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Showing posts from October 16, 2015

घबराओ नहीं[जरुर पढे]

युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...

पहली मोहर्रम जालूस के चित्र - नौगावां सादत अज़ादारी

Photo Via -  Mr Ali Haider

अज़ादारी आतंकवाद व अन्याय के खिलाफ एक मिशन

क्या आप महान व सर्वसमर्थ ईश्वर से प्रेम करने वाले व्यक्तियों को पहचानते हैं? ईश्वर से प्रेम करने वालों का हृदय उसके प्रेम में डूबा होता है। वे लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं और वे हर उस कार्य के लिए कदम बढ़ाते हैं और प्रयास करते हैं जिसमें महान ईश्वर की प्रसन्नता होती है। वे महान ईश्वर के प्रेम में रातों को उपासना करते हैं, प्रार्थना करते हैं और पवित्र कुरआन की तिलावत करते हैं। वे दुनिया में रहते हैं कार्य व प्रयास करते हैं परंतु कभी भी वे दुनिया के क्षणिक आनंदों के धोखे में नहीं आते और पवित्र कुरआन के अनुसार ईश्वर के प्रेम में जीवन बिताने वाले व्यक्ति को व्यापार उसकी याद से निश्चेत नहीं कर सकते। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उन महान हस्तियों में से एक हैं जो ईश्वरीय प्रेम की प्रतिमूर्ति थे और पवित्र कुरआन के अस्तित्व से मिश्रित हो गये थे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम, हज़रत अली और हज़रत फातेमा ज़हरा की गोद में पले बढ़े थे और बाल्याकाल से ही वह ईश्वरीय ग्रंथ पवित्र कुरआन से पूर्णरूप से परिचित थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने प्रसिद्ध कथन में कहा है कि हमारे परिजन और...

भलाई का आदेश देने और बुराई से रोकने का एक मार्ग अज़ादारी है

कर्बला की घटना इतिहास की सीमित घटनाओं में से एक है और इतिहास की दूसरी घटनाओं में इसका एक विशेष स्थान है। यद्यपि कर्बला की घटना सन् ६१ हिजरी क़मरी की है परंतु १४ शताब्दियां बीत जाने के बावजूद इस घटना की ताज़गी आज भी है बल्कि वास्तविकता यह है कि इस घटना को बीते हुए जितना अधिक समय गुजर रहा है उतना ही वह विस्तृत होती जा रही है और उसके नये नये आयाम व प्रभाव सामने आते जा रहे हैं। जब कर्बला की महान घटना हुई थी तब बनी उमय्या के शासकों ने इसकी वास्तविकताओं को बदलने की हर संभव चेष्टा की। उन्होंने सबसे पहला कार्य यह किया कि आशूरा के दिन खुशी मनाई और उसे अपनी विजय दिवस के रूप में मनाया परंतु जब उनके अत्याचारों एवं अपराधों से पर्दा उठ गया तो उन्होंने उसका औचित्य दर्शाने की भरपूर चेष्टा की। बनी उमय्या के शासकों के बाद के भी शासकों ने आशूरा की महान घटना को मिटाने का प्रयास किया। कभी उन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के महाआंदोलन के उद्देश्यों को परिवर्तित करने का प्रयास किया और कभी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अज़ादारों एवं श्रृद्धालुओं के लिए समस्याएं उत्पन्न कीं। अब्बासी शासकों ने भी ७०० वर्षों तक...

कर्बला की एतिहासिक घटना और महाआंदोलन समस्त इतिहास और पूरी मानवता के लिए सीख है

मोहर्रम आने पर बहुत से लोग यह सोचने लगते हैं कि आखिर क्या वजह है कि १४ शताब्दियां बीत जाने के बावजूद आज भी लोग इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाते हैं। प्रायः होता यही है कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो कुछ दिनों और सालों के बाद उसकी याद कम हो जाती है या लोग उसे भुला देते हैं परंतु इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को शहीद हुए १४ शताब्दियां बीत गयीं हैं परंतु उनकी याद में मनाये जाने वाले शोक न केवल कम नहीं हो रहे हैं बल्कि उनमें दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। मोहर्रम में जहां जहां इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाया जाता है चारों ओर लोग काले वस्त्र धारण करते हैं। बहुत से लोग यह सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि अज़ादारी का रहस्य व कारण क्या है? हर समाज की अतीत की घटनाएं उस समाज पर यहां तक कि दूसरे समाजों पर भी विभिन्न प्रभाव डाल सकती हैं। अगर अतीत की घटना लाभदायक एवं प्रभावी होती है तो उसके प्रभाव भी लाभदायक होते हैं। दूसरी ओर अगर वह समाज अतीत की महत्वपूर्ण घटनाओं को भुला देता है तो उससे मानव समाज के लिए बहुत क्षति पहुंचती है। क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं के लिए हर राष्ट्र व समाज को बहुत कुछ ...