म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों की जाच करने वाली टीम को म्यांमार सरकार ने रोका
म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के जारी घातक दमन के बीच इस देश में मानवाधिकार की स्थिति की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से नियुक्त की गयीं आज़ाद प्रतिवेदक को म्यांमार सरकार ने आने से मना कर दिया है।
यूएन की विशेष प्रतिवेदक यांगही ली का जनवरी से ही दक्षिण-पूर्वी देश म्यांमार का दौरा विलंबित होता आया है। वह म्यांमार के पश्चिमी राज्य राख़ीन में रोहिंग्या मुसलमानों के व्यापक स्तर पर हो रहे दमन सहित म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा करना चाहती हैं।
म्यांमार की सरकार ने यांगही ली को दौरा करने से मना कर दिया और उनसे कहा है कि जब तक वे इस पद पर रहेंगी उन्हें म्यांमार आने नहीं दिया जाएगा। यह बात यांगही ली ने बुधवार को अपने एक बयान में कही।
उन्होंने कहा कि यह इस बात का चिन्ह है कि राख़ीन राज्य में ज़रुर कुछ भयंकर हुआ है जिसे छिपाने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, "मुझे सौंपी गयी ज़िम्मेदारी के साथ सहयोग न करने के इस एलान को इस गंभीर चिन्ह के रूप में देखा जाएगा कि राख़ीन सहित इस देश के बाक़ी क्षेत्रों में कुछ भयंकर हो रहा है।"
उन्होंने इस साल जनवरी में म्यांमार का दौरा किया था और उन्हें राख़ीन के कुछ इलाक़ों में जाने नहीं दिया गया था। म्यांमार सरकार ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर उन्हें सिर्फ़ उन लोगों से बात करने की इजाज़त दी थी जिन गांव के लोगों को म्यांमार की सरकार ने बात करने की इजाज़त दी थी।
यांगही ली ने अपने 12 दिवसीय दौरे के दौरान 3 दिन राख़ीन राज्य में गुज़ारे थे। (MAQ/N)
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