये धमाके काबुल के देह मज़न्ग स्कवायर पर हुए जहां हज़ारों की संख्या में शीया हज़ारा समुदाय के लोग विवादित बिजली लाइन परियोजना के खिलाफ़ सुबह के समय प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे।  पुलिस के अनुसार, एक आक्रमणकारी अपनी बेल्ट को विस्फोटित करने में सफल रहा, दूसरा आक्रमणकारी सही तरह से अपनी बेल्ट को विस्फोटित नहीं कर पाया जबकि तीसरा आक्रमणकारी इससे पहले कि अपनी बेल्ट को विस्फोटित करता सुरक्षा बल ने उसे ढेर कर दिया।  राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने धमाकों की भर्त्सना करते हुए आतंकियों के इस हमले पर गहरा दुख जताया है।  उन्होंने कहा, “अवसरवादी आतंकियों ने प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंच कर विस्फोट किए जिसमें बड़ी संख्या में देश के नागरिक, सुरक्षा बल और रक्षा विभाग के कर्मचारी हताहत व घायल हुए।” अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है।  प्रदर्शनकारी भेदभाव पर धिक्क

पीलिया रोग का बेहतरीन इलाज रोज़ा रखना है

रोज़े (व्रत) के बहुत ज्यादा लाभ हैं। इस्लाम के महा विद्वानों  ने रोज़े को मनुष्य के शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करने वाला, आत्मा को सुदृढ़ करने वाला, पाश्विक प्रवृत्ति को नियंत्रित करने वाला, आत्म शुद्धि करने वाला और बेरंग जीवन में परिवर्तन लाने वाला मानते हैं जो सामाजिक स्वास्थ्य की भूमिका प्रशस्तकर्ता है। रोज़े के उपचारिक लाभ, जिनकी गणना उसके शारीरिक तथा भौतिक लाभों में होती है बहुत अधिक और ध्यानयोग्य हैं। इस्लामी शिक्षाओं में रोज़े के शारीरिक लाभों का भी उल्लेख किया गया है। इस संदर्भ में पैग़म्बरे इस्लाम (स) कहते हैं- रोज़ा रखो ताकि स्वस्थ्य रहो।चिकित्सा विज्ञान के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए रोज़ा बहुत लाभदायक है। यहां तक कि उन देशों में भी जहां रोज़े आदि में विश्वास नहीं किया जाता वहां पर भी चिकित्सक कुछ बीमारों के उपचार के लिए बीमारों को कुछ घण्टों या एक निर्धारित समय के लिए खाना न देने की शैली अपनाते हैं।रोज़े के लिए इस्लामी शिक्षाओं में आया है कि अल्लाह ने कहा है कि मेरे दास हर उपासना अपने लिए भी करते हैं किंतु रोज़ा केवल मेरे लिए होता है और मैं ही उस का इनाम दूंगा।  वास्तव

जन्म पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ और शहादत मस्जिद में

पैग़म्बरे इस्लाम (स) के दामाद और उत्तराधिकारी हज़रत अली (अ) जब 19 रमज़ान की सुबह सहरी के बाद सुबह की नमाज़ के लिए मस्जिद में पहुंचे और नमाज़ के दौरान जब वे सज्दे में गए तो इब्ने मुल्जिम नामक व्यक्ति ने ज़हर में बुझी तलवार से उनके सिर पर घातक वार किया।  19 रमज़ान की रात इस्लाम के अनुसार, रमज़ान की उन तीन रातों में से एक है, जिसमें रात भर जागकर इबादत करने का अत्यधित सवाब है।  हज़रत अली गंभीर रूप से घायल होने के तीसरे दिन अर्थात 21 रमज़ान की पवित्र रात को शहीद हो गए।  19 और 21 रमज़ान को  दुनिया भर के शिया मुसलमान ईश्वर की इबादत के साथ साथ हज़रत अली (अ) की शहादत का शोक भी मनाते हैं और अज़ादारी करते हैं।  हज़रत अली (अ) संसार की ऐसी विशिष्ट हस्ती हैं जिनका जन्म पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ था और शहादत मस्जिद में। 

एक महान वैज्ञानिक हज़रत अली (अ स )

