इस्लाम की शिक्षा एक नया मुस्लिम ईसाइ नौजवान ‘‘ ज़करिया बिन इब्राहीम‘‘ इमाम सादिक़ (अ) की खि़दमत में हाजि़र हुआ और कहने लगा के: मेरी बूढ़ी और नाबीना (अंधी) माँ ईसाइ है। इमाम (अ) ने फ़रमाया के: अपनी माँ की देख भाल करो और उसके साथ एहसान और नेकी से पेश आओ। जिस वक़्त ज़करिया अपनी माँ के पास वापस गया तो इमाम के हुक्म के मुताबिक़ अपनी माँ से बहुत मेहरबानी से पेश आने लगा। एक रोज़ माँ ने ज़करिया से मालूम किया के: बेटा! किस वजह से तू मेरी इतनी खि़दमत और देख भाल कर रहा है? ज़करयिा ने जवाब दिया के: ऐ मादर ! मेरे मौला (इमाम सादिक़ (अ)) जो ख़ातमुल अंबिया हज़रत मुहम्मद (स) की नस्ल से हैं, ने हुक्म दिया है के मैं तुम्हारी देख भाल और खि़दमत में मशग़ूल रहँू। माँ ने सवालात के बाद कहा के: ऐ बेटा ! दीने इस्लाम बेहतरीन दीन है। इस दीन की मुझे भी तालीम दो ताके मैं मुसलमान हो जाऊँ। (बिहारुल अनवार, अल्लामा मजलिसी, जिल्द 71, पेज 53, बाब 2, हदीस न0 11 का ख़ुलासा ) Via - Paighambar Nauganvi