युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर अधिकतम दबाव की नीत के तहत अब शिक्षक संस्थानों की भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है और ईरान के क़ुम शहर स्थित अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पर प्रतिबंधों की घोषणा की है, जिसकी शाख़ाएं ईरान और दुनिया के कई शहरों में फैली हुई हैं। अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी करके ट्रम्प प्रशासन के इस क़दम की कड़ी आलोचना की है। बयान में कहा गया है कि इस वास्तविकता के बावजूद कि यह धार्मिक शिक्षा संस्थान, विश्व विश्वविद्यालय संघ का सदस्य है, उसे निशाना बनाया गया है। जहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र दनिया भर में तर्क और उदारता का प्रचार कर रहे हैं और जिसके वैज्ञानिक प्रकाशनों का उद्देश्य, विभिन्न राष्ट्रों के बीच शांति, सद्भावना और भाईचारा फैलाना है बयान में आगे कहा गया है कि ईरानी यूनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लागू करना, अमरीकी प्रशासन के साम्राज्यवादी स्वभाव को उजाकर करता है, जो विज्ञान और शिक्षा पर अपना एकाधिकार चाहता है मंगलवार को ट्रम्प प्रशासन ने अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के साथ-साथ यमन में ईरान के नए राजदूत के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों की घोषणा क...