1- जिस्मानी परवरिश 2- रूहानी-ज़ेहनी परवरिश जिस्मानी परवरिश में पालने-पोसने की बातें आती हैं। रूहानी-ज़ेहनी परवरिश में अख़लाक़ और कैरेक्टर को अच्छे से अच्छा बनाने की बातें होती हैं। इस लिए पैरेंट्स की बस यही एक ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह अपने बच्चों के लिए सिर्फ़ अच्छा खाने, पीने, पहनने, रेहने और सोने की सहूलतों का इन्तेज़ाम कर दें बल्कि उन के लिए यह भी ज़रूरी है कि वह खुले दिल से और पूरे खुलूस के साथ बच्चों के दिलो-दिमाग़ में रूहानी और अख़लाक़ी वैल्यूज़ की जौत भी जगाते रहें। समझदार पैरेंट्स अपने बच्चों पर पूरी संजीदगी से तवज्जोह देते हैं। वह अपने बच्चों के लिए रहने सहने की अच्छी सहूलतों के साथ-साथ उनके अच्छे कैरेक्टर, हुयूमन वैल्यूज़, अदब-आदाब और रूह की पाकीज़गी के ज़्यदा ख़्वाहिशमन्द होते हैं। आईये देखें रसूले इस्लाम (स.) इस बारे में हज़रत अली (अ.) से क्या फ़रमाते हैं। "ऐ अली! ख़ुदा लानत करे उन माँ-बाप पर जो अपने बच्चे की ऐसी बुरी परवरिश करें कि जिस की वजह से आक करने की नौबत आ पहुँचे। "रसूले ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया हैः- "अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर