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Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

परवरिश दो तरह की होती हैः रसूले ख़ुदा सल्लल लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम

1- जिस्मानी परवरिश    2- रूहानी-ज़ेहनी  परवरिश जिस्मानी परवरिश में पालने-पोसने की बातें आती हैं। रूहानी-ज़ेहनी परवरिश में अख़लाक़ और कैरेक्टर को अच्छे से अच्छा बनाने की बातें होती हैं। इस लिए पैरेंट्स की बस यही एक ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह अपने बच्चों के लिए सिर्फ़ अच्छा खाने, पीने, पहनने, रेहने और सोने की सहूलतों का इन्तेज़ाम कर दें बल्कि उन के लिए यह भी ज़रूरी है कि वह खुले दिल से और पूरे खुलूस के साथ बच्चों के दिलो-दिमाग़ में रूहानी और अख़लाक़ी वैल्यूज़ की जौत भी जगाते रहें। समझदार पैरेंट्स अपने बच्चों पर पूरी संजीदगी से तवज्जोह देते हैं। वह अपने बच्चों के लिए रहने सहने की अच्छी सहूलतों के साथ-साथ उनके अच्छे कैरेक्टर, हुयूमन वैल्यूज़, अदब-आदाब और रूह की पाकीज़गी के ज़्यदा ख़्वाहिशमन्द होते हैं। आईये देखें रसूले इस्लाम (स.) इस बारे में हज़रत अली (अ.) से क्या फ़रमाते हैं। "ऐ अली! ख़ुदा लानत करे उन माँ-बाप पर जो अपने बच्चे की ऐसी बुरी परवरिश करें कि जिस की वजह से आक करने की नौबत आ पहुँचे। "रसूले ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया हैः- "अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर

आतंवाद की आग से 10 लाख से अधिक निर्दोष शिया मुसलमान मारे जा चुके हैं

ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसी MI-6 के पूर्व प्रमुख ने एक बड़ा रहस्योद्घाटन करते हुए कहा है कि सऊदी अरब की ख़ुफ़िया एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष ने हिटलर की शैली में शिया मुसमानों के नरसंहार की योजना बनाई थी। अल-आलम की रिपोर्ट के मुताबिक़, MI-6 के पूर्व प्रमुख ने तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश के गठन की साज़िश से पर्दा उठाते हुए कहा, सऊदी अरब की ख़ुफ़िया एजेंसी के पूर्व प्रमुख बंदर बिन सुल्तान ने कहा था कि नाज़ियों ने जो कुछ यहूदियों के साथ किया था, हम शियों और अलवियों के साथ भी वैसा ही करेंगे। द इंडीपेंडेट अख़बार ने रिचर्ड डीयरलव के हवाले से लिखा है कि रियाज़ ने उत्तरी इराक़ पर क़ब्ज़े के लिए दाइश की सहायता की, क्योंकि उसका यह क़दम शिया मुसलमानों के जनसंहार की योजना का ही भाग था। डीयरलव ने पिछले हफ़्ते एक ब्रितानी संस्था से कहा था कि 11 सितम्बर 2001 की न्यूयॉर्क की घटना से पहले बंदर बिन सुल्तान ने मुझसे कहा था कि मध्यपूर्व में वह दिन दूर नहीं है कि जब एक अरब से अधिक सुन्नी शियों को सफ़ाया कर देंगे। डीयरलव ने उल्लेख किया कि बंदर बिन सुल्तान की योजना व्यवहारिक हो रही है और 2003 के बाद से आत्मघ

विशेष : हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत पर हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम को पुरसा

