मौलाना क्लबे जवाद ने एक बयान जारी कर कहा है कि राज्य की समाजवादी सरकार लगातार शिया समुदाय के साथ ना इंसाफी कर रही है, उन्होंने कहा कि यूपी सरकार प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री के इशारे पर शिया समुदाय के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है। इमामे जुमा लखनऊ ने कहा कि हम ज़ुल्म के आगे कभी नहीं झुकने वाले चाहे वह जितना भी ज़ुल्म कर ले, उन्होंने कहा कि अज़ादारी हमारा हक़ है और हम अपने हक़ की प्राप्ति के लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं। मौलाना कल्बे जावद ने कहा कि पूरे भारत में शिया मुसमलानों द्वारा मोहर्रम महीने में लखनऊ अज़ादारी का अपना एक महत्व है, जो कई सौ वर्षों से मनाई जा रही है और हम शिया मुसलमानों की पहचान है अज़ादारी, उन्होंने कहा कि हम अज़ादारी के संबंध में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे। भारत के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि सरकार चाहे जितने भी प्रतिबंध लगा दे हम काले झंड़े भी लगाएंगे और लब्बैक या हुसैन भी कहेंगे। (RZ) Via - http://hindi.irib.ir
3 तलाक एवं हलाला पर आपत्ति जताने वाले आखिर नियोग प्रथा पर खामोश क्यों हैं, हलाला ठीक है या ग़लत कम से कम विवाहित महिला शारीरिक संबंध अपने पति से ही बनाती है! पर नियोग प्रथा से संतान सुख के लिए किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! यह कितना बड़ा अत्याचार और पाप हुआ? नियोग प्रथा क्या है? हिन्दू धर्म में एक रस्म है जिसे नियोग कहते है , इस प्रथा के अनुसार किसी विवाहित महिला को बच्चे पैदा न हो रहे हो तो वो किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! नियोग प्रथा के नियम हैं:- १. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिए करेगी न कि आनंद के लिए। २. नियुक्त पुरुष केवल धर्म के पालन के लिए इस प्रथा को निभाएगा। उसका धर्म यही होगा कि वह उस औरत को संतान प्राप्ति करने में मदद कर रहा है। ३. इस प्रथा से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिक रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा , नियुक्त व्यक्ति का नहीं। ४. नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।
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