अली इब्ने अबी तालिब पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे. आपका चर्चित नाम हज़रत अली (अ स) है. दुनिया उन्हें महान योद्धा और सुन्नी  मुसलमानों के खलीफा  के रूप में जानती है शिया  फिरके के लोग उन्हें अपना पहला इमाम मानते हैं लेकिन यह भी एक सत्य है  कि हज़रत अली (अ स )  एक महान वैज्ञानिक भी थे और एक तरीके से उन्हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक कहा जा सकता है ।  13 रजब 24 BH को अली का जन्म मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबे के अन्दर हुआ था  ऐतिहासिक दृष्टि से हज़रत अली एकमात्र व्यक्ति हैं जिनका जन्म काबे के अन्दर हुआ था, और 21 रमजान 40 AH को शहादत हुई  ।   बात करते हैं हज़रत अली के वैज्ञानिक पहलुओं पर. हज़रत अली ने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया एक प्रश्नकर्ता ने उनसे सूर्य की पृथ्वी से दूरी पूछी तो जवाब में बताया की एक अरबी घोड़ा पांच सौ सालों में जितनी दूरी तय करेगा वही सूर्य की पृथ्वी से दूरी है उनके इस कथन के चौदह सौ सालों बाद वैज्ञानिकों ने जब यह दूरी नापी तो 149600000 किलोमीटर पाई गई अगर अरबी घोडे की औसत चाल 35 किमी/घंटा ली जाए तो यही दूरी निकलती ह

Amaal-e-Shab-e-Qadr in Hindi

उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1. ग़ुस्ल (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2. दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार अलहम्द और सात बार तौहीद (क़ु

पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नी जो अरब की सबसे बड़ी व्यापारी एवं पहली मुसलमान महिला थी

10th Ramzan - Death anniversary of Hazrat Khadija(a.s.) पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी के ऐलान के दस साल बाद पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की बीवी हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा ने देहांत किया। हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा के निधन से पैग़म्बरे इस्लाम शोक व दुख के अथाह सागर में डूब गए। पैग़म्बरे इस्लाम स पर दुख का यह पहाड़ उनके चचा हज़रत अबू तालिब अलैहिस्सलाम के निधन के स्वर्गवास के कुछ थोड़े से अंतराल के बाद टूट पड़ा। इन दो महबूब हस्तियों के जुदाई से पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की रूह इतनी दुखी हुई कि उन्होंने इस साल को आमुल हुज़्न (शोकवर्ष) का नाम दे दिया। हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा के निधन पर पैग़म्बरे इस्लाम स बहुत रोए और उन्होंने कहाः ख़दीजा के जैसा कहां कोई मिल सकता है कि उन्होंने उस समय मेरी पुष्टि की जब लोग मुझे झुठला रहे थे। इलाही दीन के मामलों में उन्होंने मेरी मदद की और मदद के लिए अपनी जायदाद पेश कर दी। हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा का संबंध क़ुरैश क़बीले के एक प्रतिष्ठित परिवार से था। पैग़म्बरे इस्लाम स की पैग़म्बरी की ऐलान से पहले वह हज़

آداب فھمِ قرآن - السید علی عمران نقوی

علوم کی حفاظت کے لئے ضبطِ تحریر میں آ کر کتاب کی شکل میں محفوظ ہو جانا نسلِ آدم (ع)  کی تعلیم و تربیت کیلئے لازمی شرط ہے۔ کتاب کو پڑھانے اور سمجھانے کیلئے ایک مدرس یا استاد کی بھی ضرورت ہوتی ہے اس طرح علم آنے والی نسلوں تک پہونچتا ہے۔ لیکن وه کتب جن کے پڑھنے سے ﺫهنِ انسانی کو روشنی ملتی ہے فکر و شعور میں صحت مند مفید تبدیلی آتی ہے ان کتابوں کی تعلیم کے فوائد اپنے مقام پر لیکن ان سب کے ساتھ ساتھ ایک اہم بات یہ بھی ہے کہ اعلیٰ تعلیمی اداروں یعنی یونیورسٹیز میں بڑے بڑے کتب خانے یا لائبریریز بھی بنائی جاتی ہیں جہاں سے ضرورت مند طلبا کو کتابیں فراہم کی جاتی ہیں۔ کتابوں کا پڑھنا پڑھانا اور سمجھنا سمجھانا کس قدر اہم عمل ہے کتنی محنت ریاضت قربانی توجہ چاہتا ہے۔ اس کا اندازه اس بات سے لگائیے کہ صرف لائبریری جہاں کتابوں کو کچھ خاص قواعد و اصول و ضوابط اور ترتیب سے رکھا جاتا ہے اس کام کیلئے باقاعده لائبریری سائنس میں گریجویشن اور پوسٹ گریجویشن سے لیکر ریسرچ تک کرائی جاتی ہے جسکی اس زمانہ میں بڑی مانگ ہوتی جا رہی ہے غور فرمائیے کہ ان عام کتابوں کے رکھنے کیلئے جب ڈگری یافتہ بیچلر آف لائبریری