युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
इराक़ के कुर्दिस्तान क्षेत्र में जनमत संग्रह का समर्थन करने वालों ने हाथों में इस्राईल का ध्वज लेकर प्रदर्शन किया है। इराक़ से अलग होने का समर्थन करने वाले कुर्दों ने हाथों में इस्राईली झंडे उठाकर इराक़ के पूर्व प्रधान मंत्री नूरी अलमालेकी की उस बात को सही साबित कर दिया है कि इलाक़े में एक और इस्राईल बनाए जाने की साज़िश रची जा रही है। इराक़ के पूर्व प्रधान मंत्री एवं उप राष्ट्रपति नूरी अलमालेकी ने कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने कि लिए आयोजित कराए जाने वाले जनमत संग्रह का विरोध करते हुए कहा है कि हम इलाक़े में एक और इस्राईल नहीं बनने देंगे। क्षेत्रीय देशों एवं विश्व समुदाय के विरोध के बावजूद, इस्राईल कुर्दिस्तान को इराक़ से अलग करने का सबसे अधिक समर्थन कर रहा है। कुर्दिस्तान के प्रमुख मसूद बारेज़ानी ने न केवल कुर्दिस्तान क्षेत्र में जनमत संग्रह के आयोजन का एलान किया है, बल्कि तेल से समृद्ध इराक़ के किरकूक प्रांत में भी जनमत संग्रह आयोजित कराने की बात कही है। हाल ही में बारेज़ानी ने दाइश का सफ़ाया करने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वयं सेवी बल हश्दुश्शाबी को कुर्दों ...