इस बीच एक नई घटना यह हुई है कि फ़्रांस की संसद में एक बिल पास किया गया जिसमें कराबाख़ को एक स्वाधीन देश के रूप में मान्यता देने की स्वीकृति दी गई है। प्रस्ताव ग़ैर बाध्यकारी है जो संसद के ऊपरी सदन से एक सप्ताह पहले ही पारित हो चुका है जबकि निचले सदन से भी इसे मंज़ूरी मिल गई है। इस घटना के बाद आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय ने बाकू में फ़्रांस के राजदूत ज़ाकारी ग्रोस को तलब करके भारी आपत्ति जताई।आज़रबाइजान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने फ़्रांसीसी राजदूत से कहा कि फ़्रांस की संसद में पास होने वाला बिल संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विरुद्ध है साथ ही इससे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और हेलसेन्की समझौते का भी हनन होता है।विदेश मंत्रालय ने अलग से एक बयान में कहा कि हम फ़्रांस की संसद में पास होने वाले बिल का पुरज़ोर विरोध करते हैं। आज़रबाइजान की सरकार ने यह मांग भी रखी है कि आर्मीनिया के साथ जारी विवाद में फ़्रांस को मध्यस्थ की भूमिका से हटा दिया जाए। आज़रबाइजान और आर्मीनिया के बीच 9 नवम्बर को संघर्ष विराम का समझौता हुआ जिसके नतीजे में आर्मीनिया ने कराबाख