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Showing posts from September 9, 2017

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और मोदी सरकार दे रही है अत्याचार का साथ

और जब विलायत अली पर हज़रत उमर ने सबसे पहले बधाई दी, जाने सुन्नी आलिमों की जबानी - ईद ग़दीर

और जब विलायत अली पर हज़रत उमर ने सबसे पहले बधाई दी, जाने सुन्नी आलिमों की जबानी - ईद ग़दीर

विलायत अली . ईद ग़दीर का इतिहास जाने , ईद ग़दीर की फ़ज़ीलत

जिस वक़्त पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम के पास ईश्वरीय संदेश वही लाने वाले फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल मायदा सूरे की आयत नंबर 67 लेकर उतेर कि जिसमें ईश्वर कह रहा है, हे पैग़म्बर! जो बात आप तक पहुंचायी जा चुकी है उसे लोगों तक पहुंचा दीजिए, पैग़म्बरे इस्लाम किसी बात से बहुत चिंतित थे। उन्हें इस्लाम के भविष्य की ओर से चिंता थी। यही कारण था कि आयत नंबर 67 के संदेश को पहुंचाने में विलंब करते जा रहे थे ताकि उचित समय पर ईश्वर के इस संदेश को लोगों तक पहुंचाएं किन्तु ईश्वर का यह संदेश दुबारा कुछ और बातों के इज़ाफ़े के साथ आया। इस बार के संदेश में एक तरह की धमकी थी। ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम से दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आपने यह संदेश नहीं पहुंचाया तो मानो आपने अपना दायित्व नहीं निभाया। उसके बाद ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम को यह भी संदेश भिजवाया कि वह उन्हें लोगों की ओर से ख़तरे से बचाएगा।                        दसवीं हिजरी क़मरी का ज़माना था। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज का एलान किया और लोग...