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Showing posts from December, 2020

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

चीन में 16,000 मस्जिदों को ध्वस्त या क्षतिग्रस्त कर दिया है

 ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन के उत्तर पश्चिम में स्थित शिनजियांग प्रांत में 16,000 मस्जिदों को ध्वस्त या क्षतिग्रस्त कर दिया है, यह संख्या कुल मस्जिदों की 65 फ़ीसद है। एएसपीआई ने दावा किया है कि उसके पास सैटेलाइट इमेजिज़ और दस्तावेज़ हैं, जिनके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। अधिकांश मस्जिदों को पिछले तीन वर्षों के दौरान, तोड़ा गया है। एक अनुमान के मुताबिक़, 8,500 मस्जिदों को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया गया है। अकसर मस्जिदों को उरूमक़ी और काशगर के शहरी इलाक़ों में तोड़ा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक़, जिन मस्जिदों को ध्वस्त नहीं किया गया है, उनके गुबंदों और मीनारों को तोड़ दिया गया है। एक अनुमान है कि शिनजियांग में ऐसी 15,500 मस्जिदे हैं, जिनका स्वरूप बदल दिया गया है। अगर यह आंकड़ें सही हैं, तो 1960 के बाद से इस इलाक़े में मस्जिदों की संख्या सबसे कम होगी। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि शिनजियांग स्थित बौद्ध मंदिरों और चर्चों को नहीं तोड़ा गया है। एएसपीआई का कहना है कि चीन, शिनजियांग की स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को मिटाने की कोश

अमेरिका ने ईरानी अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पर लगाई पाबंदी!

 ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर अधिकतम दबाव की नीत के तहत अब शिक्षक संस्थानों की भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है और ईरान के क़ुम शहर स्थित अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पर प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिसकी शाख़ाएं ईरान और दुनिया के कई शहरों में फैली हुई हैं। अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी करके ट्रम्प प्रशासन के इस क़दम की कड़ी आलोचना की है। बयान में कहा गया है कि इस वास्तविकता के बावजूद कि यह धार्मिक शिक्षा संस्थान, विश्व विश्वविद्यालय संघ का सदस्य है, उसे निशाना बनाया गया है। जहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र दनिया भर में तर्क और उदारता का प्रचार कर रहे हैं और जिसके वैज्ञानिक प्रकाशनों का उद्देश्य, विभिन्न राष्ट्रों के बीच शांति, सद्भावना और भाईचारा फैलाना है बयान में आगे कहा गया है कि ईरानी यूनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लागू करना, अमरीकी प्रशासन के साम्राज्यवादी स्वभाव को उजाकर करता है, जो विज्ञान और शिक्षा पर अपना एकाधिकार चाहता है मंगलवार को ट्रम्प प्रशासन ने अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के साथ-साथ यमन में ईरान के नए राजदूत के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों की घोषणा की थी

अमरीका में कोविड-19 का टीका लगाने से 6 लोगों की हुयी मौत 6 killed in America due to vaccination of Covid-19

अमरीका के फ़ूड ऐन्ड ड्रग ऑर्गनाइज़ेशन ने बताया है कि देश में फ़ाइज़र-बायोएनटेक कंपनी के टीका लगने के दौरान 6 लोगों की मौत हो गयी। तस्नीम न्यूज़ के मुताबिक़, फ़ाइज़र कंपनी ने अपने टीके के कोरोना वायरस से निपटने में 95 फ़ीसद कामयाब होने का एलान किया था, लेकिन अमरीका के फ़ूड ऐन्ड ड्रग ऑर्गनाइज़ेशन का कहना है कि इस देश में हफ़्ते के अंत तक अब तक 6 लोगों की कोरोना के टीके लगवाने से मौत हो चुकी है।  ये लोग फ़ाइज़र के टीके के टेस्ट होने की प्रक्रिया में अपनी मर्ज़ी से शामिल हुए थे। फ़ाइज़र अमरीकी कंपनी है और बायोएनटेक जर्मन कंपनी है। इन दोनों ने मिल कर कोरोना का टीका बनाया है। किसान सरकार को झुकाना जानते हैं | जब किसानो ने मुख्यमंत्री को झुकाया स्पुतनिक न्यूज़ के मुताबिक़, इन 6 लोगों में 2 लोगों की तो टीका लगते ही मौत हो गयी जबकि बाक़ी 4 की टीका इस्तेमाल करने के कुछ दिन के भीतर मौत हुयी। मरने वालों में ज़्यादातर की उम्र 55 साल से ज़्यादा थी। एक की ब्रेन हैम्रेज से, एक की आथ्रोस्क्लोरोसिस से और दो की हार्ट अटैक से मौत हुयी। इस्लाम कब मुकम्मल होता है?اسلام کب مکمل ہوتا ہے؟ ब्रिटेन के बाद अब अमर

