युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
सऊदी अरब के युद्धक विमानों ने यमन के मआरिब प्रांत पर बमबारी कर दी जिसमें 13 आम नागरिक हताहत हो गये।
हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में इसी प्रकार 11 आम नागरिक घायल भी हुए हैं।
ज्ञात रहे कि सऊदी अरब ने 26 मार्च वर्ष 2015 से यमन पर हमला आरंभ कर रखा है जिसमें अब तक 1200 से अधिक व्यक्ति हताहत और दसियों हज़ार घायल तथा लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। सऊदी अरब यमन के त्यागपत्र दे चुके राष्ट्रपति मंसूर हादी को सत्ता में दोबारा पहुंचाना चाहता है किन्तु यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों के कड़े प्रतिरोध के कारण सऊदी अरब और उसके घटक किसी भी लक्ष्य में सफल नहीं हो सके हैं।
यमन पर सऊदी अरब के हमलों में 12 हज़ार से अधिक यमनी हताहत, दसियों हज़ार घायल और लाखों विस्थापित हो चुके हैं। इन हमलों के कारण यमन का आधार भूत ढांचा बुरी तरह तबाह हो चुका है।
यमन पर सऊदी अरब के हमलों के कारण इस निर्धन देश में दवाओं और खाद्य पदार्थों की भीषण कमी का सामना है जिसके कारण ख़तरनाक बीमारियां फैल रही हैं। (AK)

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