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Showing posts from August 16, 2017

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

आजादी के आंदोलन में दारुल उलूम देवबंद का योगदान - तहरीक रेशमी रुमाल आंदोलन

देवबंद (सहारनपुर)। देश की आजादी की लड़ाई में विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भी अहम भूमिका निभाई। दारुल उलूम के छात्र मौलाना महमूदुल हसन ने रेशमी रुमाल तहरीक चलाकर आजादी की लड़ाई को नई धार दी। इस आंदोलन में आजादी के मतवाले फिरंगियों की नजर से बचाकर गुप्ता योजनाओं का संदेश रेशमी रुमाल पर लिखकर आदान-प्रदान करते थे। देश को स्वतंत्र कराने में दारुल उलूम के उलेमा ने जो कुर्बानियां दीं उसको शायद ही कभी भुलाया जा सके। शेखुल हिंद की इन्हीं खिदमात को देखते हुए भारत सरकार द्वारा उनकी तहरीक पर डाक टिकट भी जारी किया गया। आजादी की लड़ाई को नई दिशा व दशा देने वाले मौलाना महमूदुल हसन का जन्म देवबंद के एक इल्मी खानदान में हुआ था। वर्ष 1905 में दारुल उलूम की बागडोर संभालने वाले हसन उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्हें उनकी कलम, ज्ञान, आचार व व्यवहार आदि विशेषताओं के बूते शेखुल हिद (भारतीय विद्वान) की उपाधि से विभूषित किया गया। मौलाना शेखुल हिद ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए रेशमी रुमाल आदोलन चलाया जो कि भारत को आजाद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलाया गया पहला आद