जिस वक़्त पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम के पास ईश्वरीय संदेश वही लाने वाले फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल मायदा सूरे की आयत नंबर 67 लेकर उतेर कि जिसमें ईश्वर कह रहा है, हे पैग़म्बर! जो बात आप तक पहुंचायी जा चुकी है उसे लोगों तक पहुंचा दीजिए, पैग़म्बरे इस्लाम किसी बात से बहुत चिंतित थे। उन्हें इस्लाम के भविष्य की ओर से चिंता थी। यही कारण था कि आयत नंबर 67 के संदेश को पहुंचाने में विलंब करते जा रहे थे ताकि उचित समय पर ईश्वर के इस संदेश को लोगों तक पहुंचाएं किन्तु ईश्वर का यह संदेश दुबारा कुछ और बातों के इज़ाफ़े के साथ आया। इस बार के संदेश में एक तरह की धमकी थी। ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम से दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आपने यह संदेश नहीं पहुंचाया तो मानो आपने अपना दायित्व नहीं निभाया। उसके बाद ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम को यह भी संदेश भिजवाया कि वह उन्हें लोगों की ओर से ख़तरे से बचाएगा। दसवीं हिजरी क़मरी का ज़माना था। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज का एलान किया और लोगों को यह कहलवा भेजा कि जिस जिस व्यक्ति में हज करने की क्षमत