युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
अहलेबैत (अ) समाचार एजेंसी। दक्षिणी अफगानिस्तान क्षेत्र ज़ाबुल में आतंकवादी
संगठन आईएस ने 7 लोगों को अपहरण कर के उनके सिर कलम कर दिए हैं जिनका संबंध शिया हजारा समुदाय
से है।
स्थानीय मीडिया का कहना है कि आईएस आतंकवादी संगठन ने शिया हजारा के इन सात लोगों
के सिर कलम कर दिए हैं जिन्हें उन्होंने अपहरण कर रखा था।
आईएस आतंकवादी संगठन के हाथों अफगानिस्तान
के प्रांत ज़ाबुल में शहीद किए गए 7 शिया हजारा व्यक्तियों में 4 पुरुष तीन महिलाओं और एक युवा शामिल
हैं।
यहाँ के लोग बहुत गुस्से में हैं गजनी में बड़ी संख्या में लोगों ने आईएस आतंकवादी
संगठन विरोध किया है।
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