युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
म्यांमार की सरकारी समाचार एजेन्सी ने सेना द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार के कारण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दबाव को कम करने के लिए मुसलमानों के विरुद्ध ग़लत ख़बरें देना आरंभ कर दी हैं।
म्यांमार ग्लोबल न्यू लाइट आव की रिपोर्ट के अनुसार इस समाचार एजेन्सी ने लोगों को दिगभ्रमित करने के लिए मुसलमानों पर सेना के हालिया हमलों का लक्ष्य, रोहिंग्या के तथाकथित छापामार गुट से मुक़ाबला करना है।
म्यांमार सरकार की सूचना समिति का दावा है कि अराकान छापामारों ने माउविंग ताव शहर सहित रोहिंग्या के विभिन्न क्षेत्रों पर हमले करके सैकड़ों घरों को जला दिया है और इस क्षेत्र के लोगों का जनंसहार किया है।
म्यांमार सरकार का यह दावा एेसी स्थिति में सामने आया है कि ईरान सहित बहुत से देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी रोकथाम की मांग की है।
ह्यूमन राइट्स वाॅच की ओर से सैटेलाइट द्वारा ली गयी तस्वीरों से पता चलता है कि राख़ीन प्रांत में बौद्ध चरमपंथियों और सेना के हमलों में बहुत से रोहिंग्या मुसलमान मारे गये हैं।
ज्ञात रहे कि 25 अगस्त से रोहिंग्या मुसलमानों पर बौद्ध चरमपंथियों और सेना के नये हमले आरंभ हुए हैं जिनमें 400 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान मारे गये किन्तु कुछ सूत्रों ने मारे गये लोगों की संख्या एक हज़ार से अधिक बताई है। (AK)
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