आज इमाम हसन असकरी की शहादत का दिन है। 8 रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है। उन्होंने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और अब्बासी शासक ‘मोतमद’ के किराए के टट्टुओं के हाथों इराक़ के सामर्रा इलाक़े में ज़हर से आठ दिन तक दर्द सहने के बाद शहीद हो गए। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अहलेबैत सच्चाई व हक़ के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो क़ीमती यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक अल्लाह की किताब क़ुरआन और दूसरे मेरे अहलेबैत। मेरे अहलेबैत सारे इंसानों के लिए नजात की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म 232 हिजरी क़मरी में मदीने में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए इसलिए मुसलमानों की हिदायत व मार्गदर्शन की ज़िम्मेदारी इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम बाद इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कांधों पर आ गई और उन्होंने अल्लाह के हुक्म के अनुसार इंसानी समाज को सुधारने और सच्चाई के रास्ते पर लगाने में अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी। इमाम हसन अस

नौगांवा सादात में नाइजीरिया सेना द्वारा नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन

नौगांवा सादात जिला अमरोहा - उत्तर प्रदेश  में नाइजीरिया सेना द्वारा नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन एवं शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख ज़कज़की की रिहाई  की मांग की गई जिस में शिया धर्म के के धर्मगुरूओ के अलावा हज़ारों की संख्या में लोग मौजूद रहे !  मालूम रहे के नाइजीरिया सेना की सेना ने वरिष्ठ धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन इब्राहीम ज़कज़ाकी को पिछले हफ्ते  उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया गया था और  इससे पहले नाइजीरिया की सेना ने  ज़ारिया नगर में स्थित बक़ीयतुल्लाह नामक इमामबाड़े पर भी हमला करके कई लोगों को गोलियों से भून दिया था जिस में काफी लोग शहीद हुए !  जानकारी के अनुसार शिया धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन इब्राहीम आतंकी संगठन बोको हराम , अल क़ायदा , ISIS का विरोध प्रदर्शन  कर रहे थे जिस की वजह से विरोध  प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली मार कर शहीद , और कुछ को घायल कर दिया ! इस लिए पूरी दुनिया में नाइजीरिया सेना द्वारा नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं और शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख ज़कज़की की रिहाई की मांग की जा रही है !

कहाँ है Human Rights : नाइजीरियाई सैनिकों ने 1 हज़ार से अधिक निहत्थे शिया मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया

एक मानवाधिकार संगठन ने कहा है कि हाल ही में नाइजीरियाई सैनिकों द्वारा शिया मुसलमानों के नरसंहार के बाद उन्हें सामूहिक क़ब्रों में दफ़्नाए जाने के उसके पास पुख़्ता सुबूत हैं। ब्रिटेन स्थित इस्लामी मानवाधिकार संगठन आईएचआरसी ने बुधवार को कहा है कि नाइजीरियाई सेना ने वरिष्ठ शिया धर्मगुरू के घर पर चढ़ाई के दैरान मारे गए सैकड़ों लोगों को ख़ुफ़िया तरीक़े से सामूहिक क़ब्रों में दफ़्न कर दिया है। आईएचआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरियाई सैनिकों ने 1 हज़ार से अधिक निहत्थे शिया मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया है  मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मसूद शदजरह ने नाइजीरियाई सैनिकों द्वारा शिया मुसलमानों के योजनाबद्ध नरसंहार में 1,000 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि की है। शदजरह का कहना था कि एक हज़ार से अधिक निहत्थे निर्दोष लोगों को युजनाबद्ध तरीक़े से मार डाला गया। वास्तविकता यह है कि यह सब जो कुछ किया गया है, घोर अन्याय है। उल्लेखनीय है कि 13 दिसम्बर को वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शेख़ इब्राहीम ज़कज़की की गिरफ़्तारी का विरोध करने वाले सैकड़ों शिया मुसलमानों की नाइजीरियाई सैनिकों ने बर

