युद्ध में हार या जीत का असली मानक हसन नसरुल्ला, हिज़्बुल्लाह के नेता, की शहादत ने एक नई बहस छेड़ दी है कि युद्ध में असली जीत और हार का क्या मानक है। उनकी शहादत एक बड़ा नुकसान है, लेकिन जिस सिद्धांत और उद्देश्य के लिए उन्होंने संघर्ष किया, वह आज भी जीवित है। उनका जीवन और बलिदान इस बात का प्रतीक है कि जब किसी कौम के पास एक मजबूत सिद्धांत होता है, तो वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ती रहती है। युद्धों का इतिहास हमें सिखाता है कि हार और जीत का निर्णय हमेशा युद्ध के मैदान में लड़ने वालों की संख्या या शहीदों की संख्या पर नहीं होता, बल्कि उस उद्देश्य की सफलता पर होता है जिसके लिए युद्ध लड़ा गया। यही उद्देश्य है जो जातियों को प्रेरित करता है और उन्हें लड़ने के कारण प्रदान करता है। जब भी कोई कौम युद्ध की शुरुआत करती है, वह एक स्पष्ट उद्देश्य से प्रेरित होती है। यह उद्देश्य कुछ भी हो सकता है: स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा, या किसी सिद्धांत का संरक्षण। युद्ध में भाग लेने वाले लोग विश्वास करते हैं कि वे किसी बड़े कारण के लिए लड़ रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा होता है, तो इसे सफलता माना जाता ...
मौलाना काजिम अस्करी आब्दी ने सऊदी हकुमत द्वारा शिया धर्मगुरू शेख़ बाक़िर अलनिम्र को शहीद करने पर शोक व्यक्त किया है उन्होंने शेख़ बाक़िर अलनिम्र के परिवार के लिए संवेदना व्यक्त की है और सऊदी अरब की क्रोरता को शैतानी हरकत बताया है !
सऊदी अरब हकुमत द्वारा जब 2011 धर्मगुरू शेख़ बाक़िर अलनिम्र को गिरफ्तार किया जब से ही मौलाना काजिम अस्करी आब्दी भारत में उनकी रिहाई की करने के लिए सऊदी अरब सरकार के विरोध में आवाज़ उठाते रहें थे! मौलाना काजिम ने अफ़सोस जताया है के मुझ सामीत दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जो शेख़ बाक़िर अलनिम्र की रिहाई के लिए आन्दोलन किये गए थे उसमे हम कामयाब नही हो सके उन्होंने आगे कहा ऐसा नही है के उन आन्दोलनों से कुछ फायदा नही है उन आन्दोलनों की वजह ही है के आज पूरी दुनिया में सऊदी हकुमत द्वारा शिया धर्मगुरू शेख़ बाक़िर अलनिम्र को शहीद करने पर आक्रोश व्यक्त कर रही है क्यों की पूरी दुनिया को मालूम है के वो निर्दोष हैं और सऊदी अरब की हकुमत अत्याचारी है !
चित्र : ओल्ड फाइल
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