युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
लंदन एजेंसियां :वायु प्रदूषण का खतरा सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं हैं। घरों में घटता खुलापन और आराम देने वाले आधुनिक उपकरणों से पनप रहा अंदरूनी प्रदूषण भी लोगों को बीमार कर रहा है। यह अंदरूनी प्रदूषण श्वसन रोग समेत फेफड़े की कई बीमारियों कारण बन रहा है। ब्रिटिश विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में यह चेतावनी दी है। अंदरूनी प्रदूषण की अनदेखी : शोधकर्ताओं ने कहा, बाहर के वायु प्रदूषण के खतरों से हम सभी परिचित हैं। यह हर साल ब्रिटेन में 40 हजार और अमेरिका में दो लाख लोगों की असमय मौत का कारण बनता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को इसका अंदाजा नहीं है कि छोटे घर के भीतर की प्रदूषित वायु भी स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। घरेलू उपकरणों का असर : उन्होंने कहा, आजकल ज्यादातर घरों में गैस-चूल्हों का इस्तेमाल किया जाता है। घरों की साफ-सफाई के लिए रासायनिक स्वच्छता उत्पादों का प्रयोग होता है। कमरों को गर्म या ठंडा रखने के लिए एयरकंडीशनर का इस्तेमाल भी आम है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ये सारी चीजें घर की अंदरूनी हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, जिनका असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। ...