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Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

मोदी सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों को रोहिंग्या मुसलमानों की एंट्री न होने के लिए दिया निर्देश

मोदी सरकार के रोहिंग्या मुसलमानों पर शिकंजा कसने के साथ केंद्रीय एजेंसियों को भारत में रोहिंग्या के प्रवेश के सभी संभावित रास्तों की पहचान करने और उन पर रोक लगाने के लिए अधिकतम इंतजाम करने को कहा गया है। याद रहे म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ अत्याचार के चलते लोग पलायन कर अपनी जाने बचाने के लिए भारत आते हैं पर मोदी सरकार मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को कोई महत्व नहीं दे रही है  लगता ऐसा है के ट्रम्प को खुश करने के लिए यह सब किया जा रहा है 

म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों की जाच करने वाली टीम को म्यांमार सरकार ने रोका

  म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के जारी घातक दमन के बीच इस देश में मानवाधिकार की स्थिति की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से नियुक्त की गयीं आज़ाद प्रतिवेदक को म्यांमार सरकार ने आने से मना कर दिया है। यूएन की विशेष प्रतिवेदक यांगही ली का जनवरी से ही दक्षिण-पूर्वी देश म्यांमार का दौरा विलंबित होता आया है। वह म्यांमार के पश्चिमी राज्य राख़ीन में रोहिंग्या मुसलमानों के व्यापक स्तर पर हो रहे दमन सहित म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा करना चाहती हैं। म्यांमार की सरकार ने यांगही ली को दौरा करने से मना कर दिया और उनसे कहा है कि जब तक वे इस पद पर रहेंगी उन्हें म्यांमार आने नहीं दिया जाएगा। यह बात यांगही ली ने बुधवार को अपने एक बयान में कही। उन्होंने कहा कि यह इस बात का चिन्ह है कि राख़ीन राज्य में ज़रुर कुछ भयंकर हुआ है जिसे छिपाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने अपने बयान में कहा, "मुझे सौंपी गयी ज़िम्मेदारी के साथ सहयोग न करने के इस एलान को इस गंभीर चिन्ह के रूप में देखा जाएगा कि राख़ीन सहित इस देश के बाक़ी क्षेत्रों में कुछ भयंकर हो रह

रोहिंग्य मुसलमानों के नरसंहार के लिए म्यांमार सरकार को दोषी - ह्यूमन राइट्स वॉच

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने रोहिंग्य मुसलमानों के नरसंहार और उनके ऊपर किए गए मानवता को शर्मसार करने वाले अत्याचारों के लिए म्यांमार सरकार को दोषी ठहराया है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ह्यूमन राइट्स वॉच ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद से मांग की है कि वह म्यांमार पर आर्थिक प्रतिबंधों के साथ-साथ हथियारों के ख़रीदने पर भी प्रतिबंध लगाए।  ह्यूमन राइट्स वॉच के लीगल एंड पॉलिसी डायरेक्टर, जेम्स रोज़  का कहना है कि म्यांमार की सेना राख़ीन प्रांत से रोहिंग्या मुसलमानों को ज़बरदस्ती निकाल रही है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थियों के मामलों के विभाग ने कहा है कि 4 लाख 80 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान, जो शरणार्थी शिवरों में रह रहे हैं, उनके लिए खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए दोगुने बजट की आवश्कता है। इस बीच म्यांमार सरकार के प्रवक्ता ने ह्यूमन राइट्स वॉच के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि जिससे यह साबित हो कि म्यांमार सरकार मानवता विरोधी कार्यवाहियों में शामिल है। उल्लेखनीय है कि  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प

