युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
कुछ लोग यह कह रहे हैं कि सोशल मीडिया की ओर से ट्रम्प के ख़िलाफ़ उठाया गया क़दम लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बहुत बड़ा प्रहार है। मगर सवाल यह है कि ख़ुद ट्रम्प ने कब आज़ादी और अधिकारों का सम्मान किया? ट्रम्प ने 3000 बच्चों को उनके परिवारों से अलग करवा दिया था। उन्होंने सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमरीका में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। ट्रम्प ने फ़िलिस्तीनी और सीरियाई इलाक़ों पर इस्राईल के ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े को मान्यता दी थी। ट्रम्प अब अपने 74 मिलियन मतदाताओं के सामने विक्टिम कार्ड खेल कर उनकी हमदर्दियां बटोरना चाहते हैं। उन्हें ट्वीटर पर अपने 90 मिलियन फ़ालोअरों की बड़ी चिंता है। ट्रम्प चाहते थे कि यह सारे लोग उनके लिए मज़बूत छापामार संगठन बन जाएं और अमरीका में गृह युद्ध की आग भड़का दें। हमें तो डर है कि ट्रम्प की इसी शैली पर यूरोप के भी कुछ शासक काम कर सकते हैं। ट्रम्प वाइट हाउस से विदा हो रहे हैं तो उनके ख़िलाफ़ 60 से अधिक मुक़द्दमे दायर हो चुके हैं। इस तरह के विवादों से ट्रम्प का पुराना रिश्ता रहा है तो वह इन मुक़द्दमों से नहीं डरेंगे लेकिन वाइट हाउस में लौटने का रास्...