युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
आज हम लोग रमज़ान के मुबारक महीने मे एक दीनी कर्तव्य समझ कर रोज़े रखते हैं जो सही भी है लेकिन दीनी कर्तव्य और सवाब के अलावा भी रोज़े के बहुत से फ़ायदे हैं जिनमे से कुछ फ़ायदे हमारी सेहत व स्वास्थ से सम्बन्धित हैं, लेकिन हम में से बहुत से लोग यह नही जानते कि रोज़ा हमारी सेहत के लिए कितना ज़रूरी है। अगर रोज़ा सही तरीक़े से रखा जाए और सेहत के नियमों का पालन किया जाए तो यह हमारे लिए आख़ेरत के साथ ही दुनिया मे भी बहुत फ़ायदा पहुंचा सकता है। रोज़ा हमारे जिस्म से ज़हरीली और हानिकारक चीज़ों और टाक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, ब्लड सुगर को कम करता है, यह हमारी खाने पीने की आदतों मे सुधार करता है और हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाता है तथा हमारे जिस्म की बीमारियों से लड़ने की ताक़त मे बढ़ोत्तरी करता है। हम अपने खाने पीने के दौरान बहुत से ज़हरीले पदार्थ या टाक्सिन्स लेते हैं, जैसे डिब्बा बन्द खाने पीने की चीज़ें, जिनको सड़ने या ख़राब होने से बचाने के लिए ऐसी चीज़ें मिलाई जाती हैं जो ज़हरीली होती हैं इसके अलावा आजकल अनाज,फल व सब्ज़ियां उगाने मे ज़हरीली दवाओं का इस्तेमाल होता है, साथ ही हमारे ...