इस्लाम दान देने और क्षमा करने का नाम है

एक दिन इमाम हसन (अ) घोड़े पर सवार कहीं जा रहे थे कि शाम अर्थात मौजूदा सीरिया का रहने वाला एक इंसान रास्ते में मिला। उस आदमी ने इमाम हसन को बुरा भला कहा और गाली देना शुरू कर दिया। इमाम हसन (अ) चुपचाप उसकी बातें सुनते रहे, जब वह अपना ग़ुस्सा उतार चुका तो इमाम हसन (अ) ने उसे मुसकुरा कर सलाम किया और कहने लगेः ऐ शेख़, मेरे विचार में तुम यहां अपरिचित हो और तुमको धोखा हो रहा है, अगर भूखे हो तो तुम्हें खाना खिलाऊं, अगर कपड़े चाहिये तो कपड़े पहना दूं, अगर ग़रीब हो तो तुम्हरी ज़रूरत पूरी कर दूं, अगर घर से निकाले हुये हो तो तुमको पनाह दे दूं और अगर कोई और ज़रूरत हो तो उसे पूरा करूं। अगर तुम मेरे घर आओ और जाने तक मेरे घर में ही रहो तो तुम्हारे लिये अच्छा होगा क्योंकि मेरे पास एक बड़ा घर है तथा मेहमानदारी का सामान भी मौजूद है। सीरिया के उस नागरिक ने जब यह व्यवहार देखा तो पछताने और रोने लगा और इमाम को संबोधित करके कहने लगाः मैं गवाही देता हूं कि आप ज़मीन पर अल्लाह के प्रतिनिधि हैं तथा अल्लाह अच्छी तरह जानता है कि अपना प्रतिनिधित्व किसे प्रदान करे। आप से मिलने से पहले आपके पिता और आप मेरी निगाह

पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की सहनशीलता पुरे विश्व के लिए सीख का मार्ग है

पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब जिस रास्ते से गुजरते थे उस पर रोजाना एक बुढ़िया कूड़े फेंक देती थी  ,आप खुद पर पड़े कूड़े को साफ़ करके आगे निकल जाते थे,ये सिलसिला कई रोज़ चला ,एक रोज़ कूड़ा ऊपर से नही फेंका गया ,दूसरे रोज़ भी ,तो पैगम्बर साहब ने अपने अनुयायियों से पूछा की वो बूढी औरत कहाँ है,लोगों ने बताया की वो बीमार है ! आप तुरंत उसका हाल चाल लेने उसके घर जा पहुचे ,बुढ़िया आपको देख कर घबराई और कहने लगी आज जब मैं बीमार हूँ,कमज़ोर हूँ तो तुम मुझसे बदला लेने आये हो ,पैगम्बर साहब ने इतना सुनते ही  कहा 'नही ,मैं तो आपकी  मिजाजपुर्सी के लिए आया हूँ,ये देखने आया हूँ की अब तुम ठीक हो ! यह सुनना था और उस  बूढी महिला ने पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब से माफ़ी मांगी और अल्लाह पर ईमान ले आई और मुस्लमान हो गई! इस कथा से साफ साफ मालूम हो जाता है  इस्लाम लोगों से मोहब्बत करना सिखाता है नफरत करना मुसलमानों का धर्म नही , पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की  सहनशीलता पुरे विश्व के लिए सीख का मार्ग है। 

मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप लगाने वाले खुद आतंकवाद के परम पिता हैं - डा रहसन रूहानी

कैबिनेट की बैठक को संबोधित करते हुए ईरान के राष्ट्रपति डा   रहसन  रूहानी ने  कहा कि बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप वो लगा रहे हैं जिन लोगों ने  खुद इस क्षेत्र में आतंकवाद का बीज बोया है। राष्ट्रपति ने कहा  कि आतंकवादियों को हथियार कौन प्रदान कर रहा है और वो कौन है जो आतंकवादियो से  तेल खरीद कर विश्व बाजार में बेच रहा है ?  डॉक्टर हसन  रूहानी ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि कुछ देश आतंकवादियों के हाथ मजबूत कर रहे हैं ईरान के राष्ट्रपति डा   रहसन  रूहानी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन और उसको  मजबूत करने वालों को जवाबदेह होना ही होगा । Via -  अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी।

