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Showing posts from December 6, 2020

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

आज़रबाइन-आर्मीनिया शांति समझौते के बाद जलती आग में अब फ़्रांस ने डाला तेल

 इस  बीच एक नई घटना यह हुई है कि फ़्रांस की संसद में एक बिल पास किया गया जिसमें कराबाख़ को एक स्वाधीन देश के रूप में मान्यता देने की स्वीकृति दी गई है। प्रस्ताव ग़ैर बाध्यकारी है जो संसद के ऊपरी सदन से एक सप्ताह पहले ही पारित हो चुका है जबकि निचले सदन से भी इसे मंज़ूरी मिल गई है। इस घटना के बाद आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय ने बाकू में फ़्रांस के राजदूत ज़ाकारी ग्रोस को तलब करके भारी आपत्ति जताई।आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने फ़्रांसीसी राजदूत से कहा कि फ़्रांस की संसद में पास होने वाला बिल संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विरुद्ध है साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और हेलसेन्की समझौते का भी हनन होता है।विदेश मंत्रालय ने अलग से एक बयान में कहा कि हम फ़्रांस की संसद में पास होने वाले बिल का पुरज़ोर विरोध करते हैं। आज़रबाइजान की सरकार ने यह मांग भी रखी है कि आर्मीनिया के साथ जारी विवाद में फ़्रांस को मध्यस्थ की भूमिका से हटा दिया जाए। आज़रबाइजान और आर्मीनिया के बीच 9 नवम्बर को संघर्ष विराम का समझौता हुआ जिसके नतीजे में आर्मीनिया ने कराबाख

रूसी न्यूज़ एजेन्सी का कहना है की अमरीका नहीं, ईरान अपनी इन शर्तों पर परमाणु समझौते करेगा

  जो बाइडन के कुछ सलाहाकर यहां तक कि खुद वह भी ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में वापसी की बात करते हैं लकिन उसके लिए कुछ शर्तें पेश करते हैं, कुछ युरोपीय देशों ने भी उनके इस रुख का स्वागत किया है लेकिन सच्चाई यह है कि कानूनी लिहाज़ से अमरीका की परमाणु समझौते में वापसी, ईरान की शर्तों को पूरा किये जाने पर निर्भर है न किसी और की शर्तों को।      ईरान के साथ किया गया परमाणु समझौता कोई खाली घर नहीं है कि जब अमरीका का दिल चाहे घुस जाए और जब चाहे निकल जाए।      सब को पता है कि परमाणु समझौता के मुख्य दो पक्ष, ईरान और अमरीका थे जो ईरानियों और अमरीकियों के बीच लंबी वार्ता के बाद किया गया था। ईरान का प्रतिनिधित्व ईरानी विदेशमंत्री जवाद ज़रीफ और अमरीका का वहां के विदेशमंत्री जान कैरी कर रहे थे।      परमाणु समझौते के में उपस्थिति अन्य देश और युरोपीय संघ सब के सब परमाणु समझौते में दोनों पक्षों के वचनों के पालन की प्रक्रिया की निगरानी की ज़िम्मेदारी रखते थे और इसी के साथ ईरान ने परमाणु समझौते  को सुरक्षा परिषद में पारित कराने की मांग की जिसकी वजह से सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव क्रमांक  2231 जारी किया ल