हसद का मतलब होता है किसी दूसरे इंसान में पाई जाने वाली अच्छाई और उसे हासिल नेमतों की समाप्ति की इच्छा रखना। हासिद इंसान यह नहीं चाहता कि किसी दूसरे इंसान को भी नेमत या ख़ुशहाली मिले। यह भावना धीरे धीरे हासिद इंसान में अक्षमता व अभाव की सोच का कारण बनती है और फिर वह हीन भावना में ग्रस्त हो जाता है। हसद में आमतौर पर एक तरह का डर भी होता है क्योंकि इस तरह का इंसान यह सोचता है कि दूसरे ने वह स्थान, पोस्ट या चीज़ हासिल कर ली है जिसे वह ख़ुद हासिल करना चाहता था। हासिद इंसान हमेशा इस बात की कोशिश करता है कि अपने प्रतिद्वंद्वी की उपेक्षा करके या उसकी आलोचना करके उसे मैदान से बाहर कर दे ताकि अपनी पोज़ीशन को मज़बूत बना सके। वास्तव में हसद करने वालों की मूल समस्या यह है कि वह दूसरों की अच्छाइयों और ख़ुशहाली को बहुत बड़ा समझते हैं और उनकी ज़िंदगी की कठिनाइयों व समस्याओं की अनदेखी कर देते हैं। हासिद लोग, दूसरे इंसानों की पूरी ज़िंदगी को दृष्टिगत नहीं रखते और केवल उनकी ज़िंदगी के मौजूदा हिस्से को ही देखते हैं जिसमें ख़ुशहाली होती है। कुल मिला कर यह कि हासिद लोगों के मन में अपने और दूसरों की ज़िं