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Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में बताएं। पैरंट्स को अलर्ट रहना होगा

बच्चों की सेफ्टी की जिम्मेदारी आपकी भी
गुरुग्राम के रायन इंटरनैशनल स्कूल में दूसरी क्लास के प्रद्युम्न की निर्मम हत्या हो या दिल्ली के टैगोर स्कूल में 5 साल की बच्ची के साथ रेप का मामला। ये खबरें खौफ पैदा करने के साथ ही पैरंट्स को अलर्ट भी कर रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरंट्स अपने बच्चों की सेफ्टी के लिए घर-मोहल्ले के अलावा उनके स्कूल के बारे में भी पूरी जानकारी रखें। पैरंट्स की जानकारी में उन सभी लोगों की लिस्ट होनी चाहिए जो बच्चे के स्कूल पहुंचने से लेकर लौटने तक बच्चे के संपर्क में आते हैं। साथ ही स्कूल में सुरक्षा के इंतजामों की भी पूरी खबर होनी चाहिए। इसके अलावा बच्चे को आम बातचीत के जरिए सेक्शुअल अब्यूज और गुड टच-बैड टच के बारे में भी बताएं। मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि बच्चे की स्कूल में सेफ्टी की जिम्मेदारी जितनी स्कूल की है, उतनी ही पैरंट्स की भी है। ऐसे में थोड़ी मेहनत तो उन्हें भी करनी चाहिए।
बढ़ रहा है बच्चों के खिलाफ क्राइम
नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में देशभर में बच्चों के खिलाफ क्राइम के 94 हजार 172 केस दर्ज किए गए जिसमें से सबसे ज्यादा 11 हजार 420 केस उत्तर प्रदेश में रजिस्टर किए गए। साल 2014 की तुलना में 2015 में चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज के केस में 12.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
स्कूल इन नियमों का करें पालन
- CCTV कैमरे सही जगह लगे हों और काम करते हों।
- स्कूल में आने वाले आउटसाइडर्स की एंट्री नियंत्रित हो।
- स्कूल बसों के ड्राइवर व कंडक्टर का नियमित वेरिफिकेशन हो।
- टीचिंग स्टाफ के अलावा अन्य नॉन टीचिंग स्टाफ का भी वेरिफिकेशन हो।
- स्टाफ की मेंटल हेल्थ की भी जांच हो।
- पैरंट्स की तरफ से आए सुरक्षा संबंधी सुझावों पर अमल हो।
- टॉइलट के पास सुरक्षा के इंतजाम हों।
पैरंट्स भी इन बातों का रखें ध्यान
- स्कूल अथॉरिटी से सवाल पूछने से घबराएं नहीं।
- नॉन टीचिंग स्टाफ के वेरिफिकेशन दस्तावेज दिखाने की मांग करें।
- स्कूल बस के ड्राइवर और कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन कराने पर जोर दें।
- अपने बच्चे को भी सुरक्षा को लेकर जागरूक बनाएं।
- स्कूल की सुरक्षा का जायजा लें और खामी नजर आने पर स्कूल को सूचित करें।
बच्चों के व्यवहार में 5 'A' के बारे में जानें
- ऐंग्जाइटी: बच्चे का चिंतित और फिक्रमंद रहना।
- ऐंगर: हर छोटी, बड़ी बात पर गुस्सा हो जाना।
- ऐनहिडोनिया: खुशी का अनुभव करने में असमर्थता।
- अवॉइडेंट: किसी खास शख्स को अवॉइड करना।
- एलिएनेशन: अलग-थलग या गुमसुम रहना।
ये हैं दूरगामी परिणाम
कई बार समय रहते बच्चों की समस्याओं का हल न निकाला जाए तो उसके दूरगामी परिणाम सामने आते हैं और बच्चे कई दूसरी परेशानियों से घिर जाते हैं। जैसे- 
- मेंटल डिसऑर्डर
- डिप्रेशन
- पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
- पर्सनैलिटी डिसऑर्डर
- नशे के प्रति रुझान
- सेक्शुअल डिसऑर्डर
ऐसे करें बच्चे की मदद
- बच्चे को नहलाते वक्त या उसकी बॉडी की सफाई करते वक्त जेनिटल ऑर्गन के बारे में बताएं। उन्हें समझाएं कि अगर कोई और उनके इन पार्ट्स को छूता है तो इसके बारे में पैरंट्स को बताएं।
- बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में बताएं।
- अश्लील हरकतें और अश्लील बातें करने वालों को पहचानें और वर्कप्लेस से बाहर निकालें।
- बच्चे को किसी भी अनजान के साथ लंबे समय के लिए न छोड़ें।
- अगर कोई इंसान गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा हो तो उसके पास बच्चे का न जाने दें।
बच्चों को लेकर हमेशा रहें अलर्ट
- बच्चों के साथ जबरदस्ती नजदीकी बढ़ाने वाले इंसान पर खास नजर रखें।
- अगर कोई बड़े लोगों के बजाय बच्चों में इंट्रेस्ट दिखा रहा है तो भी अलर्ट रहें।
- बच्चा अगर सेक्शुअल अब्यूज का शिकार होता है तो उसे सपॉर्ट करें और उसे समझाएं कि इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। ऐसी सिचुएशन से बाहर निकलने में आपका यह सपॉर्ट सबसे ज्यादा मदद करता है।
- बच्चे के पास्ट के बारे में बात करने के लिए उस पर जोर न दें। उससे इस बारे में तभी बात करें, जब वह इस पर बात करने के लिए कंफर्टेबल हो।
बच्चों को लेकर हमेशा रहें अलर्ट

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