इस्राईल के टीवी चैनल " कान " में " दुश्मनी " नाम से एक डाक्यूमेंट्री फिल्म प्रसारित की गयी जिसमें कुछ अरब नेताओं के बारे में जायोनियों के विचार के बारे में चर्चा की गयी है। डाक्यूमेंट्री फिल्म में यह तक कहा गया है कि अरब और मुस्लिम नेताओं की क़ब्रें भी खोदनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बहुत अत्याचार किये हैं।
इस्राईली टीवी पर प्रसारित होने वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म में जमाल अब्दुन्नासिर, इस्राईल के साथ कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अनवर सादात, सद्दाम हुसैन, इमाम खुमैनी, हाफिज़ असद और यासिर अरफात जैसे इस्लामी जगत के बड़े नेताओं की जीवनी पर चर्चा की गयी है।
इस फिल्म में इन सभी नेताओं का जम कर अपमान किया गया है और इस्राईली दर्शकों को यह समझाया गया है कि यह सब लोग, अपने अपने देश की जनता के दुश्मन थे। इस पूरी डाक्यूमेंट्री फिल्म में अरबों और मुसलमानों की छवि खराब करने का बहुत अधिक प्रयास किया गया है।
इस्राईली टीवी पर प्रसारित होने वाली इस डाक्यूमेंट्री में इस्राईल की खुफिया एजेन्सी के कई पूर्व अधिकारियों ने अरब नेताओं की जीवनी के ऐसे राज़ों से पर्दा हटाया है जिनके सही या गलत होने की पुष्टि ही नहीं की जा सकती है। उदाहरण स्वरूप इस्राईली टीवी पर प्रसारित इस डाक्यूमेंट्री मे कहा गया है कि जब सद्दाम अपनी मां के पेट में था तो उसकी मां कहा करती थी कि मेरी कोख में राक्षस पल रहा है। ज़ाहिर सी बात है कि जब सद्दाम की मां की उसके बारे में इस तरह से बात करेगी तो फिर किसी और चीज़ की ज़रूरत ही नहीं।
फिल्म में सीरिया के दिवंगत राष्ट्रपति हाफिज़ अलअसद के बारे में कहा गया है कि वह सीरिया में मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों को चुन चुन कर मारते थे क्योंकि वह सरकार विरोधी थे।
याद रहे हाफिज़ असद, इस्राईल विरोधी मोर्चे में महत्वपूर्ण भूमिका रखते थे।
इस्राईल ने कुछ दिनों पहले लेबनान के बारे में भी एक डाक्यूमेंट्री बनायी थी और उसके दौरान यह कोशिश की थी कि इस्राईल को सबरा व शतीला शरणार्थी कैंप में जनसंहार से इस्राईल को बरी कर दे। इसके लिए तत्कालीन इस्राईली सुरक्षा मंत्री एरियल शेरून के इस बयान को पेश किया गया है कि अरबों ने अरबों को मारा लेकिन इन सब के बावजूद इस फिल्म में सन 2000 में हिज़्बुल्लाह द्वारा भगाए जाने के बाद दक्षिणी लेबनान से इस्राईल की ओर जाते हुए सैनिकों की खुशियों को छुपाना संभव नहीं हुआ। इसके साथ ही मूवी में दक्षिणी लेबनान में इस्राईल के एजेन्टों को भी मुक़द्दमे के डर से इस्राईल भागते हुए दिखाया गया है।
यहां पर यह याद दिलाना भी ज़रूरी है कि यह इस्राईल द्वारा उस बयान से पहले ही तैयार कर ली गयी थी जिसमें इस्राईल ने लगभग 30 वर्षों के बाद पहली बार यह स्वीकार किया है कि सन 1991 में पहली परशियल गल्फ वार में इराक़ के तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस्राईल पर जो मिसाइल मारे थे उससे 74 इस्राईल मारे गये थे।
इस्राईली सेना ने अब तक इस खबर के एलान पर प्रतिबंध लगा रखा था।
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