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Showing posts from December 8, 2015

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

इमाम अली ब्रिगेड के सैनिक ने अकेले ISIS के 1500 आतंकियों का खात्मा किया

अबू अजरायल नामक इस शिया लड़ाके की उम्र  40  साल है। अकेले  IS  के  1500  आतंकियों को मारने की वजह से इसे इराक में हीरो माना जाता है और यह शियाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। अबू तायकवोंडो का चैंपियन रहा है। फिलहाल वह शिया सेना इमाम अली ब्रिगेड ( Shiite Imam Ali Brigade militias ) की ओर से आईएस से जंग लड़ रहा है। आधुनिक हथियारों के अलावा इसे कुल्हाड़ी और तलवार के साथ भी देखा जा सकता है। आईएस के आतंकियों को मारने के बाद यह उनकी लाश की भी बुरी गत बनाता है। अबू को देखकर कई लोगों को  80   के दशक में फिल्मी पर्दे के ऐक्शन हीरो जॉन रैम्बो की याद आ रही है ,   जो अकेले ही नए और पुराने हथियारों की मदद से सेनाओं का खात्मा कर देता था। VIA-  नवभारत टाइम्स