Skip to main content

Purpose OF Azadari- Moharram 2021

 

धोखेबाज़ मक्कारी और चालबाज़ी करने वाला मुसलमान नहीं हो सकता

इमाम हुसैन (अ.स) के जन्म दिवस कि हार्दिक शुभकामनाये

एक आदमी ने इमाम हुसैन (अ.स) से कहा  हे पैग़म्बर के बेटे मैं आपके शियों (मुहब्बत करने वालो) में से हूँ, आपने फ़रमायाः ख़ुदा से डरो और उस चीज़ का दावा न करो कि ख़ुदा तुमसे कहे कि झूठ बोल रहे हो और अपने दावे में पाप किया है, जान लो कि हमारे शिया वह लोग हैं कि जिनका दिल हर धोखे और मक्कारी और चालबाज़ी से पाक है, कहो कि मैं आपके चाहने वालों और दोस्तों में से हूँ (यानि हर एक को शिया कहलाने का हक़ नहीं है बल्कि अगर यह गुण पाए जाते हो तो अपने आप को शिया कहों वरना नहीं)

Comments

Popular posts from this blog

#ShiaAzadari इमाम हुसैन (अ.स.) के बलिदान का उद्देश्य! दुआएं कबूल क्यों नहीं होती? #Azadari2021

 

नियोग प्रथा पर मौन, हलाला 3 तलाक पर आपत्ति ? एक बार जरुर पढ़े

3 तलाक एवं हलाला पर आपत्ति जताने वाले आखिर नियोग प्रथा पर खामोश क्यों हैं, हलाला ठीक है या ग़लत कम से कम विवाहित महिला शारीरिक संबंध अपने पति से ही बनाती है! पर नियोग प्रथा से संतान सुख के लिए किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! यह कितना बड़ा अत्याचार और पाप हुआ? नियोग प्रथा क्या है? हिन्दू धर्म में एक रस्म है जिसे नियोग कहते है , इस प्रथा के अनुसार किसी विवाहित महिला को बच्चे पैदा न हो रहे हो तो वो किसी भी ब्राह्मण पुरुष से नियोग प्रथा के अनुसार उससे शारीरिक संबंध बना सकती है! नियोग प्रथा के नियम हैं:- १. कोई भी महिला इस प्रथा का पालन केवल संतान प्राप्ति के लिए करेगी न कि आनंद के लिए। २. नियुक्त पुरुष केवल धर्म के पालन के लिए इस प्रथा को निभाएगा। उसका धर्म यही होगा कि वह उस औरत को संतान प्राप्ति करने में मदद कर रहा है। ३. इस प्रथा से जन्मा बच्चा वैध होगा और विधिक रूप से बच्चा पति-पत्नी का होगा , नियुक्त व्यक्ति का नहीं। ४. नियुक्त पुरुष उस बच्चे के पिता होने का अधिकार नहीं मांगेगा और भविष्य में बच्चे से कोई रिश्ता नहीं रखेगा।

चुगली,ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना। इस्लामी शिक्षाओं में बहुत ज़्यादा आलोचना की गयी है

ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना है, ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के मन मस्तिष्क को नुक़सान पहुंचाती है और सामाजिक संबंधों के लिए भी ज़हर होती है। पीठ पीछे बुराई करने की इस्लामी शिक्षाओं में बहुत ज़्यादा आलोचना की गयी है। पीठ पीछे बुराई की परिभाषा में कहा गया है पीठ पीछे बुराई करने का मतलब यह है कि किसी की अनुपस्थिति में उसकी बुराई किसी दूसरे इंसान से की जाए कुछ इस तरह से कि अगर वह इंसान ख़ुद सुने तो उसे दुख हो। पैगम्बरे इस्लाम स.अ ने पीठ पीछे बुराई करने की परिभाषा करते हुए कहा है कि पीठ पीछे बुराई करना यह है कि अपने भाई को इस तरह से याद करो जो उसे नापसन्द हो। लोगों ने पूछाः अगर कही गयी बुराई सचमुच उस इंसान में पाई जाती हो तो भी वह ग़ीबत है? तो पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि जो तुम उसके बारे में कह रहे हो अगर वह उसमें है तो यह ग़ीबत है और अगर वह बुराई उसमें न हो तो फिर तुमने उस पर आरोप लगाया है।यहां पर यह सवाल उठता है कि इंसान किसी की पीठ पीछे बुराई क्यों करता है?  पीठ पीछे बुराई के कई कारण हो सकते हैं। कभी जलन, पीठ पीछे बुराई का कारण बनती है। जबकि इंसान को किसी दूसरे की स्थिति से ईर्ष

अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का अपमान करना जायज़ नहीं है - शिया सुन्नी एकता

वैसे तो इस्लाम हर धर्म का आदर करने का आदेश देता है  किसी दुसरे धर्मों (ग़ैर इस्लामी) के प्रतीकों का अपमान करना भी  इस्लाम में वर्विज (मना) है पर कुछ लोग एक दुसरे (अपने इस्लाम) के फिरके के लोगों का अपमान करने की सोचते हैं जो की यह इस्लामी शिक्षा के विपरीत है। दरअसल ऐसे लोग इस्लाम के दुश्मन होते हैं जो इस्लाम के दुश्मनों के हाथ मजबूत करते हैं। अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों)  का  अपमान करना हराम है और जाहिर है कि जो कोई भी शिया के नाम पर अहले सुन्नत के मुक़द्देसात का अपमान करता है चाहे वो  सुन्नी  होकर शिया मुक़द्देसात का अपमान करता है वह इस्लाम का दुश्मन है। क्या अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों) का  अपमान जैसे खुलुफा  और अहले सुन्नत के कुछ मनपसंद सहाबा  के नाम अशोभनीय तरीके से लेना   जायज़ (वेध) है? दुनिया भर के  शिया धार्मिक केन्द्रों (ईरान और इराक) के ओलामाओ (विद्वानों)  ने फतवा दिया है की अहले सुन्नत के मुक़द्देसात (प्रतीकों)  का  अपमान करना हराम है अधिक जानकारी के लिए मैं यहाँ 12 शिया आलिमों (विद्वानों) के फतवे पेश कर रहें हैं 

अमरनाथ: सलीम ने '50 यात्रियों को आतंकियों से बचाया

अमरनाथ यात्रियों से भरी जिस बस पर सोमवार को आतंकियों ने हमला किया, उसे चला रहे  ड्राइवर सलीम ने हिम्मत दिखाई। यात्रियों का कहना है  कि बस ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए मौके से बस को किसी तरह भगाकर सुरक्षाबल के कैंप तक पहुंचाया। गौरतलब है कि अगर आतंकी बस में सवार होने में कामयाब हो जाते तो जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था।  सलीम के रिश्तेदार जावेद ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, 'उन्होंने रात साढ़े 9 बजे मुझे फोन करके गाड़ी पर हुई फायरिंग की जानकारी दी। वह सात लोगों की जान नहीं बचा सके, लेकिन 50 से ज्यादा लोगों को सेफ जगह पहुंचाने में कामयाब रहे। मुझे उनपर गर्व है।' बता दें कि गुजरात के रजिस्ट्रेशन नंबर GJ09Z 9976 वाली बस अमरनाथ श्राइन बोर्ड में रजिस्टर नहीं थी। एक टॉप सुरक्षा अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से बताया कि इसमें सवार लोगों ने अपनी यात्रा दो दिन पहले ही पूरी कर ली थी और इसके बाद से वे श्रीनगर में ही थे। 

विश्व अहलेबैत (अ) परिषद का सन्देश अपनी मजलिसों में चरमपंथी टोलों के असली चेहरे को दुनिया वालों के सामने स्पष्ट करें

अहलेबैत (अ) न्यूज़ एजेंसी अबना की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के '' दम्माम '' और '' सीहात '' के इमाम बारगाह '' हैदरिया '' और '' मस्जिद अलहमज़ा '' में अज़ादारों पर आतंकवादी हमलों के बाद वर्ल्ड अहले बैत (अ) एसेंबली ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी कर के अज़ादारों को कुछ निर्देश दिए हैं। परिषद ने अपने बयान में इस घटना की निंदा करते हुए इमाम बाड़ों और मस्जिदों से प्रशासन समितियों, संघों और अज़ादारों से अपील की है कि खुद मजलिसों और अपने कार्यक्रमों की रक्षा करें और किसी देश की सुरक्षा पर भरोसा मत करें। अहलेबैत (अ) परिषद ने ताकीद की है कि लगातार इस तरह की जानलेवा घटनाएं इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्र की कुछ सरकारें, अहलेबैत (अ) के अनुयायियों की रक्षा या करना नहीं चाहती या ताक़त नहीं रखतीं। बयान का पूरा अनुवाद     बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम بسم الله الرحمن الرحیم «وما نقموا منهم إلا أن يؤمنوا بالله العزيز الحميد». एक बार फिर हज़रत सैयदुश् शोहदा इमाम हुसैन अ. की अज़ादारी की मजलिसों को समय के यज़ीदयों ने अपने आतंकवादी हमलों का

