युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
न्यू जर्सी के अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सेवानिवृत्त सीआईए एजेंट माल्कॉम हावर्ड (79 वर्ष) ने कई सनसनीखेज़ खुलासे किए हैं । ज़िंदगी के आखिरी पडाव पर खड़े माल्कॉम कहते हैं कि मेरे पास अब कुछ ही वक्त बाकी है और वो ये बताना चाहते हैं कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर धमाके की साजिश में वो शामिल थे। हावर्ड ने सीआईए के लिए एक ऑपरेटर के रूप में काम किया है । सिविल इंजीननियर के रूप में ट्रेंड हावर्ड 80 के दशक की शुरुआत में सीआईए में शामिल होने के बाद एक विस्फोटक विशेषज्ञ बन गए । उन्होंने कहाकि 1997 ले 2001 के बीच सीआईए के संचालन में काम किया और उस वक्त सीआईए ऊपर से आने वाले आदेशों पर काम कर रहा था ।वे उन 4 ऑपरेटर्स की एक सेल का हिस्सा थे जो सुनिश्चित करने में कामयाब रहा कि ब्लास्ट कामयाब रहा । हावर्ड ने कहाकि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का विध्वंस उनके जीवन का इकलौता अनोखा विध्वंस रहा है । उन्होंने कहा कि वो एक सच्चे देशभक्त हैं इसीलिए उन्होंने वाइट हाउस या सीआईए के निर्णयों पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया है । लेकिन अब उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं कुछ ऐसा था जो सही नहीं था । उन्होंने कहाकि ये विस्...