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Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

यमन में सऊदी के कारण 11250 से अधिक लोग मारे गए


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प्राप्त जानकारी के अनुसार यमन स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट दी है कि सऊदी अरब की नाकाबंदी तथा सनआ एयरपोर्ट को बंद करने के कारण देश में ११००० से अधिक रोगी इलाज के आभाव में जान की बाज़ी हार गए है । स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश से बाहर निकलने पर प्रतिबंध तथा इलाज के अभाव के कारण देश में ११२५० से अधिक लोग मारे गए है । स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार हर साल १०० से अधिक लोगों को इलाज के लिए विदेश जाने की आवश्यकता है लेकिन देश की नाकाबंदी तथा सऊदी अतिक्रमण के कारण यह संभव नहीं हो पाता । सनआ एयरपोर्ट को जल्द ही खोलना होगा हर गुज़रता दिन यमन में ३२० से अधिक मौतों का कारण बन रहा है । सऊदी अरब, यमन पर अतिक्रमण तथा सनआ एयरपोर्ट को बंद कर यमन में गंभीर मानव अपराध को बढ़ावा दे रहा है । स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल हकीम ने विश्व जगत से अपील की है कि वह शीघ्र ही सनआ एयरपोर्ट को खुलवाए , मानव इतिहास में किसी देश की ३० मिलियन जनता को यात्रा से वंचित करने वाले अपराध की कोई मिसाल नहीं मिलती ।

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3 तलाक एवं हलाला पर आपत्ति जताने वाले आखिर नियोग प्रथा पर खामोश क्यों हैं, हलाला ठीक है या ग़लत कम से कम विवाहित महिला शारीरिक संबंध अपने पति से ही बनाती है! पर नियोग प्रथा से संतान सुख के लिए किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! यह कितना बड़ा अत्याचार और पाप हुआ? नियोग प्रथा क्या है? हिन्दू धर्म में एक रस्म है जिसे नियोग कहते है , इस प्रथा के अनुसार किसी विवाहित महिला को बच्चे पैदा न हो रहे हो तो वो किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! नियोग प्रथा के नियम हैं:- १. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिए करेगी न कि आनंद के लिए। २. नियुक्त पुरुष केवल धर्म के पालन के लिए इस प्रथा को निभाएगा। उसका धर्म यही होगा कि वह उस औरत को संतान प्राप्ति करने में मदद कर रहा है। ३. इस प्रथा से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिक रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा , नियुक्त व्यक्ति का नहीं। ४. नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।

चुगली,ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना। इस्लामी शिक्षाओं में बहुत ज़्यादा आलोचना की गयी है

ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना है, ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के मन मस्तिष्क को नुक़सान पहुंचाती है और सामाजिक संबंधों के लिए भी ज़हर होती है। पीठ पीछे बुराई करने की इस्लामी शिक्षाओं में बहुत ज़्यादा आलोचना की गयी है। पीठ पीछे बुराई की परिभाषा में कहा गया है पीठ पीछे बुराई करने का मतलब यह है कि किसी की अनुपस्थिति में उसकी बुराई किसी दूसरे इंसान से की जाए कुछ इस तरह से कि अगर वह इंसान ख़ुद सुने तो उसे दुख हो। पैगम्बरे इस्लाम स.अ ने पीठ पीछे बुराई करने की परिभाषा करते हुए कहा है कि पीठ पीछे बुराई करना यह है कि अपने भाई को इस तरह से याद करो जो उसे नापसन्द हो। लोगों ने पूछाः अगर कही गयी बुराई सचमुच उस इंसान में पाई जाती हो तो भी वह ग़ीबत है? तो पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि जो तुम उसके बारे में कह रहे हो अगर वह उसमें है तो यह ग़ीबत है और अगर वह बुराई उसमें न हो तो फिर तुमने उस पर आरोप लगाया है।यहां पर यह सवाल उठता है कि इंसान किसी की पीठ पीछे बुराई क्यों करता है?  पीठ पीछे बुराई के कई कारण हो सकते हैं। कभी जलन, पीठ पीछे बुराई का कारण बनती है। जबकि इंसान को किसी दूसरे की स्थिति से ईर्ष

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