इस्लामाबाद में जनाबे अली असग़र अ स की याद में बच्चे अज़ादारी करते हुए

और चित्र देखने के लिए यहां क्लिक करें - ABNA

वाजिब नमाज़े आयात पढने का तरीका पढ़े !

1516। नमाज़े आयात की दो रकअतें हैं और हर रकअत में पाँच रुकूअ हैं। इस के पढ़ने का तरीक़ा यह है कि नियत करने के बाद इंसान तकबीर कहे और एक दफ़ा अलहम्द और एक पूरा सूरह पढ़े और रुकूअ में जाए और फिर रुकूअ से सर उठाए फिर दोबारा एक दफ़ा अलहम्द और एक सूरह पढ़े और फिर रुकूअ में जाए। इस अमल को पांच दफ़ा अंजाम दे और पांचवें रुकूअ से क़्याम की हालत में आने के बाद दो सज्दे बजा लाए और फिर उठ खड़ा हो और पहली रकअत की तरह दूसरी रकअत बजा लाए और तशह्हुद और सलाम पढ़ कर नमाज़ तमाम करे। 1517। नमाज़े आयात में यह भी मुम्किन है कि इंसान नियत करने और तकबीर और अलहम्द पढ़ने के बाद एक सूरह की आयतों के पांच हिस्से करे और एक आयत या उस से कुछ ज़्यादा पढ़े और बल्कि एक आयत से कम भी पढ़ सकता है लेकिन एहतियात की बिना पर ज़रुरी है कि मुकम्मल जुमला हो और उस के बाद रुकूअ में जाए और फिर खड़ा हो जाए और अलहम्द पढ़े बग़ैर उसी सूरह का दूसरा हिस्सा पढ़े और रुकूअ में जाए और इसी तरह इस अमल को दोहराता रहे यहां तक कि पांचवें रुकूअ से पहले सूरे को ख़त्म कर दे मसलन सूरए फ़लक़ में पहले बिसमिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम। क़ुल अऊज़ू बिरब्बिलफ़लक़। पढ़े और रुकूअ में जाए

मुस्लिम परिवार से एक बर फिर पैसेंजर ट्रेन में मारपीट

लेखक :पंडित असगर  जुनैद की मौत का मामला अभी थमा नहीं था कि एक और हिंसक मामला सामने आ गया. इस बार एक ही फैमिली के 11 लोगों को बुरी तरह से पीटा गया है. औरतों को सेक्शुअली हैरेस करने की भी बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि सिर्फ मारा ही नहीं, बल्कि झगड़े के बाद बुलाई गई भीड़ मुस्लिम परिवार का सामान भी लूट कर ले गई. पुलिस ने तीन लोगों को पकड़ा है. यह मामला उत्तर प्रदेश में मैनपुरी का है 53 साल के शाकिर अपनी फैमिली के साथ फर्रुखाबाद-शिकोहाबाद पैसेंजर ट्रेन में सफ़र कर रहे थे. कस्बा भोगांव में एक शादी में शामिल होकर वापस फर्रुखाबाद जाने के लिए भोगांव रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन की बोगी में सवार हुए थे. जैसे ही ट्रेन पखना स्टेशन से आगे बढ़ी, तभी यहां से कुछ लोग ट्रेन में चढ़े और महिलाओं के साथ छेड़खानी शुरू कर दी. जब इस छेड़छाड़ का विरोध किया तो शाकिर के परिवार और उन लोगों के बीच बहस होने लगी. उन लोगों ने फोन करके अपने साथियों को बुला लिया और परिवार से मारपीट शुरू कर दी. औरतों को भी ज़ख़्मी कर दिया गया. लूटमार करने के बाद हमलावर नीमकरोरी स्टेशन के पास ट्रेन की चेन पुलिंग करके भाग