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Showing posts from January 13, 2021

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

30 साल बाद बताया इस्राईल ने कि सद्दाम ने कितनों को मारा था

 इस्राईल के टीवी चैनल " कान " में  " दुश्मनी " नाम से एक डाक्यूमेंट्री फिल्म प्रसारित की गयी जिसमें कुछ अरब नेताओं के बारे में जायोनियों के विचार के बारे में चर्चा की गयी है। डाक्यूमेंट्री फिल्म में यह तक कहा गया है कि अरब और मुस्लिम नेताओं की क़ब्रें भी खोदनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बहुत अत्याचार किये हैं। इस्राईली टीवी पर प्रसारित होने वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म में जमाल अब्दुन्नासिर, इस्राईल के साथ कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अनवर सादात, सद्दाम हुसैन, इमाम खुमैनी, हाफिज़ असद और यासिर अरफात जैसे इस्लामी जगत के बड़े नेताओं की जीवनी पर चर्चा की गयी है। इस फिल्म में इन सभी नेताओं का जम कर अपमान किया गया है और इस्राईली दर्शकों को यह समझाया गया है कि यह सब लोग, अपने अपने देश की जनता के दुश्मन थे। इस पूरी डाक्यूमेंट्री फिल्म  में अरबों  और मुसलमानों की छवि खराब करने का बहुत अधिक प्रयास किया गया है। इस्राईली टीवी पर प्रसारित होने वाली इस डाक्यूमेंट्री में इस्राईल की खुफिया एजेन्सी के कई पूर्व अधिकारियों ने अरब नेताओं की जीवनी के ऐसे राज़ों से पर्दा हटाया है जिन...

अंसारुल्लाह आंदोलन के ख़िलाफ़ अमरीकी कार्यवाही पर यमन के धर्मगुरुओं की जवाबी कार्यवाही. Yemen's religious leaders retaliate against American action against Ansarullah movement

 अलमसीरा टीवी चैनल के मुताबिक़, यमन के धर्मगुरुओं के संघ ने मंगलवार को एक बयान में बल दिया कि अंसारुल्लाह के ख़िलाफ़ अमरीका के इस फ़ैसले से ख़ुद उसी की बदनामी है। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार को कहा कि उनके मंत्रालय ने अंसारुल्लाह को विदेशी आतंकवादी संगठन की सूचि में क़रार देने के फ़ैसले से कॉन्ग्रेस के सूचित कर दिया है। अमरीका के इस फ़ैसले की बहुत से अधिकारी, गुट और दल निंदा कर रहे हैं। अमरीका के मौजूदा विदेश मंत्री पोम्पियो ने ऐसी स्थिति में अंसारुल्लाह के ख़िलाफ़ यह एलान किया है कि क़रीब 6 साल से सऊदी-यूएई गठबंधन यमन की मूल रचानाओं को निशाना बना रहा, यमन की हवाई, समुद्री और ज़मीनी नाकाबंदी कर रखी है, यमनी जनता के लिए बहुत सी मुश्किल खड़ी कर दी हैं और आए दिन बेगुनाह यमनी जनता का नरसंहार करता है, जिसमें मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे निशाना बनते हैं।