लो खुल गई पोल - ISIS अतंकवादियो का इलाज इस्राईल में हो रहा है

ब्रिटिश समाचार चैनेलों ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें दिखाया गया है कि इस्राईली सैनिक, सीरिया में सक्रिय एक घायल आतंकी का उपचार कर रहे हैं। डेली मेल द्वारा जारी वीडियो में दिखाया गया है कि सीरिया के सीमावर्ती गोलान हाइट्स स्थित क्षेत्र में कुछ आतंकवादी घायल हो जाते हैं, घायल आतंकियों की सहायाता के लिए ज़ायोनी शासन के कमांडो सीरिया की सीमा में घुसकर घायल आतंकवादियों को अतिग्रहित फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में लाते हैं और उनका प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें एम्बुलेंस द्वारा दूसरे स्थान पर भेज दिया जाता है। ब्रिटिश मीडिया के अनुसार ज़ायोनी शासन ने पिछले तीन वर्षों के दौरान लगभग 2 हज़ार तकफ़ीरी आतंकवादियों का उपचार करके उनकी जान बचाई है, आतंकियों के उपचार में इस्राईल ने 1 करोड़ 30 लाख डॉलर ख़र्च किए हैं। दूसरी ओर दमिश्क़ सरकार का कहना है कि पश्चिम और मध्यपूर्व में उसके सहयोगी, सीरिया में लगातार तकफ़ीरी आतंकवादियों की सहायाता कर रहे हैं और यह ऐसी स्थिति में है कि जब कई बार सीरियाई सेना ने आतंकवादियों के पास से इस्राईल द्वारा निर्मित हथियारों को ज़ब्त किया है। ज्ञात रहे कि 1967 में हु

इमाम अली ब्रिगेड के सैनिक ने अकेले ISIS के 1500 आतंकियों का खात्मा किया

अबू अजरायल नामक इस शिया लड़ाके की उम्र  40  साल है। अकेले  IS  के  1500  आतंकियों को मारने की वजह से इसे इराक में हीरो माना जाता है और यह शियाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। अबू तायकवोंडो का चैंपियन रहा है। फिलहाल वह शिया सेना इमाम अली ब्रिगेड ( Shiite Imam Ali Brigade militias ) की ओर से आईएस से जंग लड़ रहा है। आधुनिक हथियारों के अलावा इसे कुल्हाड़ी और तलवार के साथ भी देखा जा सकता है। आईएस के आतंकियों को मारने के बाद यह उनकी लाश की भी बुरी गत बनाता है। अबू को देखकर कई लोगों को  80   के दशक में फिल्मी पर्दे के ऐक्शन हीरो जॉन रैम्बो की याद आ रही है ,   जो अकेले ही नए और पुराने हथियारों की मदद से सेनाओं का खात्मा कर देता था। VIA-  नवभारत टाइम्स

आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई का यूरोपीय जवानों के नाम पत्र

हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनई का यूरोपीय जवानों के नाम पत्र   अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: फ्रांस में अंधे आतंकवाद के नतीजे में जो दर्दनाक घटनाएं घटित हुईं उन्होंने एक बार फिर मुझे आप जवानों से बात करने पर मजबूर कर दिया है। मेरे लिए यह बहुत ही अफसोस की बात है कि इस तरह की घटनाएं आप जवानों के साथ बातचीत का कारण बनती हैं। लेकिन सच यही है कि अगर इस तरह की दर्दनाक घटनाएँ आपसी सलाह, परामर्श और सोचने समझने तथा उपाय ढ़ूंढ़ने के लिए रास्ता तैयार न करें तो नुक़सान और बढ़ जाएगा। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले इंसान का दुख अपने आप में पूरी मानव जाति के लिए दुख का विषय है। ऐसे सीन कि जिनमें बच्चा अपने घर वालों के सामने मौत को गले लगा रहा हो, माँ कि जिसकी वजह से उसके परिवार की खुशियां गम में बदल जाएं, पति जो अपनी पत्नी के बेजान शरीर को तेजी के साथ किसी दिशा में लिए जा रहा हो या वह तमाशाई जिसे यह नहीं मालूम कि वह कुछ सेकंडों के बाद अपनी ज़िंदगी का अंतिम सीन देखने वाला है, यह ऐसे सीन नहीं हैं कि जिससे किसी इंसान की भावनाएं प्रभावित न हों। हर वह आदमी कि जिस में मुहब्बत और इं

