युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
चमत्कार: जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आँखों की रौशनी मिली - अहलेबैत (अ) से मोहब्बत का इनाम अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी के अनुसार जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को आशूरा (१०मोहर्रम) के दिन अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) इब्ने अबु तालिब के हरम (मकबरे ) में अल्लाह ने कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में उसकी दृष्टि वापस आ गई । कर्बला के शोहदा व अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) के सदके में जन्म से एक नेत्रहीन बच्ची को अल्लाह ने रौशनी दी इराक के नजफ़े अशरफ़ क्षेत्र के अंसार की रहने वाली नौ वर्षीय बच्ची '' ज़हरा अली कासिम '' जो आशूर (१०मोहर्रम) के दिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी करने अपने माता पिता के साथ हज़रत अली (अ) के हरम में आई थी उसको जयारत करने दौरान यह महसूस किया किसी चीज़ ने उसके सिर को पकड़ रखा है और इसके बाद उसने अपनी आँखों के सामने लाल रंग की एक रौशनी (प्रकाश) दिखी और फिर उसने अपने माता पिता सहित सभी चीजों को पहली बार नौ साल की उम्र में देखा। अल्लाह हम्मा सल्ले अला मुहम्मद व आल ऐ मुहम्मद Source : AB...