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Showing posts from November, 2015

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

ISIS आतंकी संगठन सत्ता का भूका है उसका इस्लाम से लेना देना कुछ नही है

 लेखक: गुस्तावो डी अरिस्तेगुई।।भारत में स्पेन के राजदूत  इस्लामिक स्टेट (आईएस) का बढ़ता प्रभाव नई समस्या नहीं है। यह दरअसल, पुरानी समस्या का नया पहलू है। जिहाद के नाम की जाने वाली इन हरकतों से मुकाबले के लिए सबसे जरूरी सही तरीके से इसकी परिभाषा तय करना है। मैं इस पर पिछले 35 साल से स्टडी कर रहा हूं और चार किताबें लिख चुका हूं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि आईएस जो कर रहा है, वह इस्लाम नहीं बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा है। यह संगठन इस्लाम की गलत व्याख्या कर इसे हिंसा और राक्षसी प्रवृत्ति वाली इकाई बनाना चाहता है। आईएस के मुताबिक, दुनिया में जो भी मुसलमान उसके नियमों को नहीं मानता है, उसे वह धर्म भ्रष्ट मानता है। धर्म भ्रष्ट आईएस के लिए धर्म को नहीं मानने वाले से ज्यादा खतरनाक हैं। हिंदू, ईसाई या यहूदी धर्मों के लोग इस्लाम के अनुयायी नहीं हैं, लेकिन अगर मुसलमान आईएस के नियमों को नहीं मानते हैं, तो वे उसकी नजर में धर्म भ्रष्ट हैं। जब कोई यह संगठन जॉइन करता है, तो मर्डर के जरिए उसे मजहबी तौर पर पाक बनाया जाता है। आईएस का मजहब या इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। वह सत्ता चा

बांग्लादेश, नाइजीरिया, इराक में आतंकी हमले में शिया मुस्लमान शहीद

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में शिया मुसलमानों की एक मस्जिद में शेतानी आतंकवादी संगठन आईएस ने हमला किया जिस में चार लोग शहीद हो गए  और सेकड़ों  घायल  घायल हो गए । नाइजीरिया में इमाम हुसैन अ स की याद में मातमी जलूस  पर आतंकवादी हमले में कम से कम 21 अज़ादार शहीद और कई घायल हुए हैं। नाइजीरिया के मोहम्मद तोरी ने बताया कि यह विस्फोट दाका सोए नामक गांव में उस समय हुआ जब शिया नुसलमन  बड़ी संख्या में अज़ादारी ए इमाम हुसैन अ स के जुलूस में शामिल थे। बताया गया कि आतंकवाद की इस कार्रवाई में इक्कीस लोग शहीद और कई घायल हुए हैं। जानकारी के अनुसार एक आत्मघाती हमलावर को पकड़ लिया गया है। जिसने स्वीकार किया कि उसे बोको हराम ने आत्मघाती विस्फोट प्रशिक्षण देकर भेजा है। नाइजीरिया में इससे पहले भी कई बार, शिया मुसलमानों की  मजालिस/ मातमदारी  पर हमले होते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चरमपंथी आतंकवादियों का गुट बोको हराम नाइजीरिया और उसके पड़ोसी देशों में सक्रिय है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बोको हराम सत्रह हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। आलम ट

पेशावर में आतंकवादी हमले में एक शहीद

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी के अनुसार पेशावर की सबसे बड़ी मातमी अंजुमन के प्रमुख सैयद इमदाद हुसैन शाह को चरमपंथी आतंकवादियों ने शहीद कर दिया है। शियत न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह चरमपंथी आतंकवादियों ने एक शिया मोमिन सैयद इमदाद शाह को गोली मार  कर शहीद किया , इमदाद शाह का संबंध पेशावर शहर के सबसे बड़ी मातमी अंजुमन से  था रिपोर्टों के अनुसार गंज में मोमेनीन का विरोध जारी है। Via -  ABN 24

सुन्नी मुसलमानो ने शिया धर्म गुरु हज़रत आयतुल्लाह सीस्तानी साहब का सुन्नी भाइयों की हमदर्दी के प्रति उनका आभार व्यक्त किया।

अहलेबैत (अ) न्यूज़ एजेंसी अबना के अनुसार इराक के अंबार के प्रांतीय परिषद ने हज़रत आयतुल्लाह सीस्तानी को एक पत्र लिखकर इराक में जारी समस्याओं खासकर सुन्नी क्षेत्रों के प्रति उनकी हमदर्दी पर उनका आभार व्यक्त किया है। अंबार प्रांत में अतंकियों के माध्यम से घेरे को तंग किए जाने के बाद शियों के इस मरजए तक़लीद ने एक बयान जारी किया था, जिसे उनके प्रतिनिधि के माध्यम से कर्बला में जुमे की नमाज में पढ़ा गया था जिसमें इराकी सेना और सार्वजनिक स्वयंसेवकों को इस प्रांत में सहायता भेजने की अपील की गई थी। इस बयान के बाद इराकी सेना और सार्वजनिक स्वयंसेवकों ने अंबार में प्रवेश किया और आईएस का मुकाबला करके लोगों की जानों की रक्षा करने में सफल रहे। अंबार प्रांत के सरकारी अधिकारियों ने भी अपने पत्र में आयतुल्लाह सीसतानी का आभार व्यक्त किया है। Via - ABNA 24