ISIS आतंकी संगठन सत्ता का भूका है उसका इस्लाम से लेना देना कुछ नही है

 लेखक: गुस्तावो डी अरिस्तेगुई।।भारत में स्पेन के राजदूत  इस्लामिक स्टेट (आईएस) का बढ़ता प्रभाव नई समस्या नहीं है। यह दरअसल, पुरानी समस्या का नया पहलू है। जिहाद के नाम की जाने वाली इन हरकतों से मुकाबले के लिए सबसे जरूरी सही तरीके से इसकी परिभाषा तय करना है। मैं इस पर पिछले 35 साल से स्टडी कर रहा हूं और चार किताबें लिख चुका हूं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि आईएस जो कर रहा है, वह इस्लाम नहीं बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा है। यह संगठन इस्लाम की गलत व्याख्या कर इसे हिंसा और राक्षसी प्रवृत्ति वाली इकाई बनाना चाहता है। आईएस के मुताबिक, दुनिया में जो भी मुसलमान उसके नियमों को नहीं मानता है, उसे वह धर्म भ्रष्ट मानता है। धर्म भ्रष्ट आईएस के लिए धर्म को नहीं मानने वाले से ज्यादा खतरनाक हैं। हिंदू, ईसाई या यहूदी धर्मों के लोग इस्लाम के अनुयायी नहीं हैं, लेकिन अगर मुसलमान आईएस के नियमों को नहीं मानते हैं, तो वे उसकी नजर में धर्म भ्रष्ट हैं। जब कोई यह संगठन जॉइन करता है, तो मर्डर के जरिए उसे मजहबी तौर पर पाक बनाया जाता है। आईएस का मजहब या इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। वह सत्ता चा

बांग्लादेश, नाइजीरिया, इराक में आतंकी हमले में शिया मुस्लमान शहीद

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में शिया मुसलमानों की एक मस्जिद में शेतानी आतंकवादी संगठन आईएस ने हमला किया जिस में चार लोग शहीद हो गए  और सेकड़ों  घायल  घायल हो गए । नाइजीरिया में इमाम हुसैन अ स की याद में मातमी जलूस  पर आतंकवादी हमले में कम से कम 21 अज़ादार शहीद और कई घायल हुए हैं। नाइजीरिया के मोहम्मद तोरी ने बताया कि यह विस्फोट दाका सोए नामक गांव में उस समय हुआ जब शिया नुसलमन  बड़ी संख्या में अज़ादारी ए इमाम हुसैन अ स के जुलूस में शामिल थे। बताया गया कि आतंकवाद की इस कार्रवाई में इक्कीस लोग शहीद और कई घायल हुए हैं। जानकारी के अनुसार एक आत्मघाती हमलावर को पकड़ लिया गया है। जिसने स्वीकार किया कि उसे बोको हराम ने आत्मघाती विस्फोट प्रशिक्षण देकर भेजा है। नाइजीरिया में इससे पहले भी कई बार, शिया मुसलमानों की  मजालिस/ मातमदारी  पर हमले होते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चरमपंथी आतंकवादियों का गुट बोको हराम नाइजीरिया और उसके पड़ोसी देशों में सक्रिय है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बोको हराम सत्रह हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। आलम ट

पेशावर में आतंकवादी हमले में एक शहीद

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी के अनुसार पेशावर की सबसे बड़ी मातमी अंजुमन के प्रमुख सैयद इमदाद हुसैन शाह को चरमपंथी आतंकवादियों ने शहीद कर दिया है। शियत न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह चरमपंथी आतंकवादियों ने एक शिया मोमिन सैयद इमदाद शाह को गोली मार  कर शहीद किया , इमदाद शाह का संबंध पेशावर शहर के सबसे बड़ी मातमी अंजुमन से  था रिपोर्टों के अनुसार गंज में मोमेनीन का विरोध जारी है। Via -  ABN 24

