युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई का यूरोपीय जवानों के नाम पत्र अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: फ्रांस में अंधे आतंकवाद के नतीजे में जो दर्दनाक घटनाएं घटित हुईं उन्होंने एक बार फिर मुझे आप जवानों से बात करने पर मजबूर कर दिया है। मेरे लिए यह बहुत ही अफसोस की बात है कि इस तरह की घटनाएं आप जवानों के साथ बातचीत का कारण बनती हैं। लेकिन सच यही है कि अगर इस तरह की दर्दनाक घटनाएँ आपसी सलाह, परामर्श और सोचने समझने तथा उपाय ढ़ूंढ़ने के लिए रास्ता तैयार न करें तो नुक़सान और बढ़ जाएगा। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले इंसान का दुख अपने आप में पूरी मानव जाति के लिए दुख का विषय है। ऐसे सीन कि जिनमें बच्चा अपने घर वालों के सामने मौत को गले लगा रहा हो, माँ कि जिसकी वजह से उसके परिवार की खुशियां गम में बदल जाएं, पति जो अपनी पत्नी के बेजान शरीर को तेजी के साथ किसी दिशा में लिए जा रहा हो या वह तमाशाई जिसे यह नहीं मालूम कि वह कुछ सेकंडों के बाद अपनी ज़िंदगी का अंतिम सीन देखने वाला है, यह ऐसे सीन नहीं हैं कि जिससे किसी इंसान की भावनाएं प्रभावित न हों। हर वह आदमी कि जिस में मुहब...