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Showing posts from October, 2015

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

चमत्कार: जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आँखों की रौशनी मिली - अहलेबैत (अ) से मोहब्बत का इनाम

चमत्कार: जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आँखों की रौशनी मिली  - अहलेबैत (अ) से मोहब्बत का इनाम   अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी के अनुसार जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आशूरा (१०मोहर्रम) के दिन अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) इब्ने अबु तालिब के हरम (मकबरे ) में अल्लाह ने कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में उसकी दृष्टि वापस आ गई । कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को अल्लाह ने रौशनी दी  इराक के नजफ़े अशरफ़ क्षेत्र के अंसार की रहने वाली नौ वर्षीय बच्ची '' ज़हरा अली कासिम '' जो आशूर (१०मोहर्रम)  के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी करने अपने माता पिता के साथ हज़रत अली (अ) के हरम में आई थी उसको जयारत करने  दौरान यह महसूस किया किसी चीज़ ने उसके सिर को पकड़ रखा है और इसके बाद उसने अपनी आँखों के सामने लाल रंग की  एक रौशनी (प्रकाश) दिखी और फिर उसने अपने माता पिता सहित सभी चीजों को पहली बार नौ साल की उम्र में देखा। अल्लाह हम्मा   सल्ले अला मुहम्मद व आल ऐ मुहम्मद Source : ABNA Join Us :Live

ईरान के अज़ादारो के कुछ अनोखे चित्र

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ईराक़ में ईसाई अज़ादारी करते हुवे

इस्लामाबाद में जनाबे अली असग़र अ स की याद में बच्चे अज़ादारी करते हुए

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आशूरा का रोज़ा - मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगाँवी

जैसे ही नवासा ए रसूल (स) हज़रत इमाम हुसैन (अ) के क़याम व शहादत का महीना, मोहर्रम शुरु होता है वैसे ही एक ख़ास सोच के लोग इस याद और तज़करे को कमरंग करने की कोशिशें शुरु कर देते हैं। कभी रोने (जो सुन्नते रसूल है) की मुख़ालफ़त की जाती है, तो कभी आशूर के रोज़े की इतना प्रचार किया जाता है जिस से ऐसा महसूस होता है के 10 मोहर्रम 61 हिजरी में कोई हादसा हुआ ही नहीं था। बल्कि सिर्फ़ बनी इस्राईल की नजात की ख़ुशी का दिन है और बाज़ इस्लामी देश तो इस का ऐलान और प्रचार सरकारी पैमाने पर करते हैं और दलील के तौर पर बुख़ारी वग़ैरा की हदीसें पेश की जाती हैं, अभी कुछ साल पहले की बात है के सऊदी अरब की न्यूज़ ऐजंसी ने अपने एक बयान में अबदुल अज़ीज़ बिन अबदुल्लाह बिन मुहम्मद आले शैख़ की जानिब से ऐलान किया था के पैग़म्बर (स) से रिवायत हुई है केः आँहज़रत (स) आशूर के दिन रोज़ा रखते थे और लोगों को भी इस दिन रोज़ा रखने का शौक़ दिलाते थे, क्योंकि आशूरा वो दिन है जिस रोज़ ख़ुदावंदे आलम ने मूसा और उनकी क़ौम को फि़रऔन और उसकी क़ौम से निजात दी थी लेहाज़ा हर मुसलमान मर्द और औरत पर मुस्तहब है के 10 मोहर्रम को ख़ुदा के

डेढ़ साल का बच्चा अज़ादार ए अली असग़र इब्ने इमाम हुसैन अ स #Azadari

इराक - कर्बला से इमाम हुसैन अ.स.के रौज़े चित्र

सौजन्य -  ABNA  

आस्ट्रेलिया में इमाम हुसैन अ. की अज़ादारी का आयोजन। चित्र

सौजन्य -  ABNA

अमरीका में इमामे हुसैन अ. की शहादत की याद मनाते अज़ादार।, चित्र

सौजन्य - ABNA 

कनाडा में अज़ादारी मनाते लोग। तस्वीरें

सौजन्य -  ABNA