सुन्नी मुसलमानो ने शिया धर्म गुरु हज़रत आयतुल्लाह सीस्तानी साहब का सुन्नी भाइयों की हमदर्दी के प्रति उनका आभार व्यक्त किया।

अहलेबैत (अ) न्यूज़ एजेंसी अबना के अनुसार इराक के अंबार के प्रांतीय परिषद ने हज़रत आयतुल्लाह सीस्तानी को एक पत्र लिखकर इराक में जारी समस्याओं खासकर सुन्नी क्षेत्रों के प्रति उनकी हमदर्दी पर उनका आभार व्यक्त किया है। अंबार प्रांत में अतंकियों के माध्यम से घेरे को तंग किए जाने के बाद शियों के इस मरजए तक़लीद ने एक बयान जारी किया था, जिसे उनके प्रतिनिधि के माध्यम से कर्बला में जुमे की नमाज में पढ़ा गया था जिसमें इराकी सेना और सार्वजनिक स्वयंसेवकों को इस प्रांत में सहायता भेजने की अपील की गई थी। इस बयान के बाद इराकी सेना और सार्वजनिक स्वयंसेवकों ने अंबार में प्रवेश किया और आईएस का मुकाबला करके लोगों की जानों की रक्षा करने में सफल रहे। अंबार प्रांत के सरकारी अधिकारियों ने भी अपने पत्र में आयतुल्लाह सीसतानी का आभार व्यक्त किया है। Via - ABNA 24

यह है एक सच्चे मुस्लमान का कर्तव्य - इस्लाम की असल पहचान

इस्लाम की शिक्षा एक नया मुस्लिम ईसाइ नौजवान ‘‘ ज़करिया बिन इब्राहीम‘‘ इमाम सादिक़ (अ) की खि़दमत में हाजि़र हुआ और कहने लगा के:  मेरी बूढ़ी और नाबीना (अंधी) माँ ईसाइ है। इमाम (अ) ने फ़रमाया के: अपनी माँ की देख भाल करो और उसके साथ एहसान और नेकी से पेश आओ। जिस वक़्त ज़करिया अपनी माँ के पास वापस गया तो इमाम के हुक्म के मुताबिक़ अपनी माँ से बहुत मेहरबानी से पेश आने लगा। एक रोज़ माँ ने ज़करिया से मालूम किया के: बेटा! किस वजह से तू मेरी इतनी खि़दमत और देख भाल कर रहा है?  ज़करयिा ने जवाब दिया के: ऐ मादर ! मेरे मौला (इमाम सादिक़ (अ)) जो ख़ातमुल अंबिया हज़रत मुहम्मद (स) की नस्ल से हैं, ने हुक्म दिया है के मैं तुम्हारी देख भाल और खि़दमत में मशग़ूल रहँू। माँ ने सवालात के बाद कहा के: ऐ बेटा ! दीने इस्लाम बेहतरीन दीन है। इस दीन की मुझे भी तालीम दो ताके मैं मुसलमान हो जाऊँ। (बिहारुल अनवार, अल्लामा मजलिसी, जिल्द 71, पेज 53, बाब 2, हदीस न0 11 का ख़ुलासा ) Via -  Paighambar Nauganvi

अफगानिस्तान में आईएस आतंकवादी संगठन ने 7 लोगों के सिर कलम कर दिए

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी। दक्षिणी अफगानिस्तान क्षेत्र ज़ाबुल में आतंकवादी संगठन आईएस ने 7 लोगों को अपहरण कर के उनके सिर कलम कर दिए हैं जिनका संबंध शिया हजारा समुदाय से है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि आईएस आतंकवादी संगठन ने शिया हजारा के इन सात लोगों के सिर कलम कर दिए हैं जिन्हें उन्होंने अपहरण कर रखा था। आईएस आतंकवादी संगठन के  हाथों अफगानिस्तान के प्रांत ज़ाबुल में शहीद किए गए 7 शिया हजारा व्यक्तियों में 4 पुरुष तीन महिलाओं और एक युवा शामिल हैं। यहाँ के लोग बहुत गुस्से में हैं गजनी में बड़ी संख्या में लोगों ने आईएस आतंकवादी संगठन विरोध किया है। Via - abna24.com

