वरिष्ठ नेता ने अपने वर्चुअल संबोधन के शुरू में 14वीं हिजरी शम्सी शताब्दी की शुरूआत और 15वीं हिजरी शम्सी शताब्दी की शुरुआत की तुलना करते हुए कहा कि पिछली शताब्दी में रज़ा ख़ान के तानाशाही शासन की शुरूआत हुई, जो वास्तव में रज़ा ख़ान द्वारा और उसके हाथों ब्रिटिश तख़्तापलट था। उन्होंने कहा कि रज़ा ख़ान का शासन ब्रिटेन पर निर्भर था। लेकिन 15वीं शत्बादी के पहले साल में देश में चुनाव हैं, जिसका मतलब है कि देश में जनता के मतों के आधार पर स्वाधीन सरकार का शासन है। इस साल जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों का ज़िक्र करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव देश में एक पुनर्निमाण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से देश के कार्यकारी हिस्सों को ताज़ा दम किया जाएगा। आयतुल्लाह ख़ामेनई का कहना था कि कुछ देशों की जासूसी एजेंसियां विशेष रूप से अमरीका और ज़ायोनी शासन की जासूसी एजेंसियां कुछ समय से जून में होने वाले चुनावों का रंग फीका करने का प्रयास कर रही हैं और इस उद्देश्य तक पहुंचने के लिए चुनाव के आयोजकों पर (चुनावी) इंजीनियरिंग का आरोप लगा रही हैं और लोगों हतोत्साहित कर रही हैं कि तुम्हारे वोट का कोई महत्व