युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
जुलाई 26, 2016 अहलेबैत समाचार एजेंसी अबनाः बहरैन की अमेरिका समर्थित ज़ालिम व अत्याचारी आले खलीफा सरकार की ओर से शिया मुसलमानों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाहियों का सिलसिला जारी है, बहरैनी सरकार ने ताज़ा कार्रवाई में तीन शिया उलमा को गिरफ्तार कर लिया है।
बहरैनी सरकार ने तीन शिया उलमा को बहरैन के शिया मौलाना आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम का समर्थन करने के कारण गिरफ्तार किया है। बहरैन की ज़ालिम व अत्याचारी सरकार ने तीन मौलानाओं जासिमुल ख़य्यात, शेख अज़ीज़ुल खज़रान और सैयद यासीन अलमूसवी को प्रदर्शनों में भाग लेने और आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम का समर्थन करने के कारण गिरफ्तार किया है।
सूत्रों के अनुसार बहरैनी सरकार द्वारा आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम की नागरिकता छीनने के बाद से बहरैनी जनता उनके घर के सामने उनके समर्थन में धरना दिए हुए है।
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