लेबनान में चरमपंथी आतंकवादीयो के हमले में 41 लोग शहीद और 181 लोग घायल हुए हैं।

अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी। लेबनान की राजधानी ज़अहया शिया नशीन क्षेत्र '' बरज़ ालबराजना '' में दो आत्मघाती हमले होने की सूचना प्राप्त हुई है। लेबनानी मीडिया के अनुसार आत्मघाती हमलावरों भीड़भाड़ वाली सड़क अल हुसैनिया में स्थित हुसैनिया  इमाम हुसैन (अ) के पास दो विस्फोट किए गए  जिनके कारण 41 लोग शहीद और 181 लोग घायल हुए हैं। लेबनान के प्रधानमंत्री ने इन धमाकों के बाद कल शुक्रवार को सामान्य शोक की घोषणा की है। गौरतलब है कि बेरूत के दक्षिण क्षेत्र ज़अहया जो शिया नशीन क्षेत्र है इससे पहले भी कई बार चरमपंथी आतंकवादीयो ने  हमलों का निशाना बनाया गया है।   Via - abna24.com

इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम पर सलाम हो

       इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कर्बला की महान घटना के बाद लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। सज्जाद, इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को एक प्रसिद्ध उपाधि थी। महान ईश्वर की इच्छा से इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कर्बला में जीवित बच गये था ताकि वह कर्बला की महान घटना के अमर संदेश को लोगों तक पहुंचा सकें।        इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के ज्येष्ठ सुपुत्र हैं और 36 हिजरी क़मरी में उनका जन्म पवित्र नगर मदीने में हुआ और 57 वर्षों तक आप जीवित रहे। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के जीवन का महत्वपूर्ण भाग कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद आरंभ हुआ। कर्बला की महान घटना के समय इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम बीमार थे और इसी कारण वे कर्बला में सत्य व असत्य के युद्ध में भाग न ले सके।         कर्बला की घटना का एक लेखक हमीद बिन मुस्लिम लिखता है “आशूर के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्लाम के शहीद हो जाने के बाद यज़ीद के सैनिक इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के पास आये। वह बीमार और बिस्तर पर सोये हुए थे। चूंकि यज़ीद की सैनिकों को यह आदेश द

चमत्कार: जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आँखों की रौशनी मिली - अहलेबैत (अ) से मोहब्बत का इनाम

चमत्कार: जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आँखों की रौशनी मिली  - अहलेबैत (अ) से मोहब्बत का इनाम   अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी के अनुसार जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आशूरा (१०मोहर्रम) के दिन अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) इब्ने अबु तालिब के हरम (मकबरे ) में अल्लाह ने कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में उसकी दृष्टि वापस आ गई । कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को अल्लाह ने रौशनी दी  इराक के नजफ़े अशरफ़ क्षेत्र के अंसार की रहने वाली नौ वर्षीय बच्ची '' ज़हरा अली कासिम '' जो आशूर (१०मोहर्रम)  के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी करने अपने माता पिता के साथ हज़रत अली (अ) के हरम में आई थी उसको जयारत करने  दौरान यह महसूस किया किसी चीज़ ने उसके सिर को पकड़ रखा है और इसके बाद उसने अपनी आँखों के सामने लाल रंग की  एक रौशनी (प्रकाश) दिखी और फिर उसने अपने माता पिता सहित सभी चीजों को पहली बार नौ साल की उम्र में देखा। अल्लाह हम्मा   सल्ले अला मुहम्मद व आल ऐ मुहम्मद Source : ABNA Join Us :Live

ईरान के अज़ादारो के कुछ अनोखे चित्र

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ईराक़ में ईसाई अज़ादारी करते हुवे

इस्लामाबाद में जनाबे अली असग़र अ स की याद में बच्चे अज़ादारी करते हुए

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