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Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

अमेरिका ने गोरक्षा समूहों को आतंकी बताया और मोदी सरकार को नाकारा बताया


Image result for american newsवाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2016 में आतंकी गोरक्षा समूहों द्वारा हिंसा किए जाने की घटनाएं बढ़ गईं। रिपोर्ट मं यह कहा गया है कि ज्यादातर घटनाएं मुसलमानों के खिलाफ ही हुईं है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकी गोरक्षकों के खिलाफ भारत में प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने में विफल रहा है। ट्रंप प्रशासन की पहली बार यह रिपोर्ट आई है। इसे विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक संगठनों के लोगों ने यह चिंता जताई है कि भाजपा सरकार के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक बहुत ही कमजोर महसूस करते हैं क्योंकि कट्टरपंथी हिंदूवादी समूह गैर हिंदुओं और उनके धर्म स्थलों के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं। 
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ऐसी रिपोर्ट हैं कि धार्मिक रूप से प्रेरित हत्याएं की गईं, हमले किए गए, दंगे किए गए, भेदभाव और तोड़फोड़ की गई तथा लोगों को धार्मिक आस्था पर अमल करने से रोकने की कार्रवाई की गई। रिपोर्ट में कहा गया है  कि आतंकी  गोरक्षा समूहों द्वारा हत्याएं किए जाने, पीट-पीटकर हत्या किए जाने तथा धमकाने जैसी हिंसक घटनओं में बढ़ोतरी हुई तथा ज्यादातर घटनाएं मुसलमानों के खिलाफ हुईं। 


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नियोग प्रथा पर मौन, हलाला 3 तलाक पर आपत्ति ? एक बार जरुर पढ़े

3 तलाक एवं हलाला पर आपत्ति जताने वाले आखिर नियोग प्रथा पर खामोश क्यों हैं, हलाला ठीक है या ग़लत कम से कम विवाहित महिला शारीरिक संबंध अपने पति से ही बनाती है! पर नियोग प्रथा से संतान सुख के लिए किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! यह कितना बड़ा अत्याचार और पाप हुआ? नियोग प्रथा क्या है? हिन्दू धर्म में एक रस्म है जिसे नियोग कहते है , इस प्रथा के अनुसार किसी विवाहित महिला को बच्चे पैदा न हो रहे हो तो वो किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! नियोग प्रथा के नियम हैं:- १. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिए करेगी न कि आनंद के लिए। २. नियुक्त पुरुष केवल धर्म के पालन के लिए इस प्रथा को निभाएगा। उसका धर्म यही होगा कि वह उस औरत को संतान प्राप्ति करने में मदद कर रहा है। ३. इस प्रथा से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिक रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा , नियुक्त व्यक्ति का नहीं। ४. नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।

जन्म पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ और शहादत मस्जिद में

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चुगली,ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना। इस्लामी शिक्षाओं में बहुत ज़्यादा आलोचना की गयी है

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अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का अपमान करना जायज़ नहीं है - शिया सुन्नी एकता

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उन्नीसवी रात यह शबे क़द्र की पहली रात है और शबे क़द्र के बारे में कहा गया है कि यह वह रात है जो पूरे साल की रातों से अधिक महत्व और फ़ज़ीलत रखती है, और इसमें किया गया अमल हज़ार महीनों के अमल से बेहतर है शबे क़द्र में साल भर की क़िस्मत लिखी जाती है और इसी रात में फ़रिश्ते और मलाएका नाज़िल होते हैं और इमाम ज़माना (अ) की ख़िदमत में पहुंचते हैं और जिसकी क़िस्मत में जो कुछ लिखा गया होता है उसको इमाम ज़माना (अ) के सामने पेश करते हैं। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि इस रात में पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करे और दुआएं पढ़ता रहे और अपने आने वाले साल को बेहतर बनाने के लिए अल्लाह से दुआ करे। शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है। वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं 1. ग़ुस्ल (सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी ग़ुस्ल के साथ पढ़ा जाय) 2. दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार अलहम्द और सात बार तौहीद (क़ु

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