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Showing posts from September 6, 2017

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

रोहिंग्या मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश

म्यांमार की सरकारी समाचार एजेन्सी ने सेना द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार के कारण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दबाव को कम करने के लिए मुसलमानों के विरुद्ध ग़लत ख़बरें देना आरंभ कर दी हैं।  म्यांमार ग्लोबल न्यू लाइट आव की रिपोर्ट के अनुसार इस समाचार एजेन्सी ने लोगों को  दिगभ्रमित करने के लिए मुसलमानों पर सेना के हालिया हमलों का लक्ष्य, रोहिंग्या के तथाकथित छापामार गुट से मुक़ाबला करना है।  म्यांमार सरकार की सूचना समिति का दावा है कि अराकान छापामारों ने माउविंग ताव शहर सहित रोहिंग्या के विभिन्न क्षेत्रों पर हमले करके सैकड़ों घरों को जला दिया है और इस क्षेत्र के लोगों का जनंसहार किया है। म्यांमार सरकार का यह दावा एेसी स्थिति में सामने आया है कि ईरान सहित बहुत से देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी रोकथाम की मांग की है। ह्यूमन राइट्स वाॅच की ओर से सैटेलाइट द्वारा ली गयी तस्वीरों से पता चलता है कि राख़ीन प्रांत में बौद्ध चरमपंथियों और सेना के हमलों में बहुत से रोहिंग्या मुसलमान मारे गये हैं। ...

ईरान और तुर्की रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक जुट

ईरान और तुर्की के विदेश मंत्रियों ने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर इस देश की सेना के बर्बर हमलों के बारे में विचार विमर्श किया है। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ और उनके तुर्क समकक्ष मौलूद चाउश ओग़लू ने सोमवार को टेलीफ़ोन पर होने वाली बातचीत में इस मुद्दे पर चर्चा की। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने रोहिंग्या मुसलमानों के नस्लीय सफ़ाए को रोकने के लिए उठाए जाने वाले क़दमों पर विचार किया। ग़ौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार की सेना के ताज़ा हमलों में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और क़रीब एक लाख लोगों ने अपना घरबार छोड़कर बांग्लादेश में शरण ली है। इससे पहले भी बुधवार को ईरानी विदेश मंत्री ज़रीफ़ ने ट्वीट करके रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति विश्व समुदाय की चुप्पी की निंदा की थी और दुनिया के सबसे पीड़ित अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हो रहे ज़ुल्म को रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही की मांग की थी। msm

म्यांमार की खून चूसने वाली डायन

चौतरफ़ा आलोचना झेलने के बाद म्यांमार की नेता आन सान सूची ने आख़िरकार रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में अपनी ज़बान खोली है। सूची ने कहा कि उनका देश रख़ाइन प्रांत में रहने वाले सभी लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है। सूची ने लंबी चुप्पी के बाद यह बयान दिया है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका देश इन लोगों को बचाने  के लिए क्या कोशिश कर रहा है जबकि देश की सेना और सुरक्षा बल ही चरमपंथी बौद्धों के साथ मिलकर रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार कर रहे हैं। सूची ने आरोप लगाया कि चरमपंथी तत्व अपने हित साधने के लिए ग़लत ख़बरें फैला रहे हैं। बताया जाता है कि सूची ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान से टेलीफ़ोन पर बातचीत में यह टिप्पणी की है। सूची लाख कहें कि ग़लत ख़बरें फैलाई जा रही हैं लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों पर जो भयानक अत्याचार हो रहे हैं वह इतने स्पष्ट और दिल दहला देने वाले हैं कि संयुक्त राष्ट्र और इस्लामी देशों सहित विश्व के अनेक देशों और संस्थाओं की ओर से म्यांमार की सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गोटेरस ने कहा क...