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Showing posts from October 22, 2015

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

इस्लामाबाद में जनाबे अली असग़र अ स की याद में बच्चे अज़ादारी करते हुए

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आशूरा का रोज़ा - मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगाँवी

जैसे ही नवासा ए रसूल (स) हज़रत इमाम हुसैन (अ) के क़याम व शहादत का महीना, मोहर्रम शुरु होता है वैसे ही एक ख़ास सोच के लोग इस याद और तज़करे को कमरंग करने की कोशिशें शुरु कर देते हैं। कभी रोने (जो सुन्नते रसूल है) की मुख़ालफ़त की जाती है, तो कभी आशूर के रोज़े की इतना प्रचार किया जाता है जिस से ऐसा महसूस होता है के 10 मोहर्रम 61 हिजरी में कोई हादसा हुआ ही नहीं था। बल्कि सिर्फ़ बनी इस्राईल की नजात की ख़ुशी का दिन है और बाज़ इस्लामी देश तो इस का ऐलान और प्रचार सरकारी पैमाने पर करते हैं और दलील के तौर पर बुख़ारी वग़ैरा की हदीसें पेश की जाती हैं, अभी कुछ साल पहले की बात है के सऊदी अरब की न्यूज़ ऐजंसी ने अपने एक बयान में अबदुल अज़ीज़ बिन अबदुल्लाह बिन मुहम्मद आले शैख़ की जानिब से ऐलान किया था के पैग़म्बर (स) से रिवायत हुई है केः आँहज़रत (स) आशूर के दिन रोज़ा रखते थे और लोगों को भी इस दिन रोज़ा रखने का शौक़ दिलाते थे, क्योंकि आशूरा वो दिन है जिस रोज़ ख़ुदावंदे आलम ने मूसा और उनकी क़ौम को फि़रऔन और उसकी क़ौम से निजात दी थी लेहाज़ा हर मुसलमान मर्द और औरत पर मुस्तहब है के 10 मोहर्रम को ख़ुदा के