पैग़म्बरे इस्लाम (स) के दामाद और उत्तराधिकारी हज़रत अली (अ) जब 19 रमज़ान की सुबह सहरी के बाद सुबह की नमाज़ के लिए मस्जिद में पहुंचे और नमाज़ के दौरान जब वे सज्दे में गए तो इब्ने मुल्जिम नामक व्यक्ति ने ज़हर में बुझी तलवार से उनके सिर पर घातक वार किया। 19 रमज़ान की रात इस्लाम के अनुसार, रमज़ान की उन तीन रातों में से एक है, जिसमें रात भर जागकर इबादत करने का अत्यधित सवाब है। हज़रत अली गंभीर रूप से घायल होने के तीसरे दिन अर्थात 21 रमज़ान की पवित्र रात को शहीद हो गए। 19 और 21 रमज़ान को दुनिया भर के शिया मुसलमान ईश्वर की इबादत के साथ साथ हज़रत अली (अ) की शहादत का शोक भी मनाते हैं और अज़ादारी करते हैं। हज़रत अली (अ) संसार की ऐसी विशिष्ट हस्ती हैं जिनका जन्म पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ था और शहादत मस्जिद में।