तौहीद का मतलब अल्लाह को एक मानना है। दर्शन और तर्क शास्त्र में इस के कई मतलब हैं लेकिन सब का अंत में मतलब यही होता है कि अल्लाह को एक माना जाए। इस संदर्भ में बहुस ती विस्तृत चर्चाओं का बयान हुआ है लेकिन यहाँ पर सब का बयान उचित नहीं होगा।इस लिए यहाँ पर हम तौहीद के केवल उन्हीं अर्थों और परिभाषाओं का बयान करेगें जो ज़्यादा विख्यात हैं। 1. संख्या को नकारनातौहीद की सर्वाधिक विख्यात परिभाषा, अल्लाह के एक होने पर यक़ीन और उसके कई होने को नकारना है। अल्लाह के लिए ऐसी विधिता को नकारना है जो उसके वुजूद से बाहर हो । यह यक़ीन दो या कई अल्लाह में ईमान रखने के विपरीत है। 2. मिश्रण को नकारनातौहीद की दूसरी परिभाषा अल्लाह के अनन्य होने की है यानी वह ऐसा एक है कि जो कई वस्तओं से मिल कर एक नहीं बना है।इस मतलब को प्रायः उसके अवगुणों को नकार कर साबित किया जाता है जैसा कि हम ने दसवें पाठ में इस ओर इशारा किया है। 3. उसके वुजूद से अतिरिक्त गुणों को नकारनातौहीद की एक दूसरे परिभाषा उसके गुणों और उसके वुजूद में अंखडता होना है इस अल्लाह के गुणों को एकल मानना कहा जाता है। इस विपरीत कुछ लोग अल्लाह गुणों क