युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
नौगांवा सादात जिला अमरोहा - उत्तर प्रदेश में नाइजीरिया सेना द्वारा नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन एवं शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख ज़कज़की की रिहाई की मांग की गई जिस में शिया धर्म के के धर्मगुरूओ के अलावा हज़ारों की संख्या में लोग मौजूद रहे ! मालूम रहे के नाइजीरिया सेना की सेना ने वरिष्ठ धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन इब्राहीम ज़कज़ाकी को पिछले हफ्ते उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया गया था और इससे पहले नाइजीरिया की सेना ने ज़ारिया नगर में स्थित बक़ीयतुल्लाह नामक इमामबाड़े पर भी हमला करके कई लोगों को गोलियों से भून दिया था जिस में काफी लोग शहीद हुए ! जानकारी के अनुसार शिया धर्मगुरू हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन इब्राहीम आतंकी संगठन बोको हराम , अल क़ायदा , ISIS का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिस की वजह से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली मार कर शहीद , और कुछ को घायल कर दिया ! इस लिए पूरी दुनिया में नाइजीरिया सेना द्वारा नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं और शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख ज़कज़की की रिहाई की मांग की जा रही ह...
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