यह है एक सच्चे मुस्लमान का कर्तव्य - इस्लाम की असल पहचान

इस्लाम की शिक्षा एक नया मुस्लिम ईसाइ नौजवान ‘‘ ज़करिया बिन इब्राहीम‘‘ इमाम सादिक़ (अ) की खि़दमत में हाजि़र हुआ और कहने लगा के:  मेरी बूढ़ी और नाबीना (अंधी) माँ ईसाइ है। इमाम (अ) ने फ़रमाया के: अपनी माँ की देख भाल करो और उसके साथ एहसान और नेकी से पेश आओ। जिस वक़्त ज़करिया अपनी माँ के पास वापस गया तो इमाम के हुक्म के मुताबिक़ अपनी माँ से बहुत मेहरबानी से पेश आने लगा। एक रोज़ माँ ने ज़करिया से मालूम किया के: बेटा! किस वजह से तू मेरी इतनी खि़दमत और देख भाल कर रहा है?  ज़करयिा ने जवाब दिया के: ऐ मादर ! मेरे मौला (इमाम सादिक़ (अ)) जो ख़ातमुल अंबिया हज़रत मुहम्मद (स) की नस्ल से हैं, ने हुक्म दिया है के मैं तुम्हारी देख भाल और खि़दमत में मशग़ूल रहँू। माँ ने सवालात के बाद कहा के: ऐ बेटा ! दीने इस्लाम बेहतरीन दीन है। इस दीन की मुझे भी तालीम दो ताके मैं मुसलमान हो जाऊँ। (बिहारुल अनवार, अल्लामा मजलिसी, जिल्द 71, पेज 53, बाब 2, हदीस न0 11 का ख़ुलासा ) Via -  Paighambar Nauganvi

अफगानिस्तान में आईएस आतंकवादी संगठन ने 7 लोगों के सिर कलम कर दिए

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी। दक्षिणी अफगानिस्तान क्षेत्र ज़ाबुल में आतंकवादी संगठन आईएस ने 7 लोगों को अपहरण कर के उनके सिर कलम कर दिए हैं जिनका संबंध शिया हजारा समुदाय से है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि आईएस आतंकवादी संगठन ने शिया हजारा के इन सात लोगों के सिर कलम कर दिए हैं जिन्हें उन्होंने अपहरण कर रखा था। आईएस आतंकवादी संगठन के  हाथों अफगानिस्तान के प्रांत ज़ाबुल में शहीद किए गए 7 शिया हजारा व्यक्तियों में 4 पुरुष तीन महिलाओं और एक युवा शामिल हैं। यहाँ के लोग बहुत गुस्से में हैं गजनी में बड़ी संख्या में लोगों ने आईएस आतंकवादी संगठन विरोध किया है। Via - abna24.com

लेबनान में चरमपंथी आतंकवादीयो के हमले में 41 लोग शहीद और 181 लोग घायल हुए हैं।

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी। लेबनान की राजधानी ज़अहया शिया नशीन क्षेत्र '' बरज़ ालबराजना '' में दो आत्मघाती हमले होने की सूचना प्राप्त हुई है। लेबनानी मीडिया के अनुसार आत्मघाती हमलावरों भीड़भाड़ वाली सड़क अल हुसैनिया में स्थित हुसैनिया  इमाम हुसैन (अ) के पास दो विस्फोट किए गए  जिनके कारण 41 लोग शहीद और 181 लोग घायल हुए हैं। लेबनान के प्रधानमंत्री ने इन धमाकों के बाद कल शुक्रवार को सामान्य शोक की घोषणा की है। गौरतलब है कि बेरूत के दक्षिण क्षेत्र ज़अहया जो शिया नशीन क्षेत्र है इससे पहले भी कई बार चरमपंथी आतंकवादीयो ने  हमलों का निशाना बनाया गया है।   Via - abna24.com

इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम पर सलाम हो

       इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कर्बला की महान घटना के बाद लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। सज्जाद, इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को एक प्रसिद्ध उपाधि थी। महान ईश्वर की इच्छा से इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कर्बला में जीवित बच गये था ताकि वह कर्बला की महान घटना के अमर संदेश को लोगों तक पहुंचा सकें।        इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के ज्येष्ठ सुपुत्र हैं और 36 हिजरी क़मरी में उनका जन्म पवित्र नगर मदीने में हुआ और 57 वर्षों तक आप जीवित रहे। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के जीवन का महत्वपूर्ण भाग कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद आरंभ हुआ। कर्बला की महान घटना के समय इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम बीमार थे और इसी कारण वे कर्बला में सत्य व असत्य के युद्ध में भाग न ले सके।         कर्बला की घटना का एक लेखक हमीद बिन मुस्लिम लिखता है “आशूर के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्लाम के शहीद हो जाने के बाद यज़ीद के सैनिक इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के पास आये। वह बीमार और बिस्तर पर सोये हुए थे। चूंकि यज़ीद की सैनिकों को यह आदेश द