युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
अल-अवामिया निवासियों ने खबर दी है कि इस शहर की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है चूंकि सऊदी सैनिकों के हमलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
सऊदी शिया बहुल क्षेत्र अल-अवामिया में सऊदी सेना के हमले लगातार तीन महीने से जारी हैं। जिसमें अब तक 26 लोग सऊदी अधिकारियों के हाथों शहीद हो चुके हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि इस शहर की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि आले सऊद के कारिंदे सड़कों पर पड़े शहीदों के जनाज़े भी उठाने नहीं दे रहे हैं।
आले सऊद ने घरों की छतों पर स्नाइपर शूटर तैनात कर रखे हैं तथा मज़लूमों तक कोई सहायता नहीं पहुँचने दे रहे हैं।
अल-अवामिया में बड़ी मुश्किलों के बाद अपने घर से निकलने में सफल होने वाली एक महिला का कहना है कि इन क्षेत्रों में पिछले तीन दिन से खाने के लिए कुछ नहीं है।
सोशल मीडिया पर अलअवामिया की हालि और सऊदी हमलों से पहले की तस्वीरें भी शेयर हो रही हैं जिनमें स्पष्ट अंतर को महसूस किया जा सकता है।
आले सऊद के अत्याचार से परेशान अब तक सैकड़ों लोग आसपास के गांवों में शरण ले चुके हैं।
तेल भंडार से मालामाल यह शिया बहुल क्षेत्र आले सऊद के अन्याय और उनके अत्याचारों के खिलाफ 2011 से ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है।
आले सऊद ने अपना विरोध करने वाले कई लोगों को कैद किया हुआ है तथा कई लोगों को शहीद कर दिया गया है।
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