युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
इस्लामी गणतंत्र ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख ने कहा है कि म्यांमार के मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा, जातीय सफ़ाए और मानवता के विरुद्ध अपराध का खुला उदाहरण है।
न्यायपालिका के प्रमुख आयतुल्लाह सादिक़ आमुली लारीजानी ने सोमवार को न्यायपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में म्यांमार के मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अपराध उस व्यक्ति के समर्थन से अंजाम पा रहे हैं जिसने शांति का नोबल पुरस्कार प्राप्त किया है और विश्व समुदाय भी इस त्रासदी पर पूरी तरह चुप है।
आमुली लारीजानी ने स्पष्ट किया कि विश्व समुदाय कुछ लोगों के बहकावे में आकर एक देश के विरुद्ध कड़े से कड़ा प्रतिबंध लगाता है किन्तु इस प्रकार की हिंसाओं के सामने केवल साधारण का खेद प्रकट करके रह जाता है।
न्यायपालिका प्रमुख ने इसी सीरिया और इराक़ में प्रतिरोध के मोर्चे की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रीय देशों और ज़ायोनी शासन के समर्थन से अस्तित्व में आने वाले आतंकवादी गुट ईरान के मूल्यवान समर्थन से इराक़ और सीरिया की सेना और स्वयं सेवी बलों की सहातया से पूरी तरह तबाह हो रहे हैं।
आयतुल्लाह आमुली लारीजानी ने संयुक्त समग्र कार्य योजना जेसीपीओए के उल्लंघन के लिए अमरीकी प्रयासों की ओर संकेत किया और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी ने भी पुष्टि की है कि ईरान जेसीपीओए पर अमल कर रहा है किन्तु अमरीका यथावत जेसीपीओए का उल्लंघन कर रहा है और मैं अमरीका को यह सलाह देना चाहता हूं कि वह अपनी वर्चस्ववादी और वादे का उल्लंघन करने की नीति पर पुनर्विचार करे। (AK)
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