आज़रबाइन-आर्मीनिया शांति समझौते के बाद जलती आग में अब फ़्रांस ने डाला तेल

 इस  बीच एक नई घटना यह हुई है कि फ़्रांस की संसद में एक बिल पास किया गया जिसमें कराबाख़ को एक स्वाधीन देश के रूप में मान्यता देने की स्वीकृति दी गई है। प्रस्ताव ग़ैर बाध्यकारी है जो संसद के ऊपरी सदन से एक सप्ताह पहले ही पारित हो चुका है जबकि निचले सदन से भी इसे मंज़ूरी मिल गई है। इस घटना के बाद आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय ने बाकू में फ़्रांस के राजदूत ज़ाकारी ग्रोस को तलब करके भारी आपत्ति जताई।आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने फ़्रांसीसी राजदूत से कहा कि फ़्रांस की संसद में पास होने वाला बिल संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विरुद्ध है साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और हेलसेन्की समझौते का भी हनन होता है।विदेश मंत्रालय ने अलग से एक बयान में कहा कि हम फ़्रांस की संसद में पास होने वाले बिल का पुरज़ोर विरोध करते हैं। आज़रबाइजान की सरकार ने यह मांग भी रखी है कि आर्मीनिया के साथ जारी विवाद में फ़्रांस को मध्यस्थ की भूमिका से हटा दिया जाए। आज़रबाइजान और आर्मीनिया के बीच 9 नवम्बर को संघर्ष विराम का समझौता हुआ जिसके नतीजे में आर्मीनिया ने कराबाख

रूसी न्यूज़ एजेन्सी का कहना है की अमरीका नहीं, ईरान अपनी इन शर्तों पर परमाणु समझौते करेगा

  जो बाइडन के कुछ सलाहाकर यहां तक कि खुद वह भी ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में वापसी की बात करते हैं लकिन उसके लिए कुछ शर्तें पेश करते हैं, कुछ युरोपीय देशों ने भी उनके इस रुख का स्वागत किया है लेकिन सच्चाई यह है कि कानूनी लिहाज़ से अमरीका की परमाणु समझौते में वापसी, ईरान की शर्तों को पूरा किये जाने पर निर्भर है न किसी और की शर्तों को।      ईरान के साथ किया गया परमाणु समझौता कोई खाली घर नहीं है कि जब अमरीका का दिल चाहे घुस जाए और जब चाहे निकल जाए।      सब को पता है कि परमाणु समझौता के मुख्य दो पक्ष, ईरान और अमरीका थे जो ईरानियों और अमरीकियों के बीच लंबी वार्ता के बाद किया गया था। ईरान का प्रतिनिधित्व ईरानी विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ और अमरीका का वहां के विदेशमंत्री जान कैरी कर रहे थे।      परमाणु समझौते के में उपस्थिति अन्य देश और युरोपीय संघ सब के सब परमाणु समझौते में दोनों पक्षों के वचनों के पालन की प्रक्रिया की निगरानी की ज़िम्मेदारी रखते थे और इसी के साथ ईरान ने परमाणु समझौते  को सुरक्षा परिषद में पारित कराने की मांग की जिसकी वजह से सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव क्रमांक  2231 जारी किया ल

French President Micron attacks Muslims. फ्रेंच राष्ट्रपति का लोकतंत्र अपने दरबार में झूठे मौलवियों को बुलाने की दावत दे रहा है ।