सहीफ़ए सज्जादिया में रमज़ानुल मुबारक की श्रेष्ठता सहीफ़ए सज्जादिया की दुआ 44 में रमज़ानुल मुबारक के बारे में इमाम सज्जाद अ. नें कुछ बातें की हैं आज उन्हीं को आपके सामने बयान करना चाहता हूँ हालांकि यहाँ अपने प्रिय जवानों से यह भी कहना चाहता हूं कि कि सहीफ़ए कि सहीफ़ए सज्जादिया को पढ़ें, इसका अनुवाद पढ़ें, यह हैं तो दुआएं लेकिन इनमें ज्ञान विज्ञान का एक समन्दर है। सहीफ़ए सज्जादिया की सभी दुआओं में और इस दुआ में भी ऐसा लगता है कि एक इन्सान ख़ुदा के सामने बैठा लॉजिकल तरीक़े से कुछ बातें कर रहा है, बस अन्तर यह है कि उसकी शक्ल दुआ है। उसका महीना दुआ के शुरू में इमाम फ़रमाते हैं ’’أَلحمَدُلِلَّهِ الَّذِى جَعَلَنَا مِن أَهلِهِ‘‘ ख़ुदा का शुक्र कि उसनें हमें अपनी हम्द (प्रशंसा) करने की तौफ़ीक़ (शुभ अवसर) दी। हम उसकी नेमतों को भूले नहीं हैं और उसकी हम्द और शुक्र करते हैं। उसनें हमारे लिये वह रास्ते खोले हैं जिनके द्वारा हम उसकी हम्द कर सकें और उन रास्तों पर चल सकें। फिर फ़रमाते हैं- ’’ وَالحَمدُلِلَّهِ الَّذِى جَعَلَ مِن تِلكَ السُّبُلُ شَهرِهِ شَهرَ رَمَضَان‘‘ हम्द और तारीफ़ उ