युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
रमज़ान का महीना मुबारक हो रमज़ान के मुबारक महीने में हमारा भोजन पहले के मुक़ाबले ज़्यादा चेंज नहीं होना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि ख़ाना सादा हो. इसी तरह इफ़तार का सिस्टम इस तरह सेट किया जाना चाहिए कि नैचुरल वज़्न पर कोई ज्यादा असर न पड़े। दिन में लंबी मुद्दत की भूख के बाद ऐसे खाने प्रयोग करें जो देर हज़म हों। देर हजम खाने कम से कम 8 घंटे हाज़मा सिस्टम में बाकी रहते हैं. हालांकि जल्दी हज़्म होने वाले खाने केवल 3 या 4 घंटे पेट में टिक सकते हैं और इंसान बहुत जल्दी भूख महसूस करने लगता है। देर हजम खाने जैसे अनाजः जौ, गेहूँ, बीन्स, दालें, चावल कि जिन्हें "कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट" कहते हैं। भोजन को बललते रहना चाहिए. यानी हर तरह के भोजन का उपयोग किया जाए जैसे फल, सब्जियां, गोश्त, मुर्गी, मछली, रोटी, दूध और अन्य दूध से बनी चीजें। तली हुई चीजें बहुत कम इस्तेमाल की जाएं. इसलिए कि हजम न होने, पेट में जलन पैदा होने और वज़न में बढ़ोतरी का कारण बनती हैं। किन चीजों से बचें? 1: तली हुई और चर्बी दार खानों से 2: ज़्यादा मीठी चीजों से 3: सहर के समय ज़्यादा खाना खाने से 4: सहर क...