युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य अक्षय कुमार ने कहा कि हमारी संस्था को मिलने वाले सबूत म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जाने वाले भयावह अपराधों को दर्शाते हैं।
अक्षय कुमार ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि म्यांमार के राख़ीन प्रांत के रोहिंग्या मुसलमान वर्षों से जारी संगठित अपराध, हिंसा और भेदभाव का शिकार हैं कहा कि म्यांमार की सेना और बौद्ध चरमपंथियों के हमलों में मारे गए और बेघर होने वालों की रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या चिंताजनक सीमा पर पहुंच गई है।
ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य ने कहा कि उपग्रह और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त चित्रों और समाचारों की समीक्षा से यह सिद्ध होता है कि राख़ीन प्रांत में 22 से अधिक क्षेत्रों को पूरी तरह जलाकर राख कर दिया गया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच के सदस्य अक्षय कुमार ने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची से, जो म्यांमार की विदेश मंत्री और सरकार की वरिष्ठ सलाहकार हैं मांग की है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को जल्द से जल्द रुकवाने की कोशिश करें।
इस बीच, यमन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन अंसारूल्लाह के प्रमुख ने कहा है कि म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो रहे हमलों में अमेरिकी और इस्राईली हथियारों का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इस्राईल मिलकर पूरे इस्लामी जगत को अपना ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। (RZ)
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