अज़ादारी ऐ इमाम हुसैन (अ स) के मकसद को समझे

विचार:रियाज़ अब्बास आब्दी   अज़ादारी सिर्फ इमाम हुसैन की याद में मजलिस व मातमदारी का नाम नहीं है बल्कि ज़ालिम तानाशाहों के ज़ुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाने का नाम भी अज़ादारी है  अल्लाह के लिए अपनी दुनियावी आरज़ूओं पर लगाम लगाने का नाम अज़ादारी है  एक दुसरे से किसी को तकलीफ न पहुंचे,किसी का दिल न दुखे यह अज़ादारी है  शहीदे कर्बला के किरदारों, कुर्बानियों, सबर को अपनी ज़िन्दगी में अमलीजामा पहनाने का नाम अज़ादारी है  अपने प्यार अपने किरदार से दुश्मन को भी अपना दोस्त बनाने पर मजबूर कर देने का नाम अज़ादारी है  भूके को खाना खिलाना, प्यासे की प्यास बुझाना, मजलूम का साथ देने का नाम अज़ादारी है   दुनियावी परेशानियों में घिरे होने के बाद भी अल्लाह को न भूलने का नाम अज़ादारी है किसी के हक को दिलाने और देने का नाम नाम अज़ादारी है  ओरतों की इज्ज़त और बच्चों को प्यार करने का नाम अज़ादारी है  दोस्ती निभाना, भाई का भाई के लिए कुर्बानी देने का नाम अज़ादारी है  हक के लिए अपनी जान,मालो दोलत गवाने का नाम अज़ादारी है  यतीमों, मिसकीनों, मुसाफिरों, जरुरतमंदों की मदद करने का नाम अज़ादारी है  जालिमों, का

मुहर्रम की तैयारियां में जुटे “महफ़ूज़ ऐ अज़ादारी” के रजाकार - नौगावां सादात

पिछले दो दिनों से नौगावां सादात में “महफ़ूज़ ऐ अज़ादारी” के रजाकारों ने आमदे आयामें अज़ा के लिए तैयारियो में जुटे हैं एवं “महफ़ूज़ ऐ अज़ादारी” की ओर से तहसील नौगावां सादात के SDM को  ज्ञापन दे कर  मुहर्रम में होने वाले कार्यकर्मों में सुरक्षा की मांग की है एवं “महफ़ूज़ ऐ अज़ादारी” के द्वारा किए जाने वाले कार्यकलापों से  अवगत कराया है  फोटो रिपोर्ट देखें -  

"विश्व अली असग़र दिवस" मोहर्रम की पहली तारीख़ मनाया जाएगा

"अली असग़र विश्व दिवस" इस वर्ष 22 सितम्बर शुक्रवार को 41 देशों में एक साथ मनाया जाएगा। "अली असग़र विश्व दिवस" कार्यक्रम का आयोजन करने वाली संस्था के अध्यक्ष दाऊद मनाफ़ी ने एक प्रेसवार्ता में बताया है कि हज़रत इमाम हुसैन (अ) के 6 महीने के दूध पीते बेटे हज़रत अली असग़र (अ) की याद में आयोजित होने वाले "अली असग़र विश्व दिवस" इस वर्ष इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की पहली तारीख़ अर्थात 22 सितम्बर शुक्रवार को ईरान सहित दुनिया के 41 देशों में मनाया जाएगा।   संस्था के अध्यक्ष ने बताया कि अली असग़र विश्व दिवस के अवसर पर ईरान से छोटे बच्चों के पहनने के लिए तैयार सफ़ेद और हरे रंग के लगभग एक लाख कपड़े दुनिया के 41 देशों में भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया हज़रत अली असग़र के नाम से "अली असग़र विश्व दिवस" का आयोजन करने वाली उनकी संस्था ने दुनिया की आठ भाषाओं जिनमें, अरबी, उर्दू, अंग्रेज़ी, रूसी, आज़री, तुर्की इस्तांबूली, स्वाहिली और  हौसा भाषा हैं। इस संस्था ने एक किताब भी प्रकाशित की है जिसके द्वारा दुनियाभर के लोगों तक इमाम हुसैन (अ) और हज़रत

इराक़ के कुर्दिस्तान क्षेत्र में दूसरा इस्राईल, कुर्दों ने लहराया इस्राईली झंडा

इराक़ के कुर्दिस्तान क्षेत्र में जनमत संग्रह का समर्थन करने वालों ने हाथों में इस्राईल का ध्वज लेकर प्रदर्शन किया है। इराक़ से अलग होने का समर्थन करने वाले कुर्दों ने हाथों में इस्राईली झंडे उठाकर इराक़ के पूर्व प्रधान मंत्री नूरी अलमालेकी की उस बात को सही साबित कर दिया है कि इलाक़े में एक और इस्राईल बनाए जाने की साज़िश रची जा रही है। इराक़ के पूर्व प्रधान मंत्री एवं उप राष्ट्रपति नूरी अलमालेकी ने कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने कि लिए आयोजित कराए जाने वाले जनमत संग्रह का विरोध करते हुए कहा है कि हम इलाक़े में एक और इस्राईल नहीं बनने देंगे। क्षेत्रीय देशों एवं विश्व समुदाय के विरोध के बावजूद, इस्राईल कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने का सबसे अधिक समर्थन कर रहा है। कुर्दिस्तान के प्रमुख मसूद बारेज़ानी ने न केवल कुर्दिस्तान क्षेत्र में जनमत संग्रह के आयोजन का एलान किया है, बल्कि तेल से समृद्ध इराक़ के किरकूक प्रांत में भी जनमत संग्रह आयोजित कराने की बात कही है। हाल ही में बारेज़ानी ने दाइश का सफ़ाया करने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वयं सेवी बल हश्दुश्शाबी को कुर्दों

म्यांमार के मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा अपराध का खुला उदाहरण है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख ने कहा है कि म्यांमार के मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा, जातीय सफ़ाए और मानवता के विरुद्ध अपराध का खुला उदाहरण है।  न्यायपालिका के प्रमुख आयतुल्लाह सादिक़ आमुली लारीजानी ने सोमवार को न्यायपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में म्यांमार के मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अपराध उस व्यक्ति के समर्थन से अंजाम पा रहे हैं जिसने शांति का नोबल पुरस्कार प्राप्त किया है और विश्व समुदाय भी इस त्रासदी पर पूरी तरह चुप है। आमुली लारीजानी ने स्पष्ट किया कि विश्व समुदाय कुछ लोगों के बहकावे में आकर एक देश के विरुद्ध कड़े से कड़ा प्रतिबंध लगाता है किन्तु इस प्रकार की हिंसाओं के सामने केवल साधारण का खेद प्रकट करके रह जाता है। न्यायपालिका प्रमुख ने इसी सीरिया और इराक़ में प्रतिरोध के मोर्चे की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रीय देशों और ज़ायोनी शासन के समर्थन से अस्तित्व में आने वाले आतंकवादी गुट ईरान के मूल्यवान समर्थन से इराक़ और सीरिया की सेना और स्वयं सेवी बलों की सहातया से पूरी तरह तबाह हो रहे हैं। आयतुल्लाह आमुली लारी

एकता: दशकों से मुस्लिम समाज नौगावां सादात में रामलीला का आयोजन करा रहें हैं

नौगावां सादात में श्रीधार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वावधान में रामलीला का मंचन शुरू हो गया। कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अब्बास किट्टी हिन्दू भाइयों की पूजा-अर्चना के बाद फीता काट कर मंचन का शुभारंभ किया। बता दें कि नौगावां सादात की रामलीला सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। इस मौके पर   कमेटी के  उपाध्यक्ष  इंद्र जीत सिंह , सुदेश बाल्मीकि ,  आफताब अडवाणी , आशोक कुमार , शबाब हैदर,  व देवेश  मौजूद रहे।  उत्तरप्रदेश के तहसील नौगावां सादात एक मुस्लिम बहूसंख्यक क्षेत्र है पर यहाँ हिन्दू - मुस्लिम एक साथ मिलकर अपने अपने त्यौहार मिलकर मनाते हैं  इसी लिए यहाँ एकता की  मिसाल मौजूद है।  नौगावां सादात की रामलीला पुरे भारत में सद्भाव की मिसाल है। यहां के मुसलमान 1973 से रामलीला का मंचन कर रहे हैं जो पुरे भारत के लिए एक सन्देश है । यहाँ के मुस्लमान चंदा देने से लेकर विजयादशमी तक कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। रामलीला प्रबंध कमेटी भी मुस्लिम ही चला रहे हैं। श्री धार्मिक रामलीला कमेटी का गठन 1973 में समाजसेवी एवं भाजपा के  पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य सुवार्गीय अहसान अख्तर ने किया था वे  कमेटी के प

बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में बताएं। पैरंट्स को अलर्ट रहना होगा

बच्चों की सेफ्टी की जिम्मेदारी आपकी भी गुरुग्राम के रायन इंटरनैशनल स्कूल में दूसरी क्लास के प्र द्युम्न की निर्मम हत्या हो या दिल्ली के टैगोर स्कूल में 5 साल की बच्ची के साथ रेप का मामला। ये खबरें खौफ पैदा करने के साथ ही पैरंट्स को अलर्ट भी कर रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरंट्स अपने बच्चों की सेफ्टी के लिए घर-मोहल्ले के अलावा उनके स्कूल के बारे में भी पूरी जानकारी रखें। पैरंट्स की जानकारी में उन सभी लोगों की लिस्ट होनी चाहिए जो बच्चे के स्कूल पहुंचने से लेकर लौटने तक बच्चे के संपर्क में आते हैं। साथ ही स्कूल में सुरक्षा के इंतजामों की भी पूरी खबर होनी चाहिए। इसके अलावा बच्चे को आम बातचीत के जरिए सेक्शुअल अब्यूज और गुड टच-बैड टच के बारे में भी बताएं। मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि बच्चे की स्कूल में सेफ्टी की जिम्मेदारी जितनी स्कूल की है, उतनी ही पैरंट्स की भी है। ऐसे में थोड़ी मेहनत तो उन्हें भी करनी चाहिए। बढ़ रहा है बच्चों के खिलाफ क्राइम नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में देशभर में बच्चों के खिलाफ क्राइम के 94 हजार 172 केस दर्ज किए गए जिसमें स

पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान,म्यांमार में 4 हज़ार से भी अधिक रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या कर दी गई

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में व्यापक कवरेज के बावजूद, रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सेना के ताज़ा बर्बर हमले जारी हैं। पिछले दो हफ़्तों के दौरान, म्यांमार के सैनिकों ने क़रीब 4 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया है और 3 लाख से भी अधिक रोहिंग्या जान बचाकर बांग्लादेश भाग चुके हैं। फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, रोहिंग्या कार्यकर्ता एवं लेखक नी सान लूईन का कहना है कि म्यांमार सरकार, नस्लीय सफ़ाया कर रही है। हम अराकान (रखाइन) प्रांत के मूस निवासी हैं, लेकिन सरकार हमें यहां से भगाना चाहती है। लूईन के मुताबिक़, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान, म्यांमार के सैनिकों और बौद्ध चरमपंथियों ने 4 हज़ार से भी अधिक रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या कर दी है। उन्होंने बताया कि म्यांमार के सैनिक बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों पर रहम नहीं कर रहे हैं। सैनिकों ने केवल एक ही गांव में 1500 पीड़ित मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया। लुईन का कहना है कि हमारे पास केवल 4000 लोगों के मारे जाने की सूचना है, हालांकि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है। रो

सऊदी अरब के क्रोर हमले में 13 आम नागरिक हताहत :यमन

सऊदी अरब के युद्धक विमानों ने यमन के मआरिब प्रांत पर बमबारी कर दी जिसमें 13 आम नागरिक हताहत हो गये। हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में इसी प्रकार 11 आम नागरिक घायल भी हुए हैं। ज्ञात रहे कि सऊदी अरब ने 26 मार्च वर्ष 2015 से यमन पर हमला आरंभ कर रखा है जिसमें अब तक 1200 से अधिक व्यक्ति हताहत और दसियों हज़ार घायल तथा लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। सऊदी अरब यमन के त्यागपत्र  दे चुके राष्ट्रपति मंसूर हादी को सत्ता में दोबारा पहुंचाना चाहता है किन्तु यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों के कड़े प्रतिरोध के कारण सऊदी अरब और उसके घटक किसी भी लक्ष्य में सफल नहीं हो सके हैं। यमन पर सऊदी अरब के हमलों में 12 हज़ार से अधिक यमनी हताहत, दसियों हज़ार घायल और लाखों विस्थापित हो चुके हैं। इन हमलों के कारण यमन का आधार भूत ढांचा बुरी तरह तबाह हो चुका है। यमन पर सऊदी अरब के हमलों के कारण इस निर्धन देश में दवाओं और खाद्य पदार्थों की भीषण कमी का सामना है जिसके कारण ख़तरनाक बीमारियां फैल रही हैं। (AK)       

ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य अक्षय कुमार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताई

ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य अक्षय कुमार ने कहा कि हमारी संस्था को मिलने वाले सबूत म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जाने वाले भयावह अपराधों को दर्शाते हैं। अक्षय कुमार ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि म्यांमार के राख़ीन प्रांत के रोहिंग्या मुसलमान वर्षों से जारी संगठित अपराध, हिंसा और भेदभाव का शिकार हैं कहा कि म्यांमार की सेना और बौद्ध चरमपंथियों के हमलों में मारे गए और बेघर होने वालों की रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या चिंताजनक सीमा पर पहुंच गई है। ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य ने कहा कि उपग्रह और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त चित्रों और समाचारों की समीक्षा से यह सिद्ध होता है कि राख़ीन प्रांत में 22 से अधिक क्षेत्रों को पूरी तरह जलाकर राख कर दिया गया है। ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य अक्षय कुमार ने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची से, जो म्यांमार की विदेश मंत्री और सरकार की वरिष्ठ सलाहकार हैं मांग की है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को जल्द से जल्द रुकवाने की कोशिश करें। इस बीच, यमन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन अंसारूल्लाह के प्रमुख ने

रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को रोकने के लिए म्यांमार सरकार पर दबाव डालने की तैयारी में जुटा ईरान

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने कहा है कि इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य देश के राष्ट्राध्यक्ष, रोहिंग्या पलायनकर्ताओं की सहायता की आवश्यकता तथा मुसलमानों के जनसंहार को रुकवाने के लिए म्यांमार सरकार पर दबाव डालने पर एकमत हैं। डाक्टर हसन रूहानी क़िरक़िज़िस्तान की राजधानी आस्ताना में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ओआईसी के शिखर सम्मेलन तथा रोहिंग्या मुसलमानों की समीक्षा के लिए आयोजित विशेष बैठक में भाग लेने के बाद स्वदेश लौट आए। उन्होंने तेहरान हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को रोकने के लिए म्यांमार सरकार पर दबाव डालने के बारे में इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष एकमत हैं। उन्होंने कहा कि क़ज़ाक़िस्तान, तुर्की, आज़रबाइजान गणराज्य और उज़बेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों से द्विपक्षीय मुलाक़ात में अत्याचार ग्रस्त रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति पर इस्लामी जगत के गंभीर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इससे पहले डाक्टर हसन रूहानी और तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने रोहिंग्या मुसलमा

म्यांमार: आंग सान सू ची की रोहिंग्या मुसलमानों पर दिए गए बयान से दुनिया भर में आलोचना

म्यांमार की नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची की रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति पर दिए गए उनके बयान के लिए दुनिया भर में आलोचना हो रही है। ग़ौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सेना के ताज़ा हमलों में हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं और 3 लाख से अधिक लोगों ने अपना घरबार छोड़कर बांग्लादेश में शरण ली है। रोहिंग्या संकट पर चुप्पी साधने वाली म्यांमार की नेता सू ची ने पिछले हफ़्ते दावा किया था कि मीडिया में रोहिंग्या मुसलमानों के संकट के बारे में ग़लत रिपोर्टिंग हो रही है। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में समस्त लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की जाती है। दुनिया भर में शांति का नोबल पुरस्कार हासिल करने वाली सू ची की इन बयानों को लेकर कड़ी निंदा की जा रही है और मांग की जा रही है कि उनसे शांति का नोबल पुरस्कार वापस लिया जाए। हालांकि दुनिया के सभी नेता आंग सान सू ची का आलोचना में एकमत नहीं हैं। उदाहरण स्वरूप भारतीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल उनकी आलोचना करने से इनकार कर दिया, बल्कि उन्हें समर्थन का आश्वसन दिया है। msm  

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और मोदी सरकार दे रही है अत्याचार का साथ

और जब विलायत अली पर हज़रत उमर ने सबसे पहले बधाई दी, जाने सुन्नी आलिमों की जबानी - ईद ग़दीर

और जब विलायत अली पर हज़रत उमर ने सबसे पहले बधाई दी, जाने सुन्नी आलिमों की जबानी - ईद ग़दीर

विलायत अली . ईद ग़दीर का इतिहास जाने , ईद ग़दीर की फ़ज़ीलत

जिस वक़्त पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम के पास ईश्वरीय संदेश वही लाने वाले फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल मायदा सूरे की आयत नंबर 67 लेकर उतेर कि जिसमें ईश्वर कह रहा है, हे पैग़म्बर! जो बात आप तक पहुंचायी जा चुकी है उसे लोगों तक पहुंचा दीजिए, पैग़म्बरे इस्लाम किसी बात से बहुत चिंतित थे। उन्हें इस्लाम के भविष्य की ओर से चिंता थी। यही कारण था कि आयत नंबर 67 के संदेश को पहुंचाने में विलंब करते जा रहे थे ताकि उचित समय पर ईश्वर के इस संदेश को लोगों तक पहुंचाएं किन्तु ईश्वर का यह संदेश दुबारा कुछ और बातों के इज़ाफ़े के साथ आया। इस बार के संदेश में एक तरह की धमकी थी। ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम से दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आपने यह संदेश नहीं पहुंचाया तो मानो आपने अपना दायित्व नहीं निभाया। उसके बाद ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम को यह भी संदेश भिजवाया कि वह उन्हें लोगों की ओर से ख़तरे से बचाएगा।                        दसवीं हिजरी क़मरी का ज़माना था। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज का एलान किया और लोगों को यह कहलवा भेजा कि जिस जिस व्यक्ति में हज करने की क्षमत