वैसे
तो इस्लाम हर धर्म का आदर करने का आदेश देता है
किसी दुसरे धर्मों (ग़ैर इस्लामी) के प्रतीकों का अपमान करना भी इस्लाम में वर्विज (मना) है पर कुछ लोग एक दुसरे (अपने
इस्लाम) के फिरके के लोगों का अपमान करने की सोचते हैं जो की यह इस्लामी शिक्षा के
विपरीत है। दरअसल ऐसे लोग इस्लाम के दुश्मन होते हैं जो इस्लाम के दुश्मनों के हाथ
मजबूत करते हैं।
अहले
सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का अपमान
करना हराम है और जाहिर है कि जो कोई भी शिया के नाम पर अहले सुन्नत के मुक़द्देसात
का अपमान करता है चाहे वो सुन्नी होकर शिया मुक़द्देसात का अपमान करता है वह इस्लाम का
दुश्मन है।
क्या
अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का
अपमान जैसे खुलुफा और अहले सुन्नत
के कुछ मनपसंद सहाबा के नाम अशोभनीय तरीके
से लेना जायज़ (वेध) है? दुनिया भर
के शिया धार्मिक केन्द्रों (ईरान और इराक)
के ओलामाओ (विद्वानों) ने फतवा दिया है की
अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का
अपमान करना हराम है
अधिक
जानकारी के लिए मैं यहाँ 12 शिया आलिमों (विद्वानों) के फतवे पेश